परिचय-
कर्मण्येवाधिकारस्ते (karmnyewadhikarste-3) श्रीमद्भागवत गीता के ज्ञान को संक्षेपीकरण वर्तमान परिवेश के आधार पर किया है ।
खण्ड- कर्मण्ये
गतांक से आगे भाग-3
कर्मण्येवाधिकारस्ते-
.............।।कर्मण्येःः।।.............. (karmnyewadhikarste) गहन निराशा दूर हटाओ आशाओं का दीप जलाओ आज दशहरा आज दीवाली कर्मों का आलोक जगाओ सव्यसाची तुम धनुष उठाओ दुनिया तो आनी जानी है क्या चीज यहाँ जो ठहर सके हर चीज यहाँ की फानी है नजर उठाकर देख सामने अरिदल में कौन खड़ा है तेरी मृत्यु प्रतीक्षा किनको जिन हाथों पला बढ़ा है कौन किसी का हुआ है जग में सब अपना अपना जीते हैं किया धरा हो जिसने जैसा मीठा - खारा पीते हैं आस रही तो संगी साथी साँस रही तो रिश्ते - नाते धड़कन धड़कन कहता जाये पलपल आते पलपल जाते सृष्टि से अंतिम साँसों तक मानवता का संघर्ष छिपा है इस महायुद्ध की पृष्ठभूमि में नवसृष्टि का उत्कर्ष छिपा है यह महासमर है गांडीवधर कायरता छोड़ो संग्राम करो नव युग आने वाला है उसका पथ संज्ञान करो दांत बतीसा रसना एक रहना चलना सदा ही नेक तब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत नहीं चूकने वाले बैरी तुम पल भर चूके अगर हे भारत, तुम संग्राम करो थाम लो सत्वर अपने कर कौन्तेय उठो संग्राम करो बैरी ललकार रहे हैं जननी का अपमान किया मनु पर हुँकार रहे हैं
- सागर सोनी "प्यासा" बुद्धिसागर सोनी रतनपुर 7470993869
शेष अगले भाग में .................
इसे भी देखें- सुंदर से सुंदर श्यामा