गताँक (कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग 38 एवं 39) से आगे
कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग 40 एवं 41
-बुद्धिसागर सोनी ‘प्यासा’
कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग 40
……..।।ःः वाधिकारस्ते ःः।।…….
होनी
होनी क्या है जानो तुम
समझो होनी की प्रत्याशा
आओ तुमको आज बता दूँ
क्या है होनी की परिभाषा
जैसे पग पग बढ़ जाने से
हर पग बनता आयाम नया
वैसे ही कर्मों की श्रृँखला
गढ़ जाता है अंजाम नया
फाल्गुनो तुम मान लो कहना
होनी की प्रत्याशा बनकर
पूरी करो उसकी अभिलाषा
रण भूमि में आगे बढ़़कर
अरिदल और स्वदल में देखो
जितने योद्धा आज लड़ेगें
क्या तुम मुझे बता सकते हो
कितने योद्धा आज मरेगें
यह तो होनी पर निर्भर है
किसको अपना ग्रास बनाये
जिसका जितना साँस बदा है
वह तो उतना चलता जाये
स्व-विवेक निश्चय से मानव
सु-पथ बना सकता है
सत्कर्मों के संचय से मानव
सौभाग्य बना सकता है
होनी का निश्चय था अर्जुन
युद्धभूमि में तुम्हें लड़ाना
मेरी भी होनी है अर्जुन
एक नया गीता गढ़ जाना
ना तुम होनी से लड़ सकते
ना ही होनी मेरे वश में
वह तो अपना राह चलेगी
कर नियति को अपने वश में
इसलिये कहूँ हे मित्र उठो
नियति के संग साथ चलो
होनी की प्रत्याशा समझो
अंर्तमन का अभिशाप दलो
ऐसा कर्म करो तुम भाई
कर्मों का इतिहास बने
इतिहास बन गया कर्म तो
समझो तुम भी तो इतिहास बने
कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग 41
……..।।ःः वाधिकारस्ते ःः।।…….
होनी
तुम पर ही निर्भर है अर्जुन
पीठ दिखाना या लड़ जाना
शायद मेरे वश में नही है
सव्यसाची तुमको समझाना
पूछ लो भीतर के अर्जुन से
फिर कोई निश्चय ठहराना
हाथ से निकले तीरों का
काम नहीं फिर लौट के आना
मन का अर्जुन लड़ना चाहे
होनी को वह समझ रहा है
वह भी समझे तेरे भीतर
कोई लावा सुलग रहा है
ज्वालामुख बन जा तू भारत
महासमर की ज्वाल जगा
होम कर नरमुण्ड समिधा
शोणित सरित लावा बहा
भू-पर गिराकर शत्रु को
होनी का पथ प्रशस्त कर
नियति कहे सुन सुमुखे
हाथों में मृत्यु शस्त्र धर
तुम क्या जानो महासमर में
क्या क्या होने वाला है
अपने पराये सब हाथों में
महासमर का हाला है
विष से बुझे तीरों का
रण भूमि में नर्तन होगा
किसके हाथों कौन मरेगा
किसका मृत्यु वरण होगा
भाला बरछा तलवारों का
खनखन तुम्हें सुनाई देगा
रण भूमि से परे चीखती
चीत्कारों को कौन सुनेगा
मिथकों में मत जाना अर्जुन
ऐसा नहीं होने वाला
सीमित रह जाये रणभूमि तक
इस महासमर की रणज्वाला
जाने कितनी अबलाओं के
आहों से धरती डोलेगी
जाने कितने आशाओं के
ढहने से धरती बोलेगी
-बुद्धिसागर सोनी "प्यासा" रतनपुर,7470993869
शेष अगले भाग में-कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग 42 एवं 43