महतारी दिवस के अवसर म विशेष गीत-दाई के अँचरा

महतारी दिवस-

9 मई के मदर्स डे (महतारी दिवस) मनाय जाथे। सबो महतारी मन ला समर्पित मोर एक ठिन गीत ला प्रस्तुत करत हौं, जेन हर मोर 2012 म प्रकाशित काव्य संग्रह मोर अँगना के फूल म प्रकाशित हे।

-वसन्ती वर्मा

महतारी दिवस के अवसर म विशेष गीत-दाई के अँचरा
महतारी दिवस के अवसर म विशेष गीत-दाई के अँचरा

दाई के अँचरा

मुखड़ा-

दाई तोर अँचरा मा,
जिनगी के सबो सुख हावय ना।
दाई तोर परंव पइयाँ ओ,
गिन गिन सौ कोरी ना।।

अंतरा

(1)

अंगठी धर के सीखेंव दाई,
रेंगे बर एक एक पाँव ।
रंग रंग के खाई खजाना,
खाये खेलेंव तोर छाँव।।

(2)

अपन मुहूँ के कँवरा दाई,
तैं बेटी ल खवाए।
गोरस पिया के दाई मोला,
कोरा मा अपन बढ़ोए।।

(3)

सुरता आथे मोला दाई,
तोर चन्दा -लोरिक के गाना।
कोरा मा झुलवा झुलाए,
सुनाए भोजली के गाना।।

(4)

राम राज के कथा सुनाए,
रावन बनगे मोर बैरी।
सीता माता के बिरथा सुनावत,
तोर आँखी होगे भारी।।

(5)

सुरता आवथे मोला दाई,
पढ़े भेजेव इस्कूल पहिली।
कोरे चुंदी फेर गाँथे बेनी,
टिकली फुंदरी आनी बानी।।

(6)

नावा कुरता नावा बस्ता,
दिंखव मैं सहरी लड़की।
कूदत फांदत चौकड़ी मारत,
बनगे मैं घर म, हिरनी।।

(7)

आरती करेंव मैं सरसती के,
मन म दाई करे गुहार ।
बेटी पढ़ -लिख बने सुरूज,
बाँटे जग मा मया दुलार।।

(8)

दाई तैं मोर पहिली गुरू,
सीखेंव मैं दाई बोले सुरू।
दाई होथे जनम महतारी,
रक्षा करे बन दुरगा अवतारी।।

(9)

फेर सुरता आथे मोला दाई,
तोर मया दुलार के गोठ ओ।
आँखी के आँसू मैं लुकाहूँ,
कइसे अँचरा के ओट ओ।

-वसन्ती वर्मा बिलासपुर

मातृदिवस पर छत्‍तीसगढ़ी दोहालरी

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