मानसून का मनोहारी दृश्य, जीवन को मनोहर बनाता है

मानसून का मनोहारी दृश्य, जीवन को मनोहर बनाता है

-रमेश चौहान

मानसून का मनोहारी दृश्य, जीवन को मनोहर बनाता है
मानसून का मनोहारी दृश्य, जीवन को मनोहर बनाता है

मानसून का मनोहारी दृश्य-

मानसून की फुहारों से धरती की सतह नाच उठी है । चिड़ियां घोसले में फुदकने में लगे हैं । मेंढक और झींगुरा मैं क्यूट कंपटीशन हो रहा है। छोटी-छोटी घास धरती की छाती से लिपटने लगी हैं । पतझड़ में हरयिाली खो चुॅके पौधे फिर हरियाने लगे हैं । सुखी नदी, तालाब अपनी प्यास बुझा रही हैं ।

हमारे बच्चे चिड़ियों की तरह चहकने लगे हैं । गांव की गलियों में बच्चों का गुंजन हो रहा है। किसानों का मन मयूर की तरह नाच उठें हैं । खेतों में बीज छिटकते हुए किसानों के गीत सुनने लायक है । अभी खेतों में बुवाई का काम जोरों पर है जिधर देखो किसान के हल, ट्रैक्टर बुवाई में लगे हुए हैं ।

ऐसा दृश्‍य देख कर किसका मन मनोहारी नहीं होगा ? इस दृश्‍य को हर प्राणी अपने-अपने ढंग अपनी खुशियां प्रकट करते हैंं।

मानसून का महत्व-

मानसून का महत्व स्वयं सिद्ध है । मानसून जहां कृषि की रीढ़ है, वहीं भू-गर्भ जल स्तर को बनाए रखने के लिए आवश्यक है । जहां हमारे लिए “जल ही जीवन है” वहीं जल के लिए मानसून जीवन है । मानसूनी वर्षा भू-सतही जल और भू-गर्भी जल दोनों के लिए  ईंधन के समान है ।

मानसून भारतीय कृषि का बैकबोन

भारतीय कृषि मानसून पर आधारित है । चाहे हजारों लाखों सिंचाई के साधन हो जाएं किंतु मानसून में वर्षा ना हो तो कृषि में सम्मत नहीं हो सकता । इस प्रकार मानसून भारतीय कृषि का बैकबोन है ।

जल के लिए मानसून जीवन

पृथ्‍वी के समस्‍त प्राणी के लिए ‘जल ही जीवन है’ किन्‍तु भू-सतही जल और भू-गर्भी जल के लिए वर्षा आवश्‍यक है । भारत में वर्षा का मतलब मानसून ही हैं क्‍योंकि यहां मानसूनी वर्षा से ही अधिकांश वर्षा होती है । यदि हम कहें जल के लिए मानसून ही जीवन है तो अतिशियोक्ति नहीं होगी ।

साहित्यिक महत्‍व

मानसून का साहित्यिक महतव भी है । चाहे किसी भी भाषा का साहित्‍य हो वर्षा पर साहित्‍य सृजन जरुर होते आ रहा है । विशेष कर हिन्‍दी साहित्‍य में ऋतु वर्णन पर अनेक कविताएं लिखी गई जिसमें ज्‍यादातर वर्षा ऋतु पर ही हैं । वर्षा ऋतु श्रृंगारिक रचनाएं अधिक लिखी जाती है चाहे वह संयोग श्रृंगार हो या वियोग श्रृंगार ।

रामचरित मानस में वर्षा ऋतु वर्णन

सुंदर बन कुसुमित अति सोभा। गुंजत मधुप निकर मधु लोभा॥
कंद मूल फल पत्र सुहाए। भए बहुत जब ते प्रभु आए॥

देखि मनोहर सैल अनूपा। रहे तहँ अनुज सहित सुरभूपा॥
मधुकर खग मृग तनु धरि देवा। करहिं सिद्ध मुनि प्रभु कै सेवा॥

मंगलरूप भयउ बन तब ते। कीन्ह निवास रमापति जब ते॥
फटिक सिला अति सुभ्र सुहाई। सुख आसीन तहाँ द्वौ भाई॥

कहत अनुज सन कथा अनेका। भगति बिरत नृपनीति बिबेका॥
बरषा काल मेघ नभ छाए। गरजत लागत परम सुहाए॥

लछिमन देखु मोर गन नाचत बारिद पेखि।
गृही बिरति रत हरष जस बिष्नुभगत कहुँ देखि॥

घन घमंड नभ गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा॥
दामिनि दमक रह नघन माहीं। खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं॥

अच्छी मानसून के लिए वृक्षारोपण और वृक्षों का संरक्षण आवश्यक-

अच्छी कृषि हो इसके लिए आवश्यक है अच्छी मानसूनी हो, अच्‍छी बारिश हो । मानसून की सक्रियता एटमॉस्फेयर प्रेशर पर डिपेंड करता है । इसके लिए पेड़ पौधे सहायक होते हैं । जितने ज्यादा पेड़ पौधे होंगे उतनी ही अच्छी बारिश होगी ।

मानसून के लिए हरे-भरे पेड़-पौधों का होना आवश्यक है । इसलिए केवल दिखावा के वृक्षारोपण करने से काम नहीं चलने वाला है अपितु वृक्षों का संरक्षण भी आवश्यक है । केवल जंगलों का घना होना ही आवश्यक नहीं है अपितु बसाहटों के आसपास भी अच्छी संख्या में पेड़-पौधों का होना भी आवश्यक है ।

उपसंहार-

मानसून का यह दृश्य हर व्यक्ति को आह्लादित कर रहा है । कभी रिमझिम-रिमझिम फुहारों से घर का आंगन आनंदित हो रहा है तो कभी तेज बारिश से छप्पर से पानी अंदर आ रहे हैं । क्‍या मनोरम दृश्‍य है । चारो ओर संतोष का भाव देखकर मन में संतोष हो रहा है । आखिर वर्षा से अन्‍न की प्राप्ति है, वर्षा से ही जल, और वर्षा से ही जीवन सुलभ है । इस बार अच्‍छी बारिश हो यही शुभकामना है ।

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