बाल साहित्य (नाटक): कवि के साथ
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

पात्र
मोखाया : कवि भालू
चिपीली : मोखाया का शिष्य , छोटा कवि
केबड़ : तोता , मोखाया का सहायक
बेबड़ : तोता , चिपीली का सहायक
काबू : हाथी , कविता का शौक़ीन
ओनू : बन्दर
सोनू : बन्दर
सुग्गू : गधा
लोबो : बच्चा , कवि
बोबो : बच्चा , कवि
स्थान : जंगल का एक भाग
समय : सूर्यास्त के थोड़ा पहले
(कवि मोखाया का आवास । मोखाया अपने शिष्य चिपीली के साथ धीरे धीरे गुनगुनाते हुये चल रहा है । बीच में एक कुर्सी रखी हुयी है । उसी के चारों ओर चक्कर काट रहे हैं , दोनों । विचारमग्न हैं ।मोखाया कोई गीत बनाने के क्रम में हैं , वे उसी को गा रहे हैं । चिपीली पीछे पीछे चल रहा है ।)
मोखाया : (गीत )
जंगल जीवन का दाता,
जंगल जीवन का दाता।
जंगल माता पिता हमारा ,
जंगल ही तो अपना भ्राता ।
चिपीली :(उन्ही पंक्तियों को दोहराता है ।)
जंगल जीवन का दाता,
जंगल जीवन का दाता।
जंगल माता पिता हमारा ,
जंगल ही तो अपना भ्राता ।
मोखाया : (गीत का शेष भाग )
जंगल करता अपनी रक्षा ,
प्राण, वंश, वैभव ,की रक्षा ,
जंगल में ही सभी सहारे ,
जंगल देता गीत हमारे ।
चिपीली :(उन्ही पंक्तियों को दोहराता है ।)
इस जंगल से अपनी रक्षा ,
प्राण, वंश, वैभव ,की रक्षा ,
जंगल में ही सभी सहारे ,
जंगल देता गीत हमारे ।
(मोखाया बहुत स्नेह भरी दृष्टि से चिपीली की तरफ देखता है । चिपीली गीत गाने में मग्न है । )
इस जंगल से अपनी रक्षा ,
प्राण, वंश, वैभव ,की रक्षा ,
जंगल में ही सभी सहारे ,
जंगल देता गीत हमारे ।
मोखाया : बेटा चिपीली , ये जंगल ही हम वन्य जीवों का सब कुछ है । हमारी माता , हमारा पिता , हमारे परिवार के जैसा ।
चिपीली : जी गुरूजी ! इसे से तो हमें सभी संसाधन प्राप्त होते हैं । यही है हमारे जीवन का सहारा ।
मोखाया : हमें सदैव अपने जंगल के बारे में सोचना चाहिए । इसकी रक्षा , इसे स्वच्छ और सुन्दर बनाने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए ।
चिपीली : जी गुरूजी , हमें अपने समुदाय , अपने देश , अपने जंगल के प्रति निष्ठावान होना चाहिए ।
मोखाया : शिष्य चिपीली , हमारे पूर्वजों ने प्रत्येक जंगलवासी के लिए एक प्रतिज्ञा निर्धारित की है । आप जानते ही होंगे !
चिपीली : जी गुरूजी , (सावधान की मुद्रा में खड़े होते हुये , प्रतिज्ञा के स्वर दोहराता है। )
हम जंगलवासी
अपने जंगल को
श्रेष्ठ स्वच्छ बनायें ।
हम जंगलवासी
अपने जंगल को
धरती पर स्वर्ग बनायें ।
हम इसके रक्षक प्राणी
ये रक्षक हम सबका …।
मोखाया (खुश होते हुये ): वाह ! वाह ! वाह , बेटा ! वाह बेटा चिपीली ! (आगे की पंक्ति बोलता हुआ।)
इसके प्रति कर्तव्य हमारा।
इसको अर्पित जीवन सारा ।।
(चिपीली अत्यंत विनम्रता से , अत्यंत आदर के साथ हाथ जोड़ कर सिर झुकाता है।)
मोखाया : वनदेवी आपको अच्छे रास्ते पर रखें , आप आगे बढ़ते रहें , स्वस्थ रहें , आनंदपूर्वक रहें , यही हमारा आशीर्वाद है बेटा।
चिपीली : बहुत- बहुत धन्यवाद, गुरूजी !
(अचानक काबू के आने की धप -धप आवाज़ आती है ।)
मोखाया : शायद काबू जी आ रहे हैँ ।
चिपीली (झाँकता हुआ ): जी -जी आ रहें हैं , वह !
(काबू का आगमन )
काबू : कवि लोगों को नमस्कार !
मोखाया : नमस्कार , काबू जी कैसे हैं आप !
काबू : ठीक हूँ , आपको आमंत्रित करने आया था ।एक आयोजन हैं हमारे क्षेत्र में परसों । मैं सोचता हूँ कि इसका शुभारम्भ कविता से हो ।
चिपीली : नमस्कार श्रीमान !
काबू : नमस्कार कवि चिपीली !
(अचानक केबड़ और वेबड़ जो मोखाया और चिपीली के सहायक हैं आते हैं। मोखाया और चिपीली उन्हें ध्यानपूर्वक देखने लगते हैं ।)
चिपीली (काबू को सम्बोधित करते हुये , धीरे से ): हमारे सहायक हमारे लिए सूचना लाते हैं ।
मोखाया : श्रीमान काबू , आप जानते ही हैं , आप स्वयं विद्वान हैं , कविता के प्रेमी हैं । आप जानते ही हैं , हमारी कवितायेँ जीवन से प्रेरित हैं । हम कल्पनालोक के कवि नहीं हैं । जीवन को अच्छा करना चाहते हैं , अच्छा देखना चाहते हैं ।(चिपीली को सम्बोधित करते हुये )
शिष्य आप केबड़ और बेबड़ से बातें कीजिये । देखिये क्या जानकारी लाये हैं वे दोनों ।
चिपीली : जी ।
काबू : मोखाया जी ! आपकी कवितायेँ जीवन से प्रेरित हैं , तभी तो आप के पास आये हैं हम ! हमारा कार्यक्रम कोई मनोरंजन या खानापूरी नहीं है । हम स्वच्छ वन : स्वच्छ जीवन मिशन चलाने जा रहे हैं , उसी की दिशा में यह अभियान है ।हमारे वन सिमटते जा रहे हैं , मनुष्यों की आवाजाही बढ़ रही है , प्रदूषण से हम अकुला रहे हैं ।इस कार्यक्रम में हमने मनुष्यों के बच्चो को भी आमंत्रित किया है ।
मोखाया : बच्चे !
काबू : हाँ -हाँ , वे ही तो कल के समाज हैं । उनके ह्रदय पवित्र हैं , वे हमरी बातों को गंभीरता से लेंगे । इस मिशन में हमारी टीम में ओनू ,सोनू और सुग्गू आदि भी हैं ।वे आपको ससम्मान लेने आयेंगे , पधारियेगा अवश्य !
मोखाया : इस मिशन से जुड़ना हमारा सौभाग्य है काबू !
काबू : सौभाग्य हमारा है। अच्छा मिलते हैं , अब मैं चलूँ !
दृश्य : दो
समय : दोपहर बाद
स्थान : काबू का आवास
(स्वच्छ वन : सरल जीवन का बोर्ड लगा हुआ है। काबू और अन्य अतिथि मंच के पास खड़े हैं । दूसरी ओर से ओनू ,सोनू और सुग्गू की अगुवाई में मोखाया ,चिपीली केबड़ और बेबड़ आते हैं। काबू अतिथियों का स्वागत करते हैं और उन्हें मंच पर स्थान देते हैं । मंच का संचालन ओनू करते हैं ।)
ओनू : स्वच्छ वन : सरल जीवन महोत्सव के शुभारम्भ पर हम सभी अतिथियों का स्वागत करते हैं। स्वस्थ पर्यावरण में ही सब का हित निहित है । हमारे प्रेरक श्रीमान काबू ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी पशु पक्षियों से लेकर मनुष्यों तक सबसे विनम्र प्रार्थना किया है , पर्यावरण को स्वच्छ बनाने हेतु । काबू जी स्वयं साहित्यप्रेमी हैं और इन्होने कार्यक्रम का शुभारम्भ कविता के माध्यम से करने की घोषणा किया है । अब मैं अपने सहयोगी सोनू जी से निवेदन करूंगा की वह मंच पर आएं और सभी कवियों का परिचय दें !
