किन्नर व्यथा भाग-19
किन्नर व्यथा भाग-19
मरणोपरांत नरक जिंदगी, से छुटकारा पाते |
किन्नर हिंदू हो या मुस्लिम, बस इनको दफनाते ||
मृत देह पर कोई बंधी, चीज न छोड़ी जाती |
दैनिक प्रयोग वस्तु निशानी, जला गड़ा दी जाती ||1 ||
कहीं-कहीं मृतदेह अति सुंदर, सजा सवारे जाते |
कहीं कहीं इनके शव वैदिक, मंत्र से झाड़े जाते ||
लाश विदा करते आक्रोशित, होती किन्नर सेना |
सब गाली दे कहते ऐसा, फिर से जनम न लेना || 2 ||
अर्धरात्रि किन्नर शवयात्रा, छिपके निकाले जाते |
दुनिया सोती इनकी डोली, गोद उठा ले जाते ||
शमशान तक मौन हो अर्थी, भागी दौड़ी जाती |
इनकी शवयात्रा कभी आधे, बीच न छोड़ी जाती || 3 ||
क्रियाकर्म बालक पथचालक, स्त्री पुरुष नहीं देखे |
लिखे विधाता कैसे कोई, मेटे किस्मत लेखे ||
पहनी लूंगी कमीज साड़ी, त्वरित उतारी जाती |
श्रृंगारहीन पटहीन दीन शव, झटपट गाड़ी जाती || 4 ||
जन्म देके मां कोख कोसती, क्या किन्नर कुल घाती |
ऐसा कारुण दृश्य निरखत, विधाता पीटे छाती ||
कुदरती भूल से अंतहीन है, अंतस की दुविधाएं |
धिकमय जीवन पलछिन चुभता, किन्नर व्यथा बतायें || 5 ||
-डॉ. अशोक आकाश
बालोद