छत्तीसगढ़ी कहानी: ‘डोकरी दाई मर गे’-डाॅ विनोद कुमार वर्मा

छत्तीसगढ़ी कहानी:

डोकरी दाई मर गे

-डाॅ विनोद कुमार वर्मा

छत्तीसगढ़ी कहानी: 'डोकरी दाई मर गे'-डाॅ विनोद कुमार वर्मा
छत्तीसगढ़ी कहानी: ‘डोकरी दाई मर गे’-डाॅ विनोद कुमार वर्मा

(1)

‘तड़ !……..तड़.!…….. तड़ !……….’ कई गोली सब- इंसपेक्टर झिंटूराम के कान के पास से गुजर के शांत होगे। दू गोली ओखर कंधा म लगिस अउ एक जाँघ म ! एही कोई संझा के पाँच बजती के बेरा रहे। बस्तर के सुनसान दरभा घाटी म नक्सली अउ अर्ध सैनिक बल टुकड़ी के बीच दोपहर दू बजे ले मुठभेड़ लगातार चलत रहे…!..?…

दोपहर दू बजे…….. भयंकर बारूदी विस्फोट ले पुलिया उपर गुजरत बख्तरबंद गाड़ी हवा म उछल के बीस फीट दूरिहा जा गिरिस! गाड़ी म दस सैनिक सवार रहिन। ओखर पाछू-पाछू चालीस सैनिक मन स्पेशल बस म आवत रहिन, – एहा आम बस ले मजबूत अत्याधुनिक संचार अउ चिकित्सा उपकरण से लैस रहिस। एही बस म सब इंसपेक्टर झिंटूराम घलो रहिस। सबो अर्धसैनिक बल के जवान मन पेड़ , टीला, गड्ढा आदि के आड़ लेत बस ले उतर के तुरते मोर्चा संभाल लिन। सड़क के एक कोती नक्सली अउ दूसर कोती जवान मन मोर्चा ले रहिन। दरभा घाटी के मुख्य मार्ग ले हट के अंदरूनी क्षेत्र के घना जंगल मा युद्ध के हालात रहिस मानो दू दुश्मन देश के सैनिक एक-दूसर ले लड़त हों ! सैनिक मन समझ गिन कि आज ओमन नक्सली- एंबुस म फँस गे हें! दरअसल दू-तीन दिन ले ये सूचना लगातार मिलत रहिस कि दरभा घाटी के अंदरूनी क्षेत्र मा नक्सली मन के हलचल एकाएक बढ़ गे हे अउ कुछ बड़े नक्सली नेता मन डेरा डारे हुए हें!……..वास्तव म एहा नक्सली मन के बड़े सुनियोजित हमला रहिस, जेमा आज अर्धसैनिक बल के जवान मन फँस गिन हें।

झिंटूराम सात साल ले बस्तर के नक्सली जोन म नौकरी करत हे। कांस्टेबल ले अब सब-इंसपेक्टर बन गे हे। नक्सली मन के संग मा ओखर एहा तीसरा मुठभेड़ हे, फेर सबले खतरनाक ! मरो…..या……मारो !… अउ कोई विकल्प शेष नि रहिस !……..एहा वोही दरभा घाटी ए, जेहा सात साल पहिली काँग्रेस के एक दर्जन बड़े-बड़े लीडर मन के लोहू ला पीए रहिस!

