हिंदी भाषा का वैश्वीकरण

हिंदी भाषा का वैश्वीकरण

-रमेश चौहान

Globalization of Hindi language
Globalization of Hindi language

परिचय

वैश्वीकरण विभिन्न देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय एकीकरण, सहयोग और विचारों, संस्कृति, प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्थाओं के आदान-प्रदान की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। वैश्वीकरण के साथ, दुनिया एक वैश्विक गांव बन गई है, और लोग आसानी से एक दूसरे के साथ बातचीत और संवाद कर सकते हैं। वैश्वीकरण के सबसे महत्वपूर्ण प्रभावों में से एक भाषा का प्रसार है, और हिंदी इसका अपवाद नहीं है। हिंदी भारत में व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है, और यह विश्व स्तर पर तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

500 मिलियन से अधिक हिंदी भाषी के साथ हिंदी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।  यह अंग्रेजी के साथ-साथ भारत की आधिकारिक भाषा है, और नेपाल, मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे अन्य देशों में भी बोली जाती है।  इस निबंध में, हम दुनिया में हिंदी की स्थिति, इसके इतिहास, स्थिति और प्रभाव, हिंदी भाषा के वैश्वीकरण, और इसके सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।

हिंदी भाषा का इतिहास

हिंदी एक इंडो-आर्यन भाषा है जो संस्कृत से उत्पन्न हुई है। प्राकृत भाषा से विकसित हुई है, जो प्राचीन भारत में बोली जाने वाली एक बोली है। हिंदी के प्रारंभिक रूप अपभ्रंश और शौरसेनी थे। मध्ययुगीन काल के दौरान, हिंदी दो अलग-अलग रूपों में विकसित हुई: स्‍थानीय बोली और खड़ी बोली। इन्‍हीं रूपों ये हिंदी का मानक रूप बन गया।

हिंदी भाषा का एक वृहद और समृद्ध इतिहास है, जो 7वीं शताब्दी से प्रारंभ हुआ माना जाता है।  ऐसा माना जाता है कि यह प्राचीन भाषा संस्कृत से विकसित हुई है, जिसका उपयोग लगभग 2000 साल पहले भारत में किया गया था।  समय के साथ, फ़ारसी, अरबी और तुर्की के प्रभाव से हिंदी अपनी अलग भाषा के रूप में विकसित हुई।

मुगल साम्राज्य के दौरान, जिसने 16वीं से 18वीं शताब्दी तक भारत के अधिकांश हिस्सों पर शासन किया, हिंदी साहित्य और कविता के लिए एक लोकप्रिय भाषा बन गई।  इस समय के दौरान हिंदी साहित्य की कई प्रसिद्ध रचनाएँ लिखी गईं, जिनमें तुलसीदास की रामचरितमानस , विनय पत्रिका, दोहावली, पार्वती मंगल, गीतावली तथा सूरदास का सूरसागर , केशवदास की कवि प्रिया, रसिक प्रिया और अलंकार मंजरी आदि प्रमुख है ।

19वीं सदी में, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों द्वारा हिंदी को प्रशासन की भाषा के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा।  अंग्रेजों ने अंग्रेजी को एक आधिकारिक भाषा के रूप में भी प्रस्‍तुत किया, जिसके कारण अंततः भारत में द्विभाषी प्रणाली को अपनाया गया।

1947 में भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद हिंदी भारत की आधिकारिक भाषा बन गई। भारतीय संविधान ने हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी।  हालाँकि, हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी भी एक आधिकारिक भाषा के रूप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

हिंदी भाषा की स्थिति

आज, अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी भारत की आधिकारिक भाषा है।  यह अधिकांश आबादी द्वारा बोली जाती है, विशेष रूप से देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में।  हालाँकि, भारत में कई क्षेत्रीय भाषाएँ भी बोली जाती हैं, जैसे बंगाली, तमिल और तेलुगु आदि।

भारत सरकार ने आधिकारिक संदर्भों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं।  उदाहरण के लिए, सरकारी दस्तावेजों और संचार को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लिखा जाना, और हिंदी को स्कूलों में एक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाना शामिल है।

इन प्रयासों के बावजूद, आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी के प्रयोग को लेकर कुछ तनाव हैं।  कुछ गैर-हिंदी भाषी राज्यों, जैसे कि तमिलनाडु, ने यह तर्क देते हुए कि यह देश के बाकी हिस्सों पर उत्तर भारतीय संस्कृति को थोपने का प्रयास है, हिंदी को थोपने का विरोध किया है

