कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग-4 एवं भाग-5

कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग-4 एवं भाग-5

-बुद्धिसागर सोनी

कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग-4 भाग-5
कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते

कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग-4 एवं भाग-5

कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते गतांक से आगे

कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग-4

.कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते

बीते कल को देखा तुमने
भावी कल को देखा कौन
चंद इबारत बन जाता है
सत्वर साक्षी मौन

युग बदले हैं बदली सदियाँ
दिन बदलेगें नियति यही है
जिन हाथों ने युग बदले हैं
मत भूलो वे हाथ यही हैं

शेष बहुत हैं जीवन के क्षण
मन में यदि संकल्प बचा है
संकल्पहीन मानव जन तो
मृत्यु के आसन्न खड़ा है
चाहो कोई भी पथ चुनो
संघर्षों के ताने मत बुनो
काँटो से काँटे यार

कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग-5

।।कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते ।।.

बीते कल को देखा तुमने
भावी कल को देखा कौन
चंद इबारत बन जाता है
सत्वर    साक्षी    मौन

युग बदले हैं बदली सदियाँ
दिन बदलेगें नियति यही है
जिन हाथों ने युग बदले हैं
मत भूलो   वे हाथ यही हैं

शेष बहुत हैं जीवन के क्षण
मन में यदि संकल्प बचा है
संकल्पहीन मानव जन तो
मृत्यु के आसन्न   खड़ा  है

चाहो कोई भी पथ चुनो
संघर्षों के ताने मत बुनो
काँटो से काँटे यार निकल सकते हैं
हो चाह दीर्घ तो राह निकल सकते हैं

दंश सहा हो जिसने
शहद वही खा सकता है
पैर पसारे   नीचे ठाढ़े
रह  रहकर  पछताता है

अवसर तुमको ढूँढ़ रहा है
हर पग   हर गलियारे में
नजर उठाकर देखो प्यारे
क्यों खोये गिरजा गुरुद्वारे में

मिला विवेक वरदान तुम्हे
तुमने नियति को पहचाना
मानवता पशुता में  अंतर
क्या है      तुमने है जाना

जड़ तो जड़ है चेतन में भी
श्रेष्ठ    तुम्ही कहलाते  हो
तुम सरिता हो आगे बढ़कर
राह    बनाते     जाते  हो

यथार्थ वही मुट्ठी भर चाँवल
बाकी  सब   आडंबर  है
विश्वशिवम् हो   मूलमंत्र तो
यत्र – तत्र  किसका डर है

कदम बढ़ाओ नैन बिछाये
बैठी है   तकदीर  बावरी
कर्मभूमि है कुछ भी कर लो
कर्म कभी  जायेना खाली

-सागर सोनी “प्यासा”
बुद्धिसागर सोनी, रतनपुर
7470993869


शेष अगले भाग में-

कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग-6 एवं 7

Loading

2 thoughts on “कर्मण्‍येवाधिकारस्‍ते भाग-4 एवं भाग-5

  1. Pingback: Karmnyewadhikarste

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *