डॉ अलका सिंह का बाल काव्य संकलन
सारस के अंडे और अन्य कवितायेँ (2021)
‘डॉ अलका सिंह की 30 कविताएं’ डॉ अलका सिंह की बाल कविता संग्रह है, जिसमें 30 कविताएं संग्रहित है । इन कवतिाओं प्रकृति के पशु पक्षी को बिम्ब लेकर सुंदर कविताएं प्रस्तुत की गई है साथ में कुछ देशभक्ति कविताएं भी सम्मिलत है ।
1.गिलहरी और उसकी दोस्त
एक गिलहरी छम छम करती ,
पायल पहने ,आती गाते गाते।
उसकी कई लड़कियां दोस्त
सुबह सुबह सब गाना गाती ।
कहती चलो बुलायें वर्षा
तेज धूप से पानी सूखा ।
सूखे हैं सब के सब मैदान
हरियाली है पर कम छांव ।
2.छोटी लड़की गीत गा रही
छोटी लड़की गीत गा रही ,
उसके गीतों में सपने।
उसके गीतों में भरे हुए है ,
जोश भरे सपने उसके ।
उसको है आगे बढ़ना
बड़े बड़े से लक्ष्य संजोये
इनको उसको पूरा करना ।
छोटी लड़की गीत गा रही ,
उसके गीतों में सपने।
3.खुला शक्ति विद्यालय
खुला शक्ति विद्यालय
नारी शक्ति ,मातृ शक्ति का
आभास कराता विद्यालय।
दूर दूर गावों से आती
रोज सवेरे वहां लड़कियां ।
पढ़ती वह साहित्य कला
विज्ञान ,गणित कौशल।
खुला शक्ति विद्यालय ,
मातृ शक्ति का ,राष्ट्र शक्ति का ,
खुला एक विद्यालय।
4.नीम
नीम हिलाकर अपनी शाखा
प्रकृति शक्ति की गाथा गाती ।
प्रकृति शक्ति की बात बताती
पत्ती -रेशे के गुण कहती ,
खुश होकर अच्छी बात बताती ।
कितने कितने पक्षी आते
इसकी शाखा पर विचरण करते ,
कितने कितनी मानव पीढ़ी
इसकी छाया में बैठी ।
नीम हिलाकर अपनी शाखा ,
प्रकृति शक्ति का ज्ञान कराती।
5.तालग्राम का सारस
ताल ग्राम के पास एक सारस रहता है ,
आने जाने वालों को संदेशे देता है ।
कहता लोगो देखो धरती
पर्यावरण की रक्षा करना ।
जिधर कहीं भी तुम जाना ,
जल का संरक्षण करना ।
यहाँ एक थी झील पुरानी ,
सूख रही है ,आओ देखो
इधर पास आकर देखोगे
कितना कम सा बचा है पानी ।
6.बगुला और सारस
बगुला उड़ा ,धूप थी तेज
सोचा धूप तो होती रोज
आज मगर थोड़ा है ज्यादा ,
सूरज का क्या खास इरादा !
