पांच सात पांच (जापानी विधा में हिन्दी कवितायें)

पांच सात पांच (जापानी विधा में हिन्दी कवितायें)

-रमेशकुमार सिंह चौहान

‘पांच सात पांच’ मेरी (रमेश चौहान) लिखी गई जापानी विधा में हिन्दी कविताओं का संग्रह है । इस संग्रह कुछ चुनिंदा कविताएं यहां प्रस्‍तुत की जा रही हैं ।

जापानी विधा में हिन्दी कवितायें
जापानी विधा में हिन्दी कवितायें

हाइकु

1. हे गजानन

कलम के देवता

रखना लाज ।

2. ज्ञान दायनी

हर लीजिये तम

अज्ञान मेट ।

3. आजादी पर्व

धर्म-धर्म का पर्व

देश का गर्व.

4. पाले सपना ?

आजादी के सिपाही

मिले आजादी ?

5. स्वतंत्र तंत्र 

विचार परतंत्र

देश स्वतंत्र ?

तांका

1. तितली रानी

सुवासित सुमन

पुष्प दीवानी

आलोकित चमन

नाचती नचाती है ।

2. पुष्प की डाली

रंग बिरंगे फूल

हर्षित आली

मदहोश हृदय

कोमल पंखुड़ियां ।

3. जुगनू देख

लहर लहरायें

चमके तारे

निज उर प्रकाश

डगर बगराये ।

4. कैसी आशिकी

जल मरे पतंगा

जीवन लक्ष्य

मिलना प्रियतम

एक तरफा प्यार ।

5. चिंतन करो

चिंता चिता की राह

क्या समाधान

व्यस्त रखो जी तन

मस्त रखो जी मन ।।

चोका 

1. पहेली बूझ !

जगपालक कौन ?

क्यो तू मौन ।

नहीं सुझता कुछ ?

भूखे हो तुम ??

नहीं भाई नही तो

बता क्या खाये ?

तुम कहां से पाये ??

लगा अंदाज

क्या बाजार से लाये ?

जरा विचार

कैसे चले व्यापार ?

बाजार पेड़??

कौन देता अनाज ?

लगा अंदाज 

हां भाई पेड़ पौधे ।

क्या जवाब है !

खुद उगते पेड़ ?

वे अन्न देते ??

पेड़ उगे भी तो हैं ? 

उगे भी पेड़ !

क्या पेट भरते हैं ?

पेट पालक ??

सीधे सीधे नही तो

फिर सोच तू

कैसे होते पोषण

कोई उगाता

पेड़ पौधे दे अन्न

कौन उगाता ?

किसका प्राण कर्म ?

समझा मर्म

वह जग का शान

वह तो है किसान ।

2. घने जंगल

वह भटक गया 

साथी न कोई

आगे बढ़ता रहा 

ढ़ूंढ़ते पथ

छटपटाता रहा

सूझा न राह

वह लगाया टेर

देव हे देव

सहाय करो मेरी

दिव्य प्रकाश

प्रकाशित जंगल

प्रकटा देव

किया वह वंदन

मानव है तू ?

देव करे सवाल

उत्तर तो दो

मानवता कहां है ?

महानतम

मैंने बनाया तुझे

सृष्टि रक्षक

मत बन भक्षक

प्राणी जगत

सभी रचना मेरी

सिरमौर तू

मुखिया मुख जैसा

पोषण कर सदा ।

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