हिंदी भाषा का प्रभाव

दुनिया भर की अन्य भाषाओं और संस्कृतियों पर हिंदी का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।  उदाहरण के लिए, हिंदी फिल्में, जिन्हें बॉलीवुड फिल्मों के रूप में भी जाना जाता है, कई देशों में बेहद लोकप्रिय हैं, खासकर दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में।

हिंदी ने भारत में अन्य भाषाओं के विकास को भी प्रभावित किया है।  कई भारतीय भाषाओं ने विशेष रूप से साहित्य और लोकप्रिय संस्कृति के क्षेत्रों में हिंदी से शब्द और वाक्यांश लिए हैं।

इसके अलावा, हिंदी ने हिंदुस्तानी भाषा के विकास को प्रभावित किया है, जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में बोली जाती है।  हिंदुस्तानी एक संकर भाषा है जो हिंदी और उर्दू के तत्वों को जोड़ती है, जो पाकिस्तान की आधिकारिक भाषा है।

हिंदी भाषा का महत्व

500 मिलियन से अधिक वक्ताओं के साथ हिंदी भारत में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है।  यह भाषा अंग्रेजी, चीनी और स्पेनिश के बाद विश्व स्तर पर चौथी सबसे अधिक प्रचलित भाषा है।  चीनी के बाद हिंदी विश्व की दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है।  हिंदी भारत, फिजी और मॉरीशस में एक आधिकारिक भाषा है।  नेपाल में, हिंदी को एक माध्यमिक भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है।  हिंदी के व्यापक उपयोग ने इसे दक्षिण एशिया और उसके बाहर व्यापार, वाणिज्य और संचार के लिए एक महत्वपूर्ण भाषा बना दिया है।

हिंदी भाषा का वैश्वीकरण

वैश्वीकरण ने हिंदी भाषा के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  हिंदी विश्व स्तर पर तेजी से लोकप्रिय हो रही है, खासकर उन देशों में जहां भारतीय समुदाय मौजूद हैं।  हिंदी के प्रचार-प्रसार में प्रवासी भारतीयों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  जो भारतीय दूसरे देशों में चले गए, खासकर उत्तरी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में, वे अपने साथ हिंदी ले गए, जिससे भाषा का विश्व स्तर पर प्रसार हुआ।

विश्व स्तर पर भारतीय फिल्मों, संगीत और साहित्य के प्रभाव से हिंदी की लोकप्रियता को सहायता मिली है।  बॉलीवुड फिल्में, जो हिंदी भाषा की फिल्में हैं, कई देशों में तेजी से लोकप्रिय हो गई हैं।  इन फिल्मों की लोकप्रियता ने गैर-भारतीयों के बीच हिंदी भाषा में रुचि बढ़ाई है।  भारतीय संगीत उद्योग, जो हिंदी सहित विभिन्न भाषाओं में संगीत का उत्पादन करता है, ने भी विश्व स्तर पर हिंदी भाषा के प्रसार में योगदान दिया है।  हिंदी साहित्य सहित भारतीय साहित्य भी भाषा के प्रचार-प्रसार में प्रभावशाली रहा है।

अकादमिक और शैक्षिक पहलों के माध्यम से भी हिंदी भाषा को बढ़ावा दिया गया है।  दुनिया भर में कई विश्वविद्यालय और संस्थान हिंदी भाषा पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।  इससे गैर-हिन्‍दी भाषियों के लिए हिंदी सीखना और बोलना संभव हो गया है।

हिन्‍दी का वैश्विक प्रभाव

हिंदी का वैश्विक प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में देखा जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

राजनीति

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, और हिंदी इसकी आधिकारिक भाषा है। भारतीय राजनीति में हिंदी के प्रयोग का उसके घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। भारत सरकार संचार और प्रशासन के लिए अपनी प्राथमिक भाषा के रूप में हिंदी का उपयोग करती है। भारतीय संसद अपनी कार्यवाही हिंदी और अंग्रेजी में करती है, और सभी कानून और विनियम दोनों भाषाओं में प्रकाशित होते हैं।

