गोपाल कृष्ण पटेल के दूठन छत्‍तीसगढ़ी कविता

गोपाल कृष्ण पटेल के दूठन छत्‍तीसगढ़ी कविता
गोपाल कृष्ण पटेल के दूठन छत्‍तीसगढ़ी कविता

Gopal-Krishana-Patel-ki-chhatisgahri-kavita

chhatisgahri-kavita-मजबूर हे मजदूर

करोना के डर ले, डरागिन सब मजदूर।
काम होइस बंद,घर जाय बर मजबूर।।

घर ले कतका दूर हे, पइसा  के चाह।
रद्दा सब्बो बंद हे, कइसे हो निर्वाह।।

मिले के चाह अड़बड़ हे, कइसे हे परिवार।
जुरमिलके सह लेबो, करोना के मार।।

कइसे हमर जिनगी,सदा रहय लचार।
अब तक देखे निहि,रंग भरे तिहार।।

हमर किस्मत म लिखे हे, बस दुख के सउगात।
काल कहीं "घर भेज देवव",हमर का अवकात।।

रोज कमाई पेट के, होगे हे मंद।
अब कइसे जिनगी चलय,सब्बो रद्दा बंद।।

जीबो मरबो सब होगे, करोना के हाथ।
हमनके एक्के आस हे संगी दीहि साथ।।

सब्बो साथी चल दिन, पइदल अपन गांव।
हिम्मत नई हारिस, छाला बाला पांव।।

chhatisgahri-kavita-दू लाइन लिख देवव

"दू लाइन लिख देवव"


दूू लाइन लिख देवव,
जमाना के दस्तूर ला।
रोटी दू वक्त के,
मिल जाये गरीब ला।।


दूू लाइन लिख देवव
अगुवा उन सयानों ला।
कोर्रा सपना दिखाथे,
भूखा-गरीब जमाना ला।।


दूू लाइन लिख देवव
देश के ओ जवान ला।
कभु झन टूटे देवन, 
उम्मीद के मकान ला।।


दूू लाइन लिख देवव
आत्मनिरभरता होवैया ला।
तपो-भूइयाँ हे धरा,
दिखा देवव जग वाला ला।।


दूू लाइन लिख देवव,
देश के वीर जवान ला।
वतन के हावे रखवाला,
अलबेला अउ मस्ताना ला।।


दु लाइन लिख देवव,
वीर-सपूत कहलाथे।
देश के रक्छा खातिर,
परान न्यौछावर कर जाथे।।


दूू लाइन लिख देवव,
सम-भाव,भाईचारा रहय।
हम सब्बो एक हन एक रहीन,
गरब ले सीना तने रहय।।
-गोपाल कृष्ण पटेल "जी 1"
दीनदयाल कॉलोनी
जांजगीर-चाम्पा छत्तीसगढ़

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One thought on “गोपाल कृष्ण पटेल के दूठन छत्‍तीसगढ़ी कविता

  1. वाह वाह बहुत सुन्दर कविता

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