हमारी परम्परायें और उनमें छिपी वैज्ञानिकता-लोकेश्वरी कश्यप

हमारी परम्परायें और उनमें छिपी वैज्ञानिकता-तिलक लगाने का विज्ञान

-लोकेश्वरी कश्यप

हमारी परम्परायें और उनमें छिपी वैज्ञानिकता-तिलक लगाने का विज्ञान
हमारी परम्परायें और उनमें छिपी वैज्ञानिकता-तिलक लगाने का विज्ञान

तिलक या टीका लगाने का महत्‍व-

तिलक का हिंदू, सनातन धर्म में एक विशेष महत्व होता है l तिलक के बगैर कोई भी शुभ कार्य शुरू नहीं किया जाता l तिलक माथे के बीचो-बीच लगाया जाता है l टीका लगाना स्त्री और पुरुष दोनों में प्रचलित है l विवाहित स्त्रियां अपने माथे पर दोनों भौहों के बीच में कुमकुम का तिलक / टीका लगाती हैं l जिसे हम बिंदी भी कहते हैं l यह एक छोटा सा बिंदी महिलाओं के चंद्रमा के समान मुखड़े पर चार चांद लगा देता है l इस बिंदिया के ऊपर ना जाने कितनी गीत कविताएं लिखी गई है l आधुनिक युग में फैशन परस्ती की वजह से अब कुमकुम का टीका लगाना बहुत कम हो गया है l अब रेडिमेंट आर्टिफिशियल बिंदिया बाजारों में उपलब्ध रहती हैं l किंतु जो महत्व और गुण रोली, चंदन, हल्दी या कुमकुम के टीके में हैं वह आर्टिफिशियल बिंदी में कहीं नहीं है l

वास्तव में तिलक लगाने का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व होता है लेकिन लोगों के मस्तक पर टीका लगा देखकर कुछ लोग सवाल करते है आखिर इससे क्या फायदा होता है ?

तिलक या टीका लगाने की मान्यताएं और कारण

वैसे तो तिलक विभिन्न कारणों से लगाया जाता हैl शास्त्रों के अनुसार घर में कोई शुभ कार्य हो, शादी, युद्ध, परीक्षा, मंदिर में देव दर्शन,कोई विशेष अवसर, पूजा अथवा कोई धार्मिक कर्मकांड हो तिलक की अपनी एक विशेष महत्व होता है l तिलक के बगैर यह सारे कार्य नहीं होते हैं l इन सभी कार्यों में तिलक लगाने की आवश्यकता पड़ती ही है l

  • स्त्रियां रूप निखारने के लिए बिंदी या टीका लगाती हैं l
  • पूजारी हमेशा तिलक लगते हैं l
  • तिलक या टीका लगाने से चेहरा सुंदर और आकर्षक लगता है l
  • ऐसा माना जाता है कि किसी शुभ कार्य के लिए जाते समय टीका अथवा तिलक लगाकर जाने से वह कार्य सिद्ध होता है l
  • मन की शांति के लिए भी तिलक लगाया जाता है l
  • तिलक को साधु – संतों की विशेष पहचान मना जाता है l
  • ऐसी मान्यता है कि छोटे बच्चों को काजल का टीका लगाने से उन्हें नजर नहीं लगती है या बुरी नजर से बचाव होता है l
  • तिलक लगाने से व्यक्तित्व प्रभावशाली लगता है l
  • मान्यता है इसे लगाने से आत्मविश्वास और आत्मबल में वृद्धि होती है l
  • ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तक में तरावट आती है. लोग शांति व सुकून अनुभव करते हैं. यह कई तरह की मानसिक बीमारियों से बचाता हैl

किन चीजों का तिलक लगाये

  • रोली, चंदन, घी, ग़ुलाल, सिंदूर, जल, भस्म, मिट्टी, कुमकुम, हल्दी इत्यादि का तिलक लगाना अच्छा मना जाता है l
  • छोटे बच्चों को काजल का टीका लगाया जाता है l बूरी नजर से बचाने के लिए l
  • चंदन का टीका मन को शांत करता है l
  • कुमकुम और सिंदूर का तिलक ऊर्जा का संचार करता है l
  • उत्सव के अवसर पर गुलाल का टीका लगानें की मान्यता है l
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और कई तरह की मुश्किलों से बचने में भी मदद मिलती हैl
  • शास्त्रों के अनुसार यह भी मान्यता है कि चंदन का तिलक लगाने से सौभाग्य में वृद्धि होती है l
  • लोग मानसिक शांति और ऊर्जा की प्राप्ति के लिए भी चंदन का तिलक लगाते हैं l
  • एक मान्यता यह भी है कि तिलक लगाने से उग्र स्वभाव के व्यक्ति के व्यवहार और स्वभाव में सुधार आता है l
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसी मान्यता है कि तिलक / टीका लगाने से ग्रहों की शांति होती है l
  • कुछ लोग गुप्त रूप से भी टीका लगते है जब तिलक लगाना हो और उसे सबसे छुपाना भी हो तब जल का टीका /तिलक लगाया जाता है l