विदेश नीति

हिंदी भारत की विदेश नीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हिंदी दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की भाषा है, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। सार्क बैठकों में हिंदी का उपयोग राजनयिक भाषा के रूप में किया जाता है, जो सदस्य देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में मदद करता है। संयुक्त राष्ट्र और गुटनिरपेक्ष आंदोलन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी हिंदी का उपयोग किया जाता है, जहाँ यह भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता का प्रतिनिधित्व करती है।

संस्कृति

हिंदी की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है, जिसका वैश्विक प्रभाव है। बॉलीवुड, भारतीय फिल्म उद्योग, हिंदी में फिल्मों का निर्माण करता है, जिन्हें दुनिया भर में लाखों लोग देखते हैं। बॉलीवुड की लोकप्रियता ने विश्व स्तर पर हिंदी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद की है। बॉलीवुड फिल्मों में संगीत और नृत्य क्रम भी लोकप्रिय हैं, और कई पश्चिमी संगीतकार और कलाकार हिंदी संगीत से प्रभावित हुए हैं। बॉलीवुड, हिंदी फिल्म उद्योग, उत्पादित फिल्मों की संख्या के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है, और इसके वैश्विक दर्शक वर्ग हैं।

साहित्य

हिन्दी साहित्य भी भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। कई हिंदी लेखकों ने प्रतिष्ठित साहित्य पुरस्कार जीते हैं, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार शामिल है। हिंदी साहित्य का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है, और इसने विश्व स्तर पर भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद की है।

धर्म और आध्यात्म

हिंदी धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है। हिंदी दुनिया के प्रमुख धर्मों में से एक हिंदू धर्म की संस्‍कृत के साथ एक अधिकारिक भाषा है। वेदों और भगवद गीता सहित हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं, जो हिंदी से निकटता से जुड़ी भाषा है। भारत के कई आध्यात्मिक संत और गुरु अपने अनुयायियों को पढ़ाने के लिए हिंदी का उपयोग करते हैं।

योग, भारत से उत्पन्न एक आध्यात्मिक अभ्यास है, जिसे अधिकतर हिंदी में सिखाया जाता है। मंत्रों का उपयोग ध्यान और आध्यात्मिक प्रथाओं में भी किया जाता है। योग और ध्यान की लोकप्रियता ने विश्व स्तर पर हिंदी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद की है।

व्यवसाय

भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, और हिंदी ने अपने व्यापार क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिंदी भारत में वाणिज्य की भाषा है, और कई व्यापारिक लेनदेन हिंदी में किए जाते हैं। व्यवसाय में हिन्दी के प्रयोग से विश्व स्तर पर हिन्दी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद मिली है। कई भारतीय कंपनियों की महत्वपूर्ण वैश्विक उपस्थिति है, और उनके संचार और ब्रांडिंग में हिंदी के उपयोग ने हिंदी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद की है। भारतीय व्यंजनों और फैशन की लोकप्रियता ने विश्व स्तर पर हिंदी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में भी मदद की है।

शिक्षा

हिंदी भारत में शिक्षा प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा है। हिंदी को स्कूलों में प्रमुख भाषा के रूप में पढ़ाया जाता है, और कई विश्वविद्यालय हिंदी साहित्य और भाषा में पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। भारत सरकार भी विश्व स्तर पर हिंदी शिक्षा को बढ़ावा देती है, और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम सहित कई देश अपने विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। हिंदी भाषा और संस्कृति की लोकप्रियता के कारण दुनिया भर में हिंदी भाषा के स्कूलों और सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना भी हुई है। ये संस्थान हिंदी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देते हैं और हिंदी बोलने वालों को जुड़ने और सीखने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष अंत में, हिंदी भाषा का राजनीति सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण वैश्विक प्रभाव है, कुल मिलाकर, हिंदी का प्रभाव कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, और वैश्विक मंच पर भारत का प्रभाव बढ़ने के साथ ही इसका महत्व बढ़ने की संभावना है।

हिंदी भाषा के वैश्वीकरण के सामने चुनौतियाँ

हिन्‍दी भाषा के वैश्‍वीकरण के सामने कई समस्‍याएं एवं चुनौतियों जिनमें प्रमुख चुनौतियां इस प्रकार है-

