Hindi translation of the poems of Azam Obidov अज़ाम अबीदोव की कविताओं का हिन्‍दी अनुवाद-अनुवादक प्रोफेसर रवीन्द्र प्रताप सिंह, भाग-2 (-Translator Professor Ravindra Pratap Singh)

अज़ाम अबीदोव की कविताओं का हिन्‍दी अनुवाद (Hindi translation of the poems of Azam Obidov, A represntative poet of English and Uzbek fromUzbekistan)

अनुवादक प्रोफेसर रवीन्द्र प्रताप सिंह (Translator Professor Ravindra Pratap Singh)

Hindi translation of the poems of Azam Obidov

Hindi translation of the poems of Azam Obidov
Hindi translation of the poems of Azam Obidov

गतांक भाग-1 से आगे

Hindi translation of the poems of Azam Obidov-

11. ईश्वर निद्रामग्न हुए बैठे हैं (God is sleeping)

Hindi translation of the poems of Azam Obidov- “God is sleeping”

बूढा साँप चढ़ा बैठा मेरे कन्धों पर
खोल नहीं सकता मैं आँखें
न होठों को तनिक हिलाऊँ
करने परवरदिगार का शुक्राना।
करैला भी देखो चढ़ा नीम
बारिश होती मूसलाधार
फ़ैल रहा हूँ देखो मैं
इससे ज्यादा क्या कहें और
मेरे बोझिल दिल में ईश्वर
निद्रामग्न हुए बैठे हैं !

12. एक अदद हाइकु (A haiku)-

आज़ादी से भरती आत्मा
तेज़ रोशनी जैसे दमके, उधर तुम्हारी बुझी ख्वाहिशें
तुमने कोई ख्वाब न देखा !

13. याद आती है (I miss)

याद आते हैं
पेड़ गाते हुए
तैरते जाता हुआ सूरज ।
समय फिर से छतों पर भागता
तुम्हे याद हैं -ये रहमतें!
कैसे पा लूँ छुटकारा इन संगीतों से
जो खींच याद में ला देते गुज़रा एक जमाना
हाँ , बिना कुछ मज़े बताये ।
याद मगर आती है
याद मगर आती है !

14. अनछुये ख्वाब (Virgin dreams)

Hindi translation of the poems of Azam Obidov- “Virgin dreams”

हरेक रात एक तारा छूता है मेरी पलकें
और निकलता है चाँद -भौहों से ।
रुह के दर पे दे आहट
दुःखभरी रात चली आती मेहमान बनी,
आँखों में।
क्योंकि मुहब्बत है यहाँ ,
हर रात अनदेखी तो नहीं कर सकते!
अनछुये ख्वाब
मेरे सीने पर दे छाप,
खींच ले जाते भरे आसमान
अरे, आप तो हैं ही नहीं मेरे पास
और हम अकेले तो उड़ नहीं सकते !

15. मेरी बासंती रूह (Oh! My blossoming soul)

Hindi translation of the poems of Azam Obidov- “Oh! My blossoming soul”

ताकतवर तो हूँ , निकल जायेंगे आँसू आँखों से
जंजीरों से बांध अपने हाथ
हमेशा पीता हूँ प्रेम
और निगलता हूँ प्रेम के शूल ख़ुशी ख़ुशी
और हाँ , फीनिक्स आती है
मेरी जिंदगी में , जिंदगी जो रौबदार है ग़मों में भी।
उड़ते हैं हम , और हाँ , अपने डैनों से
आता है आसमान नज़दीक , और नज़दीक !
अपने जिस्म की परवाह नहीं है मुझे
मेरी बासंती रूह बस्ती है -मेरे जज़्बे की
भले है यह मलिन बेनाम , लेकिन समेटे मुहब्बत,
और हाँ , ये ख़ुशी हामला है , ले खुशियां !