अध्यात्म /वैज्ञानिक दृष्टिकोण-

योग शास्त्र के अनुसार शरीर में ऊर्जा के विभिन्न केंद्र होते हैं, जिन्हें अध्यात्म में योग शक्ति के द्वारा जागृत किया जाता है l इसपर नियंत्रण कर इस पर विजय प्राप्त की जाती है l योग शास्त्र के अनुसार हमारे शरीर में ऊर्जा के सात विभिन्न केंद्र या चक्र होते हैं l ऊर्जा के ये केंद्र अपार शक्ति के भंडार माने जाते हैं l इन्हें तप, ध्यान व योग के द्वारा जागृत किया जाता है l इन्हीं ऊर्जा के केंद्रों में एक केंद्र होता है हमारे दोनों भौहों के बीच माथे पर, जिसे की आज्ञा चक्र के नाम से जाना जाता है l आज्ञा चक्र को सबसे महत्वपूर्ण केंद्र मना जाता है l आज्ञा चक्र बुद्धि, स्पष्टता और मन का केंद्र माना गया है l जब योग करते हैं तब यहीं आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित किया जाता है l यहां पर शरीर की तीन प्रमुख नारियां क्रमशः इडा, पिंगला और सुषुम्ना आकर मिलती है l जिसे कि नाड़ी विज्ञान के अनुसार क्रमशः चंद्र नाड़ी, सूर्य नाड़ी और केंद्रीय या मध्य नाड़ी कहा जाता है l आज्ञा चक्र को गुरु चक्र भी कहा जाता है क्योंकि यही से पूरे शरीर का संचालन होता है यह हमारे शरीर का केंद्र स्थान माना गया है l

आज्ञा चक्र को हमारी चेतना का मुख्य स्थान माना गया है और इसे हमारे मन का घर भी कहा जाता है l यही वजह है कि तिलक या टीका हमेशा आज्ञा चक्र पर ही लगाया जाता है l जब उंगली से यहां पर तिलक लगाया जाता है तो एक विशेष दबाव उत्पन्न होता है जो इन नाड़ियों को उत्तेजित करता है और शरीर व मन का संचालन सही होता है l

  • आज्ञा चक्र पर चंदन का तिलक लगाने से मन शांत होता है और शीतलता प्राप्त होती है l
  • सिंदूर कुमकुम इत्यादि का तिलक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है l
  • विज्ञान के अनुसार तिलक लगाने से दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है, जिससे उदासी दूर होती है और मन में उत्साह उत्पन्न होता है l
  • मान्यता है कि चंदन का तिलक लगाने वाले का घर अन्न-धन से भरा रहता है और सौभाग्य में वृद्धि होती है l

इस प्रकार से हम देखते हैं कि तिलक या टीका लगाने का सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शास्त्रीय और वैज्ञानिक पहलू भी है l हमारे ऋषि मुनियों, आचार्यो ने बहुत अध्ययन और शोध के बाद यह ज्ञान प्राप्त किया l समाज के सभी लोग ज्ञान के इस विज्ञान को अपने जीवन में उतारे इसके लिए उन्होंने बहुत ही सुंदरता से इसे विभिन्न मान्यताओं, रीति-रिवाजों और परंपराओं के रूप में हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बना दिया l अतः हमें चाहिए की हम अपने सनातन परम्पराओ, रीति रिवाजो, मान्यताओं का सम्मान करें l इन परंपराओं और रीति-रिवाजों में छुपे ज्ञान-विज्ञान और सकारात्मकता को समझें,ग्रहण करें और उस पर गर्व करें l इन परंपराओं और रीति-रिवाजों को दकियानूसी कहने से पहले इनका पूरा अध्ययन करें,मनन करें और इनके वैज्ञानिक पहलुओं को समझने की कोशिश करें l

स्रोत: http://hplokeshwarikashyap.blogspot.com

लोकेश्वरी कश्यप
शासकीय प्राथमिक शाला सिंगारपुर जिला मुंगेली,छत्तीसगढ़

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