मानकीकरण की कमी

हिंदी भाषा के वैश्वीकरण को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।  सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक भाषा के मानकीकरण की कमी है।  भारत बहुभाषायी देश है इस कारण हिंदी में कई बोलियाँ हैं, और भाषा का स्‍पष्‍ट प्रभाव देखने को मिलता है, इस प्रभाव के कारण विश्‍व स्‍तर पर हिन्‍दी में मानकीकरण का दोष निरूपित करते है,क्‍योंकि इससे गैर-देशी वक्ताओं के लिए हिंदी सीखना और बोलना मुश्किल हो जाता है।  सबसे बड़ी बात, हिन्दी में अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग ने भाषा को कम मानकीकृत बना दिया है। भारत में ही शुद्ध हिन्‍दी बोलने वालों को आश्‍चर्य की तरह देखा जाता है ।

लिखित हिंदी के लिए कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मानक न होना और विभिन्न क्षेत्रों में हिन्‍दी के स्‍वयं की देवनागरी लिपि होने के बाद भी अन्‍य लिपियों विशेष कर रोमन लिपि का प्रयोग किया जाना हिन्‍दी को अमानकीकृत भाषा होने का भ्रम पैदा कर सकता है और हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में इस्तेमाल करना कठिन बना सकता है।

सरकारी समर्थन की कमी

हिंदी भाषा वैश्वीकरण के सामने एक और चुनौती सरकारी समर्थन की कमी है।  जबकि हिंदी को भारत में आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है, इसके बाद भी सरकार ने विश्व स्तर पर भाषा को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए हैं।  भारत सरकार को दुनिया भर के विश्वविद्यालयों और स्कूलों में हिंदी भाषा के कार्यक्रमों को वित्तपोषित करने जैसी पहलों के माध्यम से विश्व स्तर पर हिंदी भाषा के प्रचार में निवेश करने की आवश्यकता है।

युवा पीढ़ी में हिंदी के प्रति रुचि की कमी

युवा पीढ़ी में हिंदी के प्रति रुचि की कमी भी एक चुनौती है।  वैश्विक भाषा के रूप में अंग्रेजी की लोकप्रियता युवा पीढ़ियां में अधिक हैं। अंग्रेजी को वैश्‍वीक व्‍यपारिक भाषा के रूप में प्रचारित करके रोजगार की कामना से बच्‍चों को अंग्रजी माध्‍यम के स्‍कूल में पढ़ाया जाना रूचि में कमी का प्रमुख कारण है । हिन्‍दी की तुलना में अंग्रेजी बोल कर युवा पीढ़ी अपने आप को अधिक शिक्षित और सभ्‍य समझने की भूल कर रही है ।

सीमित अंतरराष्ट्रीय मान्यता:

यद्यपि हिंदी भारत और कुछ अन्य देशों में व्यापक रूप से बोली जाती है, फिर भी इसकी अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में सीमित मान्यता है, विशेष रूप से व्यापार और शैक्षणिक दुनिया में।

अंग्रेजी का प्रभुत्व:

अंग्रेजी वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय संचार की प्रमुख भाषा है, और दुनिया भर में कई लोग इसे हिंदी के बजाय दूसरी भाषा के रूप में सीखते हैं।

भाषा संसाधनों की कमी:

हिंदी सीखने वालों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले भाषा संसाधनों, जैसे पाठ्यपुस्तकों, ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और शब्दकोशों की कमी भी हिन्‍दी के वैश्‍वीकरण में बाधक है ।

वैश्विक मीडिया तक सीमित पहुंच:

हिंदी-भाषी मीडिया, जैसे कि बॉलीवुड फिल्में और टीवी शो, मुख्य रूप से हिंदी-भाषी दर्शकों द्वारा उपभोग किए जाते हैं, जो वैश्विक दर्शकों के लिए भाषा के प्रदर्शन को सीमित करता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सीमित उपयोग:

कई वैज्ञानिक और तकनीकी शब्द अभी तक हिंदी में मानकीकृत नहीं हुए हैं, जिससे इन क्षेत्रों में भाषा का उपयोग करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

सीमित धन:

हिंदी भाषा के कार्यक्रमों और संसाधनों को पर्याप्त धन प्राप्त नहीं हो रहा है, जो वैश्विक स्तर पर उनके विकास और वितरण में बाधाक है।