16. अलविदा (Goodbye)

Hindi translation of the poems of Azam Obidov- “Goodbye”

जाने भी दो , खींच लो अपने हाथ ,मेरे दिल से
आज़ाद करो मेरी रूह , जो रुख किये है तुम्हारी ओर ,
मेरे ख़्वाब- अलविदा , जिसने मुझे खुद की पहचान दी !
अलविदा ये जगह , ग़म भरी -ग़म भरी !
जाने भी दो , हर ख़ुशी को हटाना है मुझे
वैसे भी अलग होने हैं , रास्ते तुम्हारे हमारे !
मालूम है मुझे , तुम रहोगी बाक़रा,
पाक़, बिलकुल पाक़ , जैसे हो तुम !
मुझे जाने दो , खुदा से कहूंगा , तुम्हे बख्शे बड़ी उमर!
जाने दो मुझे , छोड़ना है मुझे हरेक चीज़
लड़खड़ाता रहा मेरा दिल , तुम्हारी नज़रे इनायत के लिये
मर भी जाऊँ तो क्या ,
मेरी शफ़्फ़ाक़ मुहब्बत के साथ
जाने दो।

17. मुझे मिलेगी मेरी प्रियतम (I will find a Beloved)

Hindi translation of the poems of Azam Obidov-“I will find a Beloved”

रात संग फिक्रें ले आती
अरे, कहाँ हो , देखें तुमको
भाव यहाँ पे कितने व्याकुल
मैं बेचारा पड़ा अकेला !
तीखे और अश्रु रोओ ,तुम नैन हमारे,
बुझ भी जाओ , तो भी मैं बस ठीक कहूंगा,
कहीं गुजर है नहीं हमारी , दुनिया भर में
क्या आसमान हमको ले लेगा , सोच रहा हूँ ।
चाँद , अरे तुम दिल न तोड़ो ,
रात गये मत छुप जाना ।
खिड़की बन कर मुझे दिखाना ,
चमत्कार का देश कहाँ है ।
लेकर रोशन पास सितारा ,
तुम तक मैं आ पहुँचूँगा।
आगे जब मैं बढ़ जाऊंगा
इस दुनिया का इंशा हूँगा ।
मुझे मिलेगी मेरी प्रियतम ,
शुचिता में सर्वोपरि होगी ।
नाम वफ़ा मैं उसको दूंगा ,
चमत्कार दे उसे तख़ल्लुस।
घिर घिर आती रात दीखती,
दिल फिर से हरकत में आता ।

18. आशिक़ शाइस्ता (Earnest Lover)

Hindi translation of the poems of Azam Obidov-“Earnest Lover”

सब्र के आगे सपनों का रुख
बहुत जल्द ही बरस इनायत तर कर देगी।
पत्थर शहर तुम्हारा दिल भी , नर्म , और है भरे मुहब्बत
थोड़े गर्म जोश ले आते मजबूती से !
दया तुम्हारी और करिश्मा ,अच्छी पारी खेलेंगे
और तुम्हारी तस्वीरों पर उभरेगी इक नयी इबारत !
चाहे जो भी करो , जिंदगी का मणि बतलाने में ,
शाइस्ता आशिक़ को आज़म कभी न भूलो !

19. एक कौआ (A Crow)

थोड़ा नीचे होकर उड़ता
तीन पथिक के ऊपर कौआ
गुजर रहे हैं तीनो कहते अपने वतन के किस्से।
कौआ ‘बाज़ ‘ सोचता
खुद को ,
उड़ने लगा खूब ऊपर ।
तीनो पथिक देखिये
लगते अपनी मातृभूमि के कौए !

20. शैरी  ऐशवर्थ  को (To Sherry Ashworth)

अलस्सुबह
दो बिल्लियां खोलती हैं खिड़कियां
और सुलझातीं कम्प्यूटर।
और लिखतीं हैं अपनी कहानी तरतीबवार
बारिश उधर गली में मूसलाधार
और दूर से आती जोर जोर संगीतें
मिलने को बेक़रार अरुण
खुश हाल दिवस से ।
देख रहा है लेखक
चमकीला उज्बेकिस्तान
और नींद में-
यात्रा बस !

-अनुवादक प्रोफेसर रवीन्द्र प्रताप सिंह

मूल कविता –The poems of Azam Obidov

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