बोला सारस बगुले भाई
इसमें न कोई बात नई ,
नही देखते वृक्ष कट रहे,
पर्यावरण पर संकट है ।
इसी लिए गर्मी ज्यादा है ,
न जाने कैसी विपदा आईं।
7.बिल्ली चूहे और प्रदूषण
बिल्ली बोली ,निकलो चूहे बिल के बाहर ,
नहीं करेंगे हम तुम पर अब कभी आक्रमण।
तुमको है मुझसे जो डर,
उससे समझो कहीं अधिक है ,
हम सबको प्रदूषण का डर।
घुटन भरी हर तरफ हवा ,
धुंध ,धुँआ से शहर भरा ,
चलो निकल कर चलें किसी वन ,
स्वच्छ हवा हो ,शीतल जल।
8.सारस के अंडे
सारस के प्यारे प्यारे अंडे,
झील किनारे बना घोंसला
उसमे हैं सब सजा कर रक्खे,
सारस के प्यारे प्यारे अंडे ।
दोनो सुबह शाम अंडों को ,
अच्छे अच्छे गीत सुनाते,
उनके गीतों में फैली नदियां
वन, उपवन खुशहाल सरोवर ।
सारस कहता है सब से ,
संस्कार देता मैं इनको
तुम भी अच्छी अच्छी बातें
बच्चों से अक्सर सुनो ,सुनाओ ।
9.देश हमारा
देश हमारा हरा भरा
खुशियों से है भरा भरा ,
सभी फसल हैं
फूल और फल ,
देश हमारा हरा भरा ,
गाथाओं से भरा भरा ।
पग -पग पर हैं यहां हजारों
पराक्रम और शौर्य गाथाएं,
आदिकाल से यहां आज तक
अनगिनत वीर वीरांगनाएं ।
10.राष्ट्र हमारा है अभिमान
राष्ट्र हेतु अर्पित है तन मन
राष्ट्र हमारा है अभिमान ,
इसकी गरिमा के साथ जुड़ा है
हम सब का सम्मान ।
हमे हमेशा अपने कर्मों से
इसका नाम बढ़ाना है ,
इसकी गौरव गाथा में
अपना योग हमें करना है ।
11.गर्मी की छुट्टियाँ
गर्मी की छुट्टियाँ
नयी जानकारियां।
घूमेंगे हम कई राज्य
देखेंगे हम जंगल पहाड़,
देश यह महान।
देखेंगे हम
इसका विस्तार।
गर्मी की छुट्टियां
नयी जानकारियां।
12.बच्चे हो या पौधा कोई
छोटे छोटे फूलों की रिंग
लगती हमको कितनी अच्छी
उसे लगाकर हम बालों में
रोज निकलते उपवन में।
झूम झूम कर फूल बोलते ,
फूलों जैसे तुम भी लगते
तितली आती और बोलती
बच्चे हो या पौधा कोई ,
जो चलते हो हिलते डुलते।
13.गा रहा सारस प्रकृति के गीत
सारस ने गाया फसल के गीत
फसल उगी , पकी कटी ,
फसल चक्र गीत।
झील नदी तालाब ,
प्रकृति संग , प्रकृति रंग ,
पर्यावरण के रंग।
गा रहा सारस प्रकृति के गीत
सुन रहे पक्षी मधुर मधुर गीत।
गा रहा सारस प्रकृति के गीत।
14.सुन्दर तालाब
नदी से थोड़ी दूरी पर
सुन्दर मनभावन तालाब।
चमक रहीं चंडी सी चमचम
इसमें लहरें कई हज़ार।
नदी से थोड़ी दूरी पर
सुन्दर मनभावन तालाब।
रहतीं उसके पानी में ,
कई हज़ारों लाख मछलियां।
कूद रही हैं पानी में
छोटी छोटी सभी मछलियां।
नदी से थोड़ी दूरी पर
सुन्दर मनभावन तालाब।
15.सारस समझाता चूजों को
सारस अपने पर फैलाकर ,
छोटे चूजों को समझाता ,
कहता तुम मजबूत बनो
फिर उड़ते हैं नीले नभ में।
देखोगे सुन्दर से फैले
हरे -हरे फैले मैदान,
झील पोखरे नदियां ताल ,
खुशियों वाले सबके रूप
देखोगे प्रकृति के सुन्दर रूप।
16.सारस का विद्यालय
सारस का विद्यालय
उसमे आये नन्हे पक्षी
पर्यावरण का पढ़ने पाठ।
सारस का है बस यह कहना ,
जल , वायु का रखो ध्यान।
