दोहा मुक्तक-
जैसे की नाम से ही स्पष्ट हो रहा यह दोहा शिल्प पर मुक्तक है । दोहा-मुक्तक में दोहा एवं मुक्तक दोनों के नियमों का पालन किया जाता है । मुक्तक चार पंक्ति के के होते हैं, जिसके तीसरी पंक्ति को छोड़ कर शेष तीनों पंक्ति में सम तुकांत होता है चारों पंक्ति समान वजन मतलब समान मात्रा भार में होते हैं । मुक्तक के इस नियम के अनुकूल दो दोहों को आपस में इस प्रकार मिलाकर लिखा जाता है कि उसमें भावों में समानता होने के साथ-साथ भाव प्रभावी हों । दूसरे दोहे की पहली पंक्ति में तुक नहीं होता दूसरी पंक्ति में पहले दोहे के समान ही तुक मिलाते हैं । इसी शिल्प पर प्रस्तुत है श्री श्लेष चन्द्रकार के पांच दोहा मुक्तक –
-रमेश चौहान
श्री श्लेष चंद्राकर के दोहा मुक्तक
–
(1)
कर देंगे इस देश का, नेता सत्यानाश।
करना हर षड़यंत्र का, अब तो पर्दाफ़ाश।
चुन कर हमको भेजना, संसद अच्छे लोग-
पहुँचेगा फिर देखना, हर घर स्वच्छ प्रकाश।
(2)
धोखा देना लूटना, उनके यही उसूल।
नेताओं पर कर यकीं, करती जनता भूल।
बिना स्वार्थ करते नहीं, नेतागण कुछ काज-
खर्चा करें चुनाव में, लेते उसे वसूल।
(3)
क्यों अच्छे माहौल को, करते आप खराब।
राजनीति से धर्म को, रखिए दूर जनाब।
बंद कीजिए माँगना, जात पात पर वोट,
पूरा अब होगा नही, देख रहे जो ख्वाब।
(4)
नेतागण किस बात का, लेते हैं प्रतिशोध।
पैदा करते है सदा, संसद में गतिरोध।
बीच बहस से भागते, करते संसद ठप्प,
इससे क्या नुकसान है, नहीं इन्हें क्या बोध।
(5)
न्यूज चैनलों पर चले, दिनभर नित बकवास।
नाटक वादविवाद का, तनिक न आये रास।
बटोरना टीआरपी, इनका रहता ध्येय-
अच्छी खबर परोसने, करते नहीं प्रयास।
-श्लेष चन्द्राकर, पता:- खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, वार्ड नं.- 27, महासमुन्द (छत्तीसगढ़) पिन - 493445, मो.नं.- 9926744445