आज नक्सली मन के कई बड़े लीडर मन झिंटूराम के गोली के शिकार होय हें! दरअसल अर्धसैनिक बल के साथी मन लड़े बर मोर्चा लिन त झिंटूराम पेड़ के आड़ लेत अपन टुकड़ी के नेतृत्व करत पाँच कांस्टेबल साथी सहित लगभग दू किलोमीटर के चक्कर काट के नक्सली मन के पाछू डहर पहुँच गे ये बड़ जोखिम भरा काम रहिस, काबर कि जंगल के भीतरी रद्दा के ओमन ला कुछु भी जानकारी नि रहिस। जगह-जगह जान के खतरा रहिस …… पता निहीं कोन डहर नक्सली मन घात लगाये छुपे होहीं ?…… कुछ नजदीक पहुँचिन तव पाकिट दूरबीन से झिंटूराम देखिस कि 10 – 12 नक्सली लीडर मन एक बड़े दरख्त के पाछू मा दारु पार्टी करत हें!…….शेखर रमन्ना !!… नक्सली मन के तीसरा सबले बड़े नेता …… जेला जिंदा या मुर्दा पकड़े बर छत्तीसगढ़ सरकार के चालीस लाख अउ आन्ध्रप्रदेश के साठ लाख ईनाम घोषित रहिस! …… झिंटूराम ओला पहिचान गे …… छै फुट चार इंच ऊँचा-पूरा, एकदम काला रंग, बाल लंबा-लंबा, एक आँख से काना ….. बम बनात-बनात ओखर फटे ले एक आँख गइस अउ हाथ के चार-पाँच ऊँगली भी…… चेहरा म कई जगह चोंट के निशान…… एकदम राक्षस बरोबर !….. झिंटूराम के खून उबाल मारे लगिस….. शरीर गरम होगे!…… फेर दुरिहा ले निशाना लगा पाना संभव नि रहिस……. ओमन लगभग 100 मीटर के दूरी म पाछू डहर थोड़े निचाई वाले स्थान म रहिन। लगभग 50-60 मीटर आघू एक बड़े दरख्त रहिस । झिंटूराम अपन साथी मन ले कहिस – तुमन चौड़ाई म 20-20 मीटर के दूरी बनाके फैल जावव। आघु कोती झन बढ़िया । मैं पेड़ तक पहुँचे के कोशिश करत हौं! अगर पेड़ म चढ़ पायँ तव नक्सली नेता मन मोर टारगेट म आ जाहीं!…… मोला उहाँ पहुँचे म आधा घंटा लग जाही। मोर फायर करे के बाद तुमन एक साथ फायरिंग शुरू कर दिहा। ओखर पहिली बिलकुल भी फायरिंग नि करना हे!

झिंटूराम अउ ओखर साथी मन अपन-अपन गंतव्य बर स्क्रोलिंग करत रवाना हो गिन। झिंटूराम ला पेड़ तक पहुँचे अउ चढ़े मा लगभग 30-35 मिनट के समय लगिस।…… झिंटूराम ला बचपन म ही बेंदरा के उपाधि मिले रहिस काबर कि पेड़ चढ़े मा ओला महारथ हासिल रहिस। कई बार साथी मन ओला ‘ झिंटू बेंदरा ‘ कह के चिढ़ायँ तव लड़े बर भिंड़ जाय।

पेड़ म लगभग 25 फीट उपर चढ़ के झिंटूराम बड़े डारा के सहारा ले के अपन पोजिशन ले लिस। अभी तक किस्मत ओखर साथ देत रहिस….. फेर हर-हमेशा तो अइसे नि होय। झिंटूराम उहाँ ले देखिस……. 10-12 नक्सली नेता मन निश्चिंत होके एक बड़े दरख्त के पाछू खड़े-खड़े दारू पार्टी म मगन रहें! अउ आघू डहर प्यादा नक्सली मन बतरकिन्नी कस चारों ओर फैले रहें, जेमन के संख्या 300 ले उपर रहिस होही।