स्वच्छ अगर जल -हम सब स्वस्थ ,
सभी करो मिल यही प्रयत्न।
सारस का विद्यालय
उसमे आये नन्हे पक्षी
पर्यावरण का पढ़ने पाठ।
17.बगुले ने गाया गाना
बगुले ने गाया गाना
एक पैर पर थिरका जमकर ,
पानी में संगीत बनाया ,
बगुले ने गाया गाना।
उसके गीतों से खुश होकर ,
आयीं कितनी वहां मछलियां ,
लेकिन डर था उन सबको
कहीं न दे दे बगुला धोखा।
पानी में संगीत बनाया ,
बगुले ने गाया गाना।
18.शान्त झील में सुन्दर नीर
शान्त झील में सुन्दर नीर ,
पक्षी सारे कितने खुश हैं ,
सबका जीवन है यह नीर।
वर्षा आकर पानी देती
और धरा रक्षा करती ,
शान्त झील में सुन्दर नीर।
पक्षी सारे कितने खुश हैं ,
सबका जीवन है यह नीर।
19.निकल पड़े किसान
निकल पड़े किसान
भोर का समय
मन भरे उल्लास।
खेत हैं हरे भरे
खुशियों से भरे।
खुश सभी किसान
खुश है समाज।
फसल लहलहा रही
ख़ुशी नाच गा रही।
निकल पड़े किसान
भोर का समय
मन भरे उल्लास।
20.कीड़ा और किसान
कीड़ा चिल्लाया किसान को जैसे उसने देखा
आग लिए वह था किसान ,आया था ठूंठ जलाने ।
कीड़ा बोला , हे भाई क्यों तुम इसे जलाते हो
इसमें कितने जीवाणु यूं ही आखिर जल जाते हैं।
ये जीवाणु मित्र धरती के ,क्यों तुम इन्हें जलाते हो
हम कीड़े और ये जीवाणु उपजाऊ धारा बनाते हैं।
ये जो सूखे डंठल हैं ,वो यूं ही गल जायेंगे
हम लोग उन्हें खा खा कर समृद्ध भूमि बनाएंगे ।
21.आंधी आई धूल उड़ाती
आंधी आई धूल उड़ाती
पड़ता कुछ भी नही दिखाई ,
बोला पर कीड़े भाई
छिप जाओ आ तने में मेरे
बड़ी भयानक आंधी आई ।
कीड़ा छिपा तने में जाकर
पेड़ ने उसको दिया सहारा ,
स्वागत किया रस पिलाकर।
आंधी आई धूल उड़ाती ,
पड़ता कुछ भी नही दिखाई ।
22.चिड़िया और पत्ते
आंधी में उड़ गए हजारों
पत्ते ऊपर आसमान में
जब देखा चिड़िया ने इनको
खूब हंसी वह खुश होकर ।
बोली पत्तों खूब उड़ो,
आसमान की सैर करो ,
थोड़ी देर बाद तुम कहना ,
कैसे अच्छे लगता उड़ना ।
23.आंधी पर चढ़ आए बादल
आंधी पर चढ़ आए बादल
धूल सो गई ,वर्षा आई ।
मीठी मीठी सोंधी खुशबू ,
हर तरफ फैल कर
मन हर्षायी।
बच्चे निकले पिकनिक करने
सभी जानवर भी हैं खुश ।
गर्मी से सब थे बेहाल ,
वर्षा आई ,खुशियां लाई ।
24.भीगी मिट्टी से निकलें हैं
भीगी मिट्टी से निकलें हैं
कितने सुंदर अंकुर
मिट्टी ने पूरे साल संजोकर
रखा था इन्हे सुरक्षित।
धरती माता मां के समान
बीजों को रखती स्नेह प्रेम से
और समय आने पर उनको
करती है तैयार प्रेम से ।
25.नन्हा अंकुर
नन्हा अंकुर निकला बाहर
कहता दुनिया कितनी सुंदर ,
हवा ने उसको सिखलाया
कैसे आगे बढ़ते रहना ।
धूप ने उसको ज्ञान दिया
कठिनाई में बढ़ते कैसे
और वृक्ष ने सिखलाया
कैसे देखो जीवन जीते ।
26.चमकी एक रोशनी तेज
चमकी एक रोशनी तेज
बादल के एकदम बीचो बीच
बच्चा डर कर अंदर आया ,
मां ने उसको सब समझाया ।
बोली ये बादल की बिजली
ये बादल के घर्षण से होती ।
इसके बाद सुनोगे ध्वनि
वह भी कितनी होगी तेज !
