Sliding Message
Surta – 2018 से हिंदी और छत्तीसगढ़ी काव्य की अटूट धारा।

तर्क (Logic) अथवा आचार (Ethics):एक व्यंग्य आलेख

तर्क (Logic) अथवा आचार (Ethics):एक व्यंग्य आलेख

आचार का अनुपालन, बहुत कठिन है डगर पनघट की! तर्क कठिन है किंतु उतना नहीं क्योंकि इसमें आचार का अभाव होता है, बुद्धि के खेल का प्रभाव प्रारंभ हो जाता है; तर्क के द्वारा जो जिसको जितना मूर्ख बना दे, परंतु युक्तिसंगत तर्क! इसके द्वारा तो मूर्ख को चारो खाने चित्त कर दिया जाता है.मूर्ख किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है। किंतु मूर्ख बनने में लाभ है न! मूर्ख बनने में और मूर्ख होने में अंतर होता है, तुम किसी प्रयोजन के लिए मूर्ख बनने का स्वांग करते जबकि मूर्ख हो नहीं बल्कि धूर्त कह सकते हो । मूर्ख बनाने वाला? वह तो धूर्त सम्राट होता है तभी तो मूर्ख बना लेता है!

आचार पालन करने वाला कहां तर्क करता है! वह तो अहर्निश आचार प्रक्रिया भंग न हो उसी में संपूर्ण जीवन व्यतीत कर देता है, उसे कहां फुर्सत है कि तर्क का अवलंबन धारण करे! उसका आचार ही तो नये मूल्य स्थापित कराता है चाहे क्षेत्र कोई भी हो! राजनीति के बारे में क्या खयाल है? यह तो मूल्यों का आधार है पर अब कहां, इसी का तो संक्रमण चल रहा है । तर्क के द्वारा कृत्यों को उचित ठहराया जा रहा है ।


पहले गांवों में चोर चोरी करते थे वह भी चोरी से तभी तो चोर नाम पड़ा! अब तो सर्वत्र डाका डालने में आनंदित होते हैं, वह भी डंके चोट पर इसे यथोचित क्रिया करार कर देते हैं! तर्क के द्वारा युक्ति पूर्वक कहने का तरीका है महा मूर्ख बना देने का जो चैनलों पर दिन रात प्रसारित होता रहता है । आचार पालन करने में कहां युक्ति होती है! राजनीति में शास्त्री के आचार पालन मे कहां तर्क रहा! उनके पहनावे से लेकर जीवन शैली में तर्क का कहां स्थान! आचार पालन में ही सर्वस्व निछावर कर दिये थे!उदाहरण तो अनेक हैं,उद्धहरण तो किसी किसी का ही देते हैं!

अभिनय बनाम यथार्थ:

फिल्मों में, धारावाहिकों में एक कलाकार विभिन्न तरह के चरित्रों का बखूबी से अभिनय कर लेता /लेती है । कैसे एक संपन्न एवं सभी तरह से सक्षम व्यक्ति एक गरीब लड़की से प्रेम कर बैठता है, तमाम अवरोधों के बावजूद वह उसे अपना जीवन संगिनी बना लेता है; किस प्रकार एक सूंदर धनी परिवार एवं खानदान की लड़की एक निर्धन युवक से प्रेम कर बैठती है और उसकी पत्नी बन जाती है; प्रस्तुति मन मोहक होती है और दर्शक Suspension of Disbelief अविश्वास को निलंबित करते हुए आनंदित होते हैं ।

दिवा स्वप्न जो न करा दे, क्षेत्र कोई भी हो! हकीकत तो P.B.Shelley की वह पंक्तियां, I fall upon the thorns of life I bleed,I bleed अथवा निराला जी की ‘वह तोड़ती पत्थर’ याद दिलाती है।

अभिनय कितना भी कर लो यथार्थ से पीछा नहीं छूटेगा चाहे स्वयं अनुभव करो अथवा संवेदना है तो देख कर महसूस कर लो!
-प्रोफेसर अर्जुन दूबे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अगर आपको ”सुरता:साहित्य की धरोहर” का काम पसंद आ रहा है तो हमें सपोर्ट करें,
आपका सहयोग हमारी रचनात्मकता को नया आयाम देगा।

☕ Support via BMC 📲 UPI से सपोर्ट

AMURT CRAFT

AmurtCraft, we celebrate the beauty of diverse art forms. Explore our exquisite range of embroidery and cloth art, where traditional techniques meet contemporary designs. Discover the intricate details of our engraving art and the precision of our laser cutting art, each showcasing a blend of skill and imagination.