अभिनंदन नववर्ष
अभिनंदन नववर्ष Happy new year
सुरता परिवार के सभी रचनाकारों, सभी पाठकों एवं शुभचिंतकों को आंग्ल नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं । इस अवसर पर आप काव्य पुष्प-गुच्छ का यह उपहार स्वीकार करें –
अभिनंदन नववर्ष
नूतन वर्ष अभिनंदन (दोहे)-
नूतन वर्ष अभिनंदन, अभिनंदन सत्कार ।
खुशियों से सरोबर हो, सबका घर संसार ।।
प्रियवर मैं क्या दूॅ भला , तुम्हें कुछ उपहार ।
सौंप दिया मैं तो तुझे, निज जीवन पतवार ।।
नया वर्ष तो आज हैे, शुभकामना अशेष ।
मिटे आपका क्लेश-दुख, रब से कहे ‘रमेश’।।
अभिनंदन नववर्ष (दुर्मिल सवैया)-
अभिनंदन पावन वर्ष नया
दुख नाशक हो सुख ही करिये ।
नव भाग्य रचो शुभ कर्म कसो
सब दीनन के घर श्री धरिये ।
परिवार सभी परिवार बने
मन द्वेष पले उनको हरिये ।
जग श्री शुभ मंगलदायक हो
सुख शांति चराचर में भरिये ।।
सोच रखिये चिर-नूतन (कुण्डलियॉं)-
नित नव नूतन नवकिरण, दिनकर का उपहार ।
भीनी-भीनी भोर से, जाग उठा संसार ।।
जाग उठा संसार, खुशी नूतन मन भरने ।
नयन नयापन नाप, करे उद्यम दुख हरने ।।
सुन लो कहे ‘रमेश’, सोच रखिये चिर-नूतन ।
वही धरा नभ सूर्य, नहीं कुछ नित नव नूतन ।।
मन की आकांक्षा (चौपाई)
अधिकारों से कर्तव्य बड़ा । जिस पर जड़ चेतन जीव खड़ा
धर्म नहीं हर कर्म अमर है । मौत क्या यह जीवन समर है
जीवन को हम सरल बनायें । चुनौतियों को विरल बनायें
नयनों में क्यों नीर बहायें । दृग को पहरेदार बनाये
देह नहीं मन को दुख होता । नयन नहीं अंतस ही रोता
मन चाहे तो दुख सुख होवे । मन चाहे तो सुख में रोवे
कष्टों से माँ शिशु जनती है । पर मन में तो सुख पलती है
दुखद विदाई बेटी का पर । दृग छलकें खुषियाँ धर
पीर देह की नहिं मन की गति । मन में यदि चिर-नूतन मति
मन की आकांक्षा वह कारक । मन की मति सुख-दुख धारक
-रमेश चौहान, संपादक, सुरता