हिंदी भाषा के वैश्वीकरण की चुनौतियों से उबरने के उपाय

हिंदी भाषा के वैश्वीकरण की चुनौतियों से पार पाने के लिए यह उपाय करना ही होगा-

  • मानकीकरण: हिंदी के मानकीकृत लिखित रूप का विकास एक वैश्विक भाषा के रूप में इसके उपयोग में सुधार कर सकता है और शिक्षार्थियों के लिए इसे समझना आसान बना सकता है। इसलिए हिन्‍दी को उनके स्‍वयं की लिपि देवनागरी में ही लिखना चाहिए और हिन्‍दी लिखते-बोलते समय हिन्‍दी के मूल शब्‍दों का अधिकाधि प्रयोग करना चाहिए अन्‍य बोली, भाषा के शब्‍दों के अनावश्‍यक प्रयोग से बचना चाहिए ।
  • भाषा संसाधन: अधिक उच्च गुणवत्ता वाले भाषा संसाधन, जैसे पाठ्यपुस्तकें, ऑनलाइन पाठ्यक्रम और शब्दकोश, हिंदी सीखने वालों को भाषा तक आसानी से पहुंचने में मदद करना चाहिए।
  • अंतर्राष्ट्रीय मान्यता बढ़ाएँ: व्यापार और शैक्षणिक संचार के लिए एक महत्वपूर्ण भाषा के रूप में हिंदी की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
  • अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी को बढ़ावा दें: अंतरराष्ट्रीय संचार में इसके उपयोग पर अधिक जोर देते हुए हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में अंग्रेजी के साथ-साथ बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • शुद्ध हिन्‍दी का प्रयोग: गैर-हिन्‍दी भाषायीं वक्ताओं के लिए इसे अधिक सुलभ और समावेशी बनाने के लिए हिंदी में अहिन्‍दी बोली, भाषाओं से बचते हुए शुद्ध हिन्‍दी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने के प्रयास किया जाना चाहिए।
  • वैश्विक मीडिया के लिए एक्सपोजर: अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए अधिक सामग्री तैयार करके हिंदी भाषा के मीडिया को वैश्विक दर्शकों के लिए अधिक सुलभ बनाया जाना चाहिए।
  • वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली का विकास: इन क्षेत्रों में हिंदी के उपयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए मानकीकृत वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली विकसित की जानी चाहिए।
  • सांस्कृतिक कूटनीति: हिंदी संस्कृति और कला के प्रचार-प्रसार को विश्व स्तर पर भाषा को बढ़ावा देने और इसकी मान्यता में सुधार के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • राजनीतिक और सामाजिक समावेशिता: राजनीतिक या सामाजिक समस्‍याओ के परवाह किए बिना हिंदी को सभी के लिए एक भाषा के रूप में बढ़ावा देने के प्रयास किया जाना चाहिए ।
  • धन में वृद्धि: वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा के कार्यक्रमों और संसाधनों के विकास और वितरण में सुधार के लिए अधिक धन उपलब्‍ध कराया जाना चाहिए।

निष्‍कर्ष

हिन्‍दी भाषा के वैश्‍वीकरण अनेक चुनौतियां होने के बाद भी निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है हिन्‍दी भाषा का प्रभाव विश्‍व में बढ़ रहा है । इंटरनेट में हिन्‍दी सामाग्री की उपलब्‍धता दिनों दिन बढ़ रही है । भारत में स्‍थानीय भाषा में शिक्षा देने की शिक्षा नीति से तकनीकी शब्‍दों का विकास हिन्‍दी में हो रहा है इसका ताजा उदाहरण मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा चिकित्‍सा की शिक्षा हिन्‍दी में करने का विकल्‍प प्रस्‍तुत किया है । यद्यपि यह शुरूआत है किन्‍तु यह सुनहरे भविष्‍य का दिक्दर्शन है ।

अभिभावकों को अंग्रेजी माध्‍यम में बच्‍चों को पढ़ाने की ललक को त्‍यागना चाहिए, अंग्रेजी को एक भाषा के रूप में पढ़ने-पढ़ाने में कोई समस्‍या नहीं है किन्‍तु अंग्रेजी माध्‍यम में शिक्षण के प्रचलन को अनिवार्य रूप से त्‍यागना होगा ।

युवा पीढ़ी को हिन्‍दी के प्रभाव को बढ़ाने में आगे आना ही होगा हिन्‍दी को रोमन लिपि में लिखना छोड़ना ही होगा, हिन्‍दी में अंग्रेजी के बहुलता कर रहे प्रयोग को बंद करना ही होगा ।

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