ओती नक्सली नेता मन के दारू पार्टी चलत रहे एती झिंटूराम के थ्री-नाट-थ्री ले गोली …… तड़!….. तड़.!!….. तड़ !!!….. झिंटूराम के रायफल गोली उगलत रहे …… वजीर…… घोड़ा….. हाथी…… ऊँट…… एक-एक कर धरासायी होत रहें ….. नक्सली लीडर मन के सिर ओखर टारगेट रहिस।….. ठीक एही बेरा ओखर साथी मन भी फायरिंग शुरू कर दिन, जेन मन चौड़ाई म फैले रहें। …… दस मिनट के फायरिंग म नक्सली मन समझ नि पाइन कि पाछू डहर कोन कोती ले फायरिंग होत हे!…. ओही बेरा जवाबी फायरिंग म कई गोली सनसनावत झिंटूराम के आसपास ले निकलिस। झिंटूराम ला तीन गोली एक के बाद एक लगिस!…… दू कंधा म अउ एक गोली जाँघ म…… 25 फीट के ऊँचाई ले झिंटूराम नीचे गिरिस!…. असीम पीड़ा अउ घायल अवस्था म भी झिंटूराम के मुख म मुस्कुराहट दौड़ गे ! …… अतेक बड़े सफलता ! ……. वजीर…घोड़ा… हाथी… ऊँट… सबो तो गइन!

पाछू डहर म सैनिक मन के जादा संख्या बल के आशंका अउ अपन चार-पाँच बड़े नेता सहित 15-20 नक्सली मन के मौत ले नक्सली मन मा घबराहट अउ डर फैल गे अउ ओमन तेजी से पीछे हटिन।…… नक्सली नेता मन के मंसूबा धरे के धरे रह गे! ओमन ला आज अपन जीत के पूरा भरोसा हो गे रहिस, ओखरे खुशी म दरख्त के पाछू बड़े नेता मन दारू पार्टी भी करत रहिन।….. आज ओमन ला केवल अंधेरा होय के इंतजार रहिस, काबर कि अंधेरा होय के बाद सैनिक मन के सहायता बर कोनो नि आ पातिन ।…… फेर नक्सली मन हथियार अउ युद्ध सामाग्री ला लुटतिन अउ घायल सैनिक मन के उपर मौत के नंगा नाच नाचतिन!

नक्सली अउ अर्धसैनिक बल के बीच मुठभेड़ तीन घंटा चलिस अउ आखिर म नक्सली मन अपन मृत अउ घायल साथी मन ला ले के तुरत-फुरत जंगल कोती भाग गिन।…… सैनिक मन के हथियार अउ गोली-बारूद लुटे के ओमन के मंसूबा धरे के धरे रह गे!……ये लड़ाई म आधा ले जादा सैनिक मन शहीद हो गिन ! फेर बाकी घायल मन के जान बचगे!……. नक्सली मन के हत्थे चढ़तिन तव कोनो के जान नि बचतिस !

झिंटूराम के शरीर ले गरम-गरम लोहू तर-तर, तर-तर बोहावत रहे,- ओला रोक पाना ओखर बस म नि रहिस। अब रात के बेरा होत रहे- सरकारी सहायता बर बिहान पहाय के इन्तजार करना परही!

धुप्प अंधियारी रात…..कहीं पास ले कराहे के आवाज आत रहे त कहीं दूर ले उल्लू के बोले के कर्कश ध्वनि !……झिंटूराम के चेतना धीरे-धीरे जात रहिस। ओला अइसे लगिस कि अब ओखर आखिरी समय आ गे हे! …….बचपन के कुछ चेहरा मन ओखर पथराई खुले आँख के आघू मा चलचित्र के भाँति आय लगिन, जेमन सो या तो बहुत मया करे या फेर घृणा!…….सबले पहिली पिता के राक्षसी चेहरा सामने आइस जेहा शराब पी के ओखर अम्मा संग लगभग रोज मारपीट करय ! अउ फेर ट्रक दुर्घटना म ओखर मृत वीभत्स शरीर!……फेर अपन अम्मा के सुरता आइस जेहा अर्ध सैनिक बल म ओखर भर्ती के समाचार ला सुन के रोवत-रोवत मुँहटा तीर म आधा घंटा ले बइठे रहिस!…..फेर सुरता आइस ओ घटना कि नौकरी ज्वायन करे के छै महीना बाद जब ट्रेनिंग कम्पलीट करके घर वापिस आय रहिस अउ अम्मा बर नावा लुगरा के संग घुंघरू वाला पैंरी खरीद के लाय रहिस, त ओला देख के अम्मा मुँहटा म बइठ के फेर रोय ला धर ले रहिस…..