27.मोर नाचता है वन में
मोर नाचता है वन में ,
सुंदर मौसम हो बैठा है ,
इंद्रधनुष है आसमान में ,
मोर नाचता है वन में।
छिप छिप कर हैं देख रहे
कितने कितने छोटे जीव ,
सोच रहें हैं बाहर निकलें ,
और मनाएं खुशियां खूब।
28.निकली छोटी वीर बहूटी
निकली छोटी वीर बहूटी ,
लाल लाल मखमल के जैसी,
जैसे प्यारा लाल बटन
आया है काफी बन ठन।
फूलों के कुर्तों पर बैठी,
खुश होकर जैसे वह कहती ,
आओ प्यारे बच्चे आओ ,
अपनी बातें हमें बताओ।
29.तैर रहा है बादल
तैर रहा है ह्वेल के जैसा
आसमान में बादल।
बादल लगता है समुद्र ,
मछली जैसा बादल।
देखो थोड़ा इंतजार कर ,
रुकेगा यह ,या उड़ जायेगा ,
हवा के झोंको पर है निर्भर
खेलेगा या उड़ने देगा ।
30.बदला मौसम वर्षा बाद
बदला मौसम वर्षा बाद ,
कड़वा बीता मीठा स्वाद ।
पक्षी लहराकर उड़े हर तरफ ,
चह चह करते उनके स्वर ।
आसमान में कई हैं रंग ,
पवन खेलता बादल संग ।
बदला मौसम वर्षा बाद ,
कड़वा बीता ,मीठा स्वाद ।
डॉ अलका सिंह के विषय में
डॉ अलका सिंह डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी लखनऊ में शिक्षक हैं।शिक्षण एवं शोध के अतिरिक्त डॉ सिंह महिला सशक्तीकरण , विधि एवं साहित्य तथा सांस्कृतिक मुद्दों पर काव्य , निबंध एवं समीक्षा क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त वे रजोधर्म सम्बन्धी संवेदनशील मुद्दों पर पिछले लगभग डेढ़ दशक से शोध ,प्रसार एवं जागरूकता का कार्य कर रही है। वे अंग्रेजी और हिंदी में समान रूप से लेखन कार्य करती है और उनकी रचनायें देश विदेश के पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती हैं। “पोस्टमॉडर्निज़्म”, “पोस्टमॉडर्निज़्म : टेक्स्ट्स एंड कॉन्टेक्ट्स”, “जेंडर रोल्स इन पोस्टमॉडर्न वर्ल्ड”, “वीमेन एम्पावरमेंट”, “वीमेन : इश्यूज ऑफ़ एक्सक्लूशन एंड इन्क्लूज़न”,”वीमेन , सोसाइटी एंड कल्चर” , “इश्यूज इन कैनेडियन लिटरेचर” तथा “कलर्स ऑव ब्लड” , “भाव संचार” जैसी उनकी नौ पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा शिक्षण एवं लेखन हेतु उन्नीस पुरस्कार/ सम्मान प्राप्त हैं। अभी हाल में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उच्च शिक्षा श्रेणी में राज्यस्तरीय मिशन शक्ति सम्मान 2021 प्रदान किया गया है। उन्हें राष्ट्रीय नयी शिक्षा नीति 2020 में विशिष्ट योगदान हेतु राज्य सरकार द्वारा सम्मान पत्र भी प्राप्त है। उनकी पुस्तक कोर्स ऑफ़ ब्लड को यूनाइटेड नेशंस मिलेनियम कैंपस नेटवर्क एवं ग्लोबल अकादमिक इम्पैक्ट के मंच पर 153 से भी ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष चर्चित विषय के रूप में शामिल किया गया है।
पता : असिस्टेंट प्रोफेसर अंग्रेजी, डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, आशियाना , कानपुर रोड, एल .डी.ए. स्कीम , लखनऊ-226012