कविताएं-पांच रंग-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

कविताएं-पांच रंग

-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

कविताएं-पांच रंग-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह
कविताएं-पांच रंग-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

1.रात

रात पड़ी है खारी खारी, सुबह भी जाने कैसे होगी ,
देखो कुछ हल्का फुल्का सा, या यूँ ही संजीदा होगी।

मन भी कितना चंचल नाज़ुक, लगता किरण चांदनी जैसा
सागर हो या रक्तस्राव हो , सबसे इसका कैसा रिश्ता।

कभी कभी तुम मनोवेग से चलते पार समय के खुश हो ,
और कभी तो एक कदम भी लगता जैसे , कितना दुःख हो।

यही हिलोरें लेकर जीवन अक्सर रंग बिरंगा करतीं
क्या कुछ , कैसा इसे सोचना , तुम हो तो कण कण सब खुश हैं।

2.आहट

रात भी करती ठिठोली जाग कर
इश्क़ भी सोया पड़ा कुछ रूठकर ,
आहटों पर तुम्हारा ही असर
जाने न जाने, ये भी आती पूछकर।
एक वैसी ही सुनी , कल आस भी शायद उठी
पलट देखा साँस सी , ख्वाब में अटकी पड़ी।
सोचता हूँ , चलूँ परखूं अभी थोड़ी देर जीवन
क्या हिलोरें ले उठेगा , ये हवाओं के बिना।

3.सवाल

तुम तो पाकीज़ा उधर, थे इबादत में लगे,
मैंने सब कुछ भूल कर आँख अपनी मूँद ली।

हर बार आहों को मिले सिर्फ थोड़े शोर बोझिल
ये भी लेकिन क्या कहें , उठती रहीं , गिरती रहीं ।

पूछते हैं कुछ कभी तो कुचल जाते हैं सवाल
जानते हैं इन सवालों के सहारे है हयात।

4.प्रयास

दंश भी अजीब ,
साल दर साल
विघ्न के प्रयास
अंधड़ों में फंस मरी शांति
सैकड़ों उड़े स्वप्न अर्ध रात्रि
घुट मरा लोक स्वास्थ्य
हर घडी उदास
अम्बुलेंस फिर रहीं
नग्न सत्य को ढके
वक्र कुटिल चाल
किन्तु वाले शांत
राष्ट्र के प्रयास।

5.स्थानपूर्ति के लिए

और फिर भिश्ती चला देगा दुबारा चर्म मुद्रा
जानते हो , शासकों के गान , सुना होगा
इतिहास में है दर्ज़।

दौर्बल्य हैं अभिशाप, रहे कैसा भी सृजन के बीच
इतिहास ने भी छोड़ रखे
आधे लिखे दौर्बल्य के कुछ पृष्ठ।

और जाने सृष्टि भी, यूँ मुस्करा
छोड़ देती कुछ इबारत ,
स्थानपूर्ति के लिए।

-प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह

(प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं । फ़्ली मार्किट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें(2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी(2019) , चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हंी , बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017) ,पथिक और प्रवाह(2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑफ़ फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सोलह पुरस्कार प्राप्त हैं । )

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