परिचय-
छायावादी खंडकाव्य ‘कर्मयेवाधिकारस्ते'( karmnewadhikarste) श्री बुद्धिसागर सोनी, रतनपुर छत्तीसगढ की कृति है । इस कृति में रचनाकार कर्म के महत्व को बहुत रोचक किन्तु सहज भाव से प्रस्तुत किया है । इस खण्ड़ काव्य को धारावाहिक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है-
खण्ड- कर्मण्ये
गतांक से आगे भाग-2
![karmnewadhikarste-2](https://www.surta.in/wp-content/uploads/2020/08/PicsArt_08-30-08.59.01-979x1024.jpg)
‘कर्मण्येवाधिकारस्ते’ भाग-2 karmnewadhikarste-2
नवसृष्टि का सृजन कहे उठ जाग अरे ओ मूढ़मते कुछ काम नया अंजाम नया करता जा चलते चलते तू नहीं तो कुछ भी नहीं यहाँ जो कुछ है तुम्हारा सत्वर है पग पग मिलता संग संग चलता हर साँसों में अवसर है निष्काम भाव से यत्न करो तुम कर्मयोगी हो कर्म करो तुम कर्ता हो सत्कर्म करो पथ में पैदा मर्म करो मन का कहना मानो तुम लेकिन इतना जानो तुम मिला विवेक वरदान तुम्हे बद बेहतर पहचानो तुम करो वही जो मन को भाये पीछे पीछे जग गुण गाये याद रखो तुम मेरी बात तुम तो हो मनु का सौगात कितने कृष्ण कबीर छिपे हैं कितने राम रहीम छिपे हैं पगले तेरे अंर्तमन में कितने जन्नत जागीर छिपे हैं क्यों व्यर्थ भागता मरुखण्ड पर क्यों व्यर्थ जागता कर्मदण्ड पर जीना है हर साँस को जी प्रारब्ध बसा है मुण्ड मुण्ड पर जितना विष बोया जाना था असुरों ने बो डाला है अब तेरी नियति के पथ नव संस्कृति आने वाला है नवसृष्टि का पथ रोके दँभी खड़े हुये हैं भगीरथ का राह रोकने ऐरावत अड़े हुये हैं नहीं मानने वाले ये सब समझाईश मनुहार से श्लाघा पथ निष्कंट करो निराशा के संहार से शठे शाठ्यम समाचरेत् जीवन का रीत यही है नियति के संग साथ चले बनता जगमीत वही है उठो धनंजय सत्व तुम्हारा तुम्हे पुकार रहा है याचनाओं का द्वंद छिड़ा मनुकुल कराह रहा है.
- सागर सोनी "प्यासा" बुद्धिसागर सोनी रतनपुर 7470993869