कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग 38 एवं 39-बुद्धिसागर सोनी “प्यासा”

गताँक (कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग 36 एवं 37) से आगे

कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग 38 एवं 39

-बुद्धिसागर सोनी ‘प्‍यासा’

कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग 38 एवं 39-बुद्धिसागर सोनी "प्यासा"
कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग 38 एवं 39-बुद्धिसागर सोनी “प्यासा”

कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग 38

……।।ःः वाधिकारस्ते ःः।।…….
निष्कामयोग


यह महासमर इतिहास बने तो
नियति तुम्हारे साथ रहे
बनना है इतिहास तुम्हें तो
कर्मों की भाषा याद रहे

क र्म ण्ये वा धि का र स्ते्
जीवन की परिभाषा है
जीवन सरिता मृत्यु किनारा
मौज में आशा और निराशा है

आशाओं की सतत् साधना
सत्कर्मों का लेकर साथ
मानव चाहे तो गढ़ सकता
सृष्टि पट पर नव इतिहास

इस महाप्राण की बेला का
आओ अभभिनन्दन कर लें
जिस धारा बह जाये नियति
हम उसका स्पन्दन बन लें

जागो किरीट मातृशक्ति ने
आज तुम्हें ललकारा है
जिसने जना उसी जननी ने
तुमसे आहुति माँगा है

विषमताओं का जाल फैलता
हर की हाँडी अलग बोलता
मन बेचारा खूब खौलता
दुस्साहस को परें तौलता

मौन रहे ना वाणी के वर
जगती को देकर अपना स्वर
लौटा दो नियति को उसका
पराभूत खोया सत्वर

आओ तुमको राज बता दूँ
सृष्टि का अनुराग बता दूँ
नियति के कुछ साज सुना दूँ
नियति का हमराज बना दूँ

श्रद्धा का कर लो अर्जन
धर्म पूर्ण हो जायेगा
कर्तव्यों का कर लो सृजन
अर्थ यही कहलायेगा

काम मोक्ष तो पैरों चलकर
पास तुम्हारे आयेगा
जीवन सत्वर मिल जायेगा
अस्तित्व अमर हो जायेगा

कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग 39

…….।।ःः वाधिकारस्ते ःः।।……. 

निष्कामयोग
             


पार्थ युद्धपथ चलकर तुमको
नियति का सपना    बुनना है
सँघर्षों के   बाद     मिलन है
सुन लो नियति का कहना है

तू रहे फलक में  और बिखेरे
स्नेह  किरण    की     छाया
तेरे तन को     छू     ना पाये
चन्द्रग्रहण       का     साया

नियति  अपने     आँचल में
तेरा    सब  सँताप  छिपाये
जीवन धारा    खुद ही काटे
तुम्हें  किनारे तक  ले  जाये

और   तुम्हें   क्या  करना है
निमित्त  मात्र ही    बनना है
चिर प्रतीक्षित होनी  मितवा
तुमको  तो  बस   लड़ना है

हे पार्थ!   तुम्हारी    सृष्टि का
उद्देश्य   पूर्ण   हो   सकता है
तुम     चाहो तो    नियति का
अभिशाप खत्म हो सकता है
             #####

 /इति निष्काम योग/

 -बुद्धिसागर सोनी "प्यासा"
   रतनपुर,7470993869

शेष अगले भाग में

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