झिंटूराम के चेतना धीरे-धीरे अंतरिक्ष म विलीन होत रहिस …… आखिर म डोकरी दाई के सुरता आइस जेला ओहर अपन प्राण ले भी जादा प्यार करे।…. मगर ओला गुजरे पाँच बरस ले भी जादा हो चुके हे…… जेखर हाथ ले चाकलेट अउ भात खाना ओहा कभू नि भूल पाइस! …… ओह!…….. बचपन भी कतका मासूम होथे…….. डोकरी दाई.! … .. डोकरी दाई ! कहत ओखर मुँह नि थके।….. भला डोकरी दाई के मया ला ओह कइसे भूल पाही?…… अंतिम बेरा घलो बचपन के एक-एक घटना चलचित्र के भाँति ओखर पथराई आँखी म झूलत रहे ….. जेमन अंतस म हमा गे हें, ओमन तो जी के साथे जाहीं! ……..

(2)

(लगभग 22 बरस पाछू जब -छत्तीसगढ़ राज’ नि बने रहिस).

‘मर जाय साला बेर्रा ह…….कीरा परे…….मोर डेगची अउ जम्मो चाउँर ला चोरा के ले गे ! …… ओई दरूहा मंगतू होही ! का करों…..मोर हाथ-गोड़ थक गे हे, नि तो साले ला……’ -डोकरी दाई बड़बड़ावत रहे, फेर ओखर गारी के सुनईया ओमेर कोनो नि रहिस।

इंदिरा आवास योजना म दू जगा घर बने हे। डोकरी दाई रइथे तेन मेर चार घर अउ बाकी घर थोरकुन दुरिहा म । डोकरी दाई ओमेर अकेल्ला रइथे, बाकी तोनों घर म कोनो रहे बर नि आय हें। डोकरी दाई दू दिन ले परेशान हे , काबर कि ओखर नानकुन ताला मुरचा खा के खराब हो गे हे। बिहन्चे एक बार अउ कोशिश करिस फेर ताला नि सुधर पाईस त बाहर पार के संकरी लगा के गोबर संइते बर चल दिस। डोकरी दाई गोबर के छेना बना के बेचे त दू पइसा पा जाय, फेर हर महीना सरकारी पेंशन के पइसा अउ चाउँर के भरोसा ओखर दिन मजे म कटत रहिस। आज गोबर संइत के आइस त देखथे कि घर खुल्ला हे! ओखर जी धक् ले रह गे! घर भीतरी खुसरिस त देखथे कि ओखर कुल जमा पूंजी डेगची, लोटा, गिलास अउ आठ किलो चाउँर गायब हे! ओला समझत देरी नि लगिस कि एहा मंगतू दरूहा के करतूत हे!

मंगतू दरूहा के पाँच पीढ़ी ला गारी देत-देत डोकरी दाई थक गे, तहाँ अब चिन्ता सताय लगिस। मंझनिया के बेरा झिंटू आही त ओला खाय बर का दूहूँ? न डेगची हे न चाउँर, फेर भात कइसे राँधहूँ ?……. पाँच बरस के झिंटू बर ओखर अतेक मया जइसे दू शरीर एक प्राण ! ओही चिन्ता म डोकरी दाई बिपतिया गे।