सोनू : नमस्कार दोस्तों , ओनू जी ने कार्यक्रम का परिचय दे दिया है । आज हमारे मध्य श्रेष्ठ कवियों का आगमन हुआ है । जंगल से हैं हमारे महाकवि मोखाया और उनके शिष्य चिपीली । बाहर नगर से आये हैं प्यारे प्यारे बच्चे लोबो और बोबो (सभी लोग अपना नाम आते ही खड़े होकर दर्शकों का अभिवादन करते हैं । तालियां बजती हैं ।) और अंत में हमारी टीम के कवि सुग्गू जी हैं जो अत्यंत विनम्र और संवेदनशील हैं ।कवि सम्मलेन का संचालन सुग्गू जी करेंगे । सुग्गू जी का मंच पर स्वागत है ।
(सुग्गू जी मंच पर माइक सम्हालते हैं ।)
सुग्गू : धन्यवाद मित्र सोनू जी ! दर्शकों और गणमान्य अतिथियों का स्वागत है । मैं सुग्गू गर्दभ दुंदुभि आपका स्वागत करता हूँ । हमारे इस कवि सम्मलेन का उद्देश्य है अपने पर्यावरण के प्रति एक चेतना विकसित करना । मैं मानता हूँ –
कविता जीवन के हर पग पर
कविता के रस से जीवन ।
कविता धरती हरषाती है ,
कविताओं में नील गगन ।
जीवन को महकाती कविता
हर पल राह दिखती कविता
पवन स्वच्छ कविता के जैसी
बहते जल की कल कल कविता ।
तो आइये स्वागत करते हैं जंगल के महाकवि मोखाया का ! आपका स्वागत है मंच पर श्रीमान मोखाया !
मोखाया : धन्यवाद , मैं इस कार्यक्रम में भाग लेकर गौरवान्वित महसूस करता हूँ । एक कविता प्रस्तुत है –
धरती अपनी माता जैसी ,
इसकी रक्षा धर्म हमारा ।
स्वच्छ धरा हो , हरियाली हो,
ऐसा ही हो कर्म हमारा ।
अपनी धरती स्वच्छ रखें
हम जंगलवासी ,
अपनी धरती के बारे में
सोचें हम ग्राम नगर वासी ।
जब वन अपना स्वच्छ रहेगा
तब मन शीतल निर्मल होगा ।
दर्शक : वाह, वाह, वाह !
मोखाया : (आभार व्यक्त करते हुये ) मैं चार पंक्तियाँ और कहूंगा –
हरियाली कवि से आ बोली
कितनी बरखा बीत चुकी हैं,
आया सावन , बदला मौसम ,
लेकिन अब भी चाह बची है
हमने भी क्या कसर रखी है,
अनियंत्रित प्रदूषण में अब
वायुमंडल की साँस रुकी है ,
आओ सोचें क्या कर सकते ,
कैसे स्वस्थ धरा कर सकते ।
बहुत बहुत धन्यवाद मित्रों , मुझे सुनने के लिये !
सुग्गू : धन्यवाद मोखाया जी !
बहुत बहुत आभार आपका
अपने कवि मोखाया !
सुन्दर सुन्दर रचनाओं से
आपने राह एक दिखाया !
अब हम आमंत्रित करते हैं आपने प्यारे कवि बच्चे लोबो को –
लोबो : नमस्ते सभी को ! मेरी कविता प्रस्तुत है –
धरती अपनी हम सब की ,
आओ मिलकर प्रण लेते हैं
हरी भरी खुशहाल रखेंगे ,
जीव जंतु मानव सब मिलकर ।
हम सब बैठें मिलकर , सोचें
जीवन कैसे सरल रखेंगे
पर्यावरण स्वच्छ करेंगे ।
सुग्गू :
धन्यवाद है तुमको बच्चे
कितने प्यारे मन के सच्चे
है तुममे विश्वास हमारा !