झिंटू के पिता घलो अखंड दरूहा रहिस। एक साल पाछू दारू पी के चलती ट्रक म झंपा गे। 24 साल के मुठियारी कस फरसोनहिन दुच्छा हाथ होगे।अब ओ बिचारी के सहारा केवल झिंटू रहिस…….ओखर चार साल के नानकुन लइका!….. बिचारी लइका ला सुबे आँगन- बाड़ी केन्द्र म छोड़े , फेर बनी-भूती बर निकल जाय त चार बजे संझा वापिस आय। आँगन-बाड़ी केन्द्र म झिंटू कुछु खाय-पिये बर पा जाय ,फेर छुट्टी होय त उहाँ ले डेढ़ किलोमीटर पैदल चलके डोकरी दाई करा पहुँच जाय।उहाँ फेर कुछु खाना-पीना मिल जाय अउ चुटुर-चाकलेट घलो। डोकरी दाई झिंटू के आय बिना खाना नि खाय। एक ठिन डब्बा म चुटुर-चाकलेट बिसा के रखे रहय, तेमा के रोज एक ठिन ओला आते-आत खाय बर दे। फिरती बेरा म फरसोनहिन हा डोकरी दाई के घर आवय – लाल चाय पियँय, अपन दुख-सुख गोठियावँय फेर अपन बेटा ला पीठ म घोड़ा-बइठार के फरसोनहिन वापिस घर ले के जाय।……. डोकरी दाई अउ फरसोनहिन आन-आन जात-बिरादरी के हें फेर झिंटू के ददा के मरे के बाद डोकरी दाई फरसोनहिन ला अपन बेटी बरोबर जाने लगिस। फरसोनहिन घलो इंदिरा आवास म रहे फेर ओखर घर हा डोकरी दाई के घर ले एक किलोमीटर दूरिहा रहिस।

आँगन-बाड़ी ले जइसे छुट्टी होइस तइसे झिंटू हा तरतिर- तरतिर डोकरी दाई के घर कोती भागिस। उहाँ पहुँचिस त देखथे कि घर हा भीतर ले बंद हे!

झिंटू जोर से चिल्लाइस- डोकरी दाई ! डोकरी दाई !……. फेर भीतर ले कोई आवाज नि आइस। झिंटू पूरा ताकत लगा के दरवाजा ला हला-हला के चिल्लाय लगिस। फेर ओखर आवाज के सुनईया एमेर कोनो नि रहिन।
दरवाजा के झेंझरी ले झिंटू भीतर कोती ला झाँकिस। ओखर जी धक् ले रह गे ! खूंटी म लटके लालटेन के मद्धिम रौशनी खटिया उपर परत रहे….. ओहा देखिस कि गोदरी ओढ़ के कोनो सुते हे!

झिंटू जोर-जोर से विलाप करे लगिस-‘ डोकरी दाई मर गे ! डोकरी दाई मर गे ! डोकरी दाई उठ ओ……..अब मैं तोला कभू तंग नि करों !….. ‘

फेर ओखर करूण क्रंदन ला भला कोन सुनतिस?अब मरना- जीना ला भला झिंटू का जानतिस, फेर साल भर पहिली अपन पिता के मरना ला देखे रहे!…… मुहँटा मेर बस्ता पटक दिस अउ रोवत-रोवत बइठ गे।……. कतको दुख हा घेरे रहे फेर नींद हा अपन बूता ला करबेच्च करथे- झिंटू घलो रोवत-रोवत घर के बाहिर धुर्रा- गोंटी- माटी उपर सुत गे अउ स्वप्न लोक म विचरण करे लगिस। ओला अइसे लगत रहे कि डोकरी दाई ला भगवान वापिस भेज देहे हे अउ एके थारी म भात खात दुनों झन कतकोन बने-बने गोठ-बात करत हें!

अइसने डेढ़ घंटा बीत गे । झिंटू मुँहटा तीर म सुतत एती-ओती हाथ-पैर ला फटकारत अल्थी-कल्थी मारत रहे। कुर्ता-पेंट धुर्रियागे।…….तभे ओला अइसे लगिस कि डोकरी दाई हा जोर-जोर से हलावत हे अउ उठे बर कहत हे। आँखी खोलके निहारिस त बिजली के झटका कस लगिस अउ चैतन्य होके तुरते खड़े होगे।…….. सामने डोकरीदाई साक्षात खड़े रहे! झिंटू डोकरी दाई ला कस के पोटार लिस अउ रोवत-रोवत बोलिस- ‘डोकरी दाई तैं कहाँ चल दे रहे ? मैं अब तोला कभू तंग नि करों!’
डोकरी दाई हाँसिस-‘ ए दे लड्डू खा, तोर बर दू ठिन लड्डू खरीद के लाने हँव।’

एखर पाछू दरवाजा के पल्ला ला आघू- पीछू ढकेल के हाथ बोज के भीतर पार के संकरी ला डोकरी दाई खोलिस। झिंटू सरपट घर के भीतर खुसरिस, त देखथे कि डोकरी दाई हा खटिया उपर मुसरिया ला गोदरी ओढ़ाय रहे! दरवाजा के झेंझरी ले झाँक के देखे म अइसन लगत रहे कि डोकरी दाई सुते हे!

थोरकुन बेर म डोकरी दाई भात-साग ला चुरो दारिस अउ झिंटू दुनों ताते-तात भात-साग ला खात मीठ-मीठ गोठिवावत रहें।
झिंटू पुछिस- ‘डोकरी दाई तैं भीतर पार ले संकरी लगा के कहाँ चल दे रहे? ‘

डोकरी दाई बोलिस- ‘बेटा, पइसा निकाले बर बैंक गये रहेंव। भारी भीड़ रहिस, फेर धन्न हो बड़े बाबू के – मोला सबले आघू पइसा निकाल के दे दिस। ओखर बाद डेगची, लोटा, गिलास,ताला अउ चाउँर – साग ला तुरते खरीद के लाने हँव तभो ले बेरा होगे।….. सुबे मंगतू दरूहा सबो जिनिस ला चोरा के ले गे हे!’

डोकरी दाई ला ग्रामीण बैंक के सबो कर्मचारी मन जानें अउ ओला देख के मुस्कुराय लगें। एखर कारण सिर्फ ए रहिस कि बिना नांगा किए हर महीना डोकरी दाई बैंक आवय अउ अपन बाँहचे पचास-सौ रूपिया ला जमा करे!…… कम पैसा जमा करना ही ओखर लोकप्रियता के कारण रहिस!…. अउ बैंक कर्मचारी मन के हँसी के कारण भी !

डोकरी दाई के घर म चोरी अउ फेर ओखर मरे के डर हा झिंटू के बालमन मा घर कर गे अउ पुलिस बने के जुनून सवार होगे!
झिंटू बोलिस- ‘दाई बड़े होके मैं पुलिस बनहूँ अउ मंगतू दरूहा ला पकड़ के जेल म भरहूँ! ‘

दाई बोलिस -‘ बेटा पढ़-लिख के जरूर पुलिस बनबे।फेर ओ दिन तक मैं इहाँ नि रहों- भगवान के कर्जा बाँहचे हे, ओहू ला तो छूटे बर जाना हे!’
झिटू बोलिस-‘ महूँ जाहूँ दाई तोर संग!’
दाइ बोलिस-‘ नहीं बेटा, तैं पाछू आबे। पुलिस बनबे त अपन अम्मा बर कुछु लेबे कि निहीं?’

झिंटू हा अपन सबो ज्ञान के निचोड़ ला समेटत बोलिस-‘ हाँ दाई, अम्मा के लुगरा चिरा गे हे। ओखर बर नावा लुगरा अउ घुंघरु वाला पैंरी खरीदहूँ ! अम्मा नावा लुगरा पहिर के रेंगत-रेंगत घर आही त ओखर पैरी के छम-छम आवाज मा मैं पहिली ले जान डारहूँ कि अम्मा आवत हे!

(3)

कुछ दिन बाद एक समाचार अखबार म प्रमुखता ले छपिस -‘ छत्तीसगढ़ के अर्धसैनिक बल के सब- इंसपेक्टर झिंटूराम को मरणोपरांत कीर्तिचक्र से सम्मानित किया जाएगा। सम्मान प्राप्त करने के लिए उनकी माँ फरसोनहिन बाई छत्तीसगढ़ शासन के विशेष विमान से 24 जनवरी को दिल्ली जाएँगी।’

- डाॅ विनोद कुमार वर्मा* बिलासपुर ( छ.ग.)
 

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