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुये ,अब हम बुलाते हैं कवि चिपीली जी को ! चिपीली जी आइये !
चिपीली : बहुत बहुत धनयवाद ! मेरी कविता प्रस्तुत है –
कवि के पास विहग उड़ आया ,
रुका -चला फिर उड़ने वाला ,
बोला तुम कुछ क्यों न करते,
तुम अपने मन से ही चलते ,
धरती की हरियाली जाती,
हवा यहाँ पर स्वच्छ कहाँ अब ,
कवि , हम ही कुछ करते !
दर्शक : वाह , वाह ! अत्यंत सुन्दर !
चिपीली : मेरे गुरूजी और मेरे दोस्तों , हम सब मिलकर अपनी धरती की रक्षा करेंगे । स्वस्थ वन स्वस्थ जीवन का संकल्प लेते हैं हम सब !
सुग्गू : बहुत बहुत धन्यवाद चिपीली जी ! हमारा कार्यक्रम अब समापन की ओर बढ़ रहा है। हमारे अगले कवि हैं बच्चे बोबो । बोबो जी से अनुरोध है कि कृपया अपनी कविता प्रस्तुत करें !
बोबो : बहुत बहुत धन्यवाद , अध्यक्ष महोदय ,आयोजकगण एवं श्रोतागण ! मेरी कविता प्रतुत है –
जल हो शीतल ,पवन तरल हो ,
मन हो कोमल, भाव वही हो
इस धरती का प्राणी प्राणी
आपस में रिश्ता रखता हो ,
ऐसा बने समाज हमारा ,
अपनी धरती सुन्दर हो
अपनी धरती सुन्दर हो ।
धन्यवाद !
(काबू उठते हैं ।)
काबू : बहुत बहुत धन्यवाद ! आप लोगों ने हमारे आयोजन स्वच्छ वन स्वस्थ जीवन का शुभारम्भ किया । हम बहुत आभारी हैं । यदि अध्यक्ष महोदय श्रीमान मोखाया और हमारे विशिष्ट अतिथि श्रीमान लोबो , श्रीमान बोबो और श्रीमान चिपीली साथ ही साथ सञ्चालन मंडल और हमारे श्रोता सहमति दें तो हम अपने अभियान गीत को मिलकर गायें !
(सभी सहमति में एक स्वर में बोलते हैं ।)
समूहगान
स्वच्छ रहे वन , निर्मल जीवन, स्वस्थ रहे मन
हम सब मिलकर ,अपने मन से करें प्रयत्न ।
धरती है हम सब की अपनी , यह सोचेंगे
हम धरती के , सोचें ये -हम आओ मिलकर ।
स्वच्छ रहे वन , और स्वस्थ हो मन हम सब का ,
हम सब मिलकर ,अपने मन से करें प्रयत्न ।
(धीरे -धीरे गान समाप्त होता है ।स्वर धीमे होते हैं । इतने में केवड़ , बेवड़ मंच पर आ जाते हैं ।)
केवड़ , बेवड़ : श्रोतागण , सब लोग मिलकर बोलिये !
जय धरती -जय विश्व हमारा
(सभी बोलते हैं ।)
समाप्त
-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
(नोट : यह नाटक प्रथम बार वर्ष 2018 में लिखा गया है ।)
(प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्केट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें (2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी (2019),चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017),पथिक और प्रवाह (2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑव फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) प्रोजेक्ट पेनल्टीमेट (2021) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने विभिन्न मीडिया माध्यमों के लिये सैकड़ों नाटक , कवितायेँ , समीक्षा एवं लेख लिखे हैं। लगभग दो दर्जन संकलनों में भी उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुयी हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सत्रह पुरस्कार प्राप्त हैं ।)
बाल साहित्य , नाटक , प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह का हिंदी सहित्य ,प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह का हिंदी बाल सहित्य, Plays of R. P. Singh , Children’s Literature of R .P.Singh