मर्मस्पर्शी गीतों के सृजनकर्ता रामेश्वर वैष्णव
-डॉ. अशोक आकाश
मर्मस्पर्शी गीतों के सृजनकर्ता रामेश्वर वैष्णव
जन जन के मर्म को छूकर दिल की गहराई तक उतर जाने वाले साहित्यकार रामेश्वर वैष्णव
रामेश्वर वैष्णव छत्तीसगढ़ी साहित्य में एक बहुचर्चित और बहूआयामी व्यक्तित्व का नाम है | मैं अपने बालपन से इन्हें सुनता आ रहा हूं | इनके गीत गुनगुनाकर हमने अपने बचपन गुजारे | तंगहाली से गुजर रहे लोग आपकी गीतों में अपने मन की पीड़ा महसूस करते है | हमरो पुछैया भैया कोनो नइये गा पीड़ित शोषित जन के मर्म को छूकर दिल की गहराई तक उतर जाती है |
कला साहित्य और संस्कृति को समर्पित इनकी जिंदगी जन सामान्य के लिए सर्वदा एक खुला मंच रहा है | रामेश्वर वैष्णव जी किसी परिचय के मोहताज नहीं है आज छत्तीसगढ़ अंचल में यह जाना पहचाना नाम है | साहित्य सृजन के क्षेत्र में नवोदित कवियों को जिनका सदैव वरदहस्त प्राप्त है वो है छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक चर्चित गीतकार रामेश्वर वैष्णव जी | जिस विषय पर इनकी लेखनी चली कमाल कर गयी | तैं बिलासपुरहिन अस अउ मैं रायगढ़िया,तोर मोर जोड़ी फबे हे सबले बढ़िया गीत हम अपने बचपन से सुनते आ रहे हैं लेकिन वही ताजगी वही अपनापन आज भी बरकरार है । कई गीत समय के पहियों से कुचलकर अपना अस्तित्व खो देती है लेकिन वैष्णव जी द्वारा लिखित प्रत्येक गीत आज भी जन जन की जुबॉ पर है | सुन कर आज भी तन मन में नयी ताजगी आ जाती है | इन्होंने जो भी गीत लिखें वह लोकगीत हो गया | आमजन ने स्वीकार किया अब मोला जावन दे संगवारी दाऊ रामचंद्र देशमुख जी की चंदैनी गोंदा के प्रमुख गीत रहे संतोष झॉझी जी के सुमधुर स्वर में यह गीत छत्तीसगढ़ की जन जन में लोकगीत की तरह मुखरित हो गया |
छत्तीसगढ़ के राजगीत अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार के रचयिता डॉ. नरेंद्र देव वर्मा जी के सानिध्य में रहकर रामेश्वर वैष्णव जी को गीत साहित्य निखारने का सुअवसर मिला | ये अपना काम सदैव खामोशी से करने के हिमायती रहे हैं | इनकी सोच रही है- अच्छा काम करते रहे, चाहे कोई तारीफ करें या ना करें क्योंकि सूरज जब भी उदित होता है,तब पूरी दुनिया के लोग सोए रहते हैं |
रामेश्वर वैष्णव जी के लिए यह बात अक्सर सत्य साबित होती है क्योंकि अपना काम बेखौफ शांत करते रहने के आदी रहे और एक बड़ी इबारत लिखते रहें | नवोदित साहित्यकारों की पाठशाला के रूप में इनकी उज्ज्वल कीर्ति है | नौसीखिया साहित्यकारों को प्रेम स्नेह और रास्ता बताना इनकी फितरत रही है | श्री वैष्णव जी से मुझे साहित्य लेखन की बारीकियां सीखने का सुअवसर मिला | आप अक्सर कहा करते हैं, जिंदगी कांटो भरे सफर का नाम है और हौसलो से मंजिल का फासला तय होता है | ऐसे ही इनका भी जीवन कांटों भरी सफर का नाम रहा और इन्होंने अपने हौसलों से मंजिल का फासला तय किया है | बने बनाये रास्ते पर तो सभी चलते हैं, लेकिन इन्होंने अपना रास्ता स्वयं बनाया और अपनी एक अलग पहचान बनाई |
आज छत्तीसगढ़ अंचल में फिल्मी गीत गजल हास्य व्यंग एवं कवि सम्मेलनों का एक प्रमुख और चर्चित नाम है तो वह है रामेश्वर वैष्णव | इनकी लिखी कृतियां पाठ्यक्रम में शामिल है जो कि देर से सही इनको मिलने वाला बड़ा सम्मान है |
आकाशवाणी दूरदर्शन से समय-समय पर प्रसारित होने वाले इनके कार्यक्रम सुनने का यदा-कदा सुअवसर मिलता है | गीतों में माधुर्यबोध और शब्दों का सहज शिल्पॉकन, भावों की कोमलता और हास्य व्यंग का पुट जनमानस में विशेष छाप छोड़ती है | इनसे मेरी मुलाकात अपनी जिंदगी की सबसे बेहतरीन खुशनुमा क्षणों में से एक रहा, सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदरलाल शर्मा की जन्मस्थली चंद्रसूर (चंदसूर) राजिम में मुझे कवि सम्मेलन के मंच में इनके साथ मंच साझा करने का प्रथम सुअवसर मिला | तब से लेकर आज तक मुझे उनका स्नेह मिलता रहा है | एक बड़े साहित्यकार के रूप में जैसा उन्हें सुना था मैं वैसे ही पाया | बड़े साहित्यकार होते हुए भी सभी साहित्यकारों को जो ऊर्जा वो देते हैं उससे उनके लिए अनायास ही सम्मान भाव जागृत हो जाता है |
साहित्य पथ में लंबा सफर तय करते हुए लगभग 3 पीढ़ियों के साथ उन्होंने मंच साझा किया | 78 साल की उम्र और 60 साल के साहित्यिक सफर में आज भी आप उतने ही स्वस्थ और सक्रिय हैं जितना पहले रहा करते थे |
छत्तीसगढ़ी फिल्मी गीतों के सदाबहार सृजनकर्ता के रूप में आपकी कीर्ति सहज और जनप्रिय है | झन भूलो मां बाप ला, हंस झन पगली फंस जबे जैसे कई फिल्म आपके गीतों के कारण ही चर्चित हुए और जन जन में चर्चा के केंद्र बिंदु बने |
मेरा सौभाग्य है कि मुझे आपके जैसे गुरुजनों का सानिध्य मिला | जब भी मैं किसी विषय पर उलझ जाता हूं,अनायास ही मैं आपकी तरफ खींचा चला आता हूं और मेरी समस्याओं का समाधान पल में हो जाता है | उम्र का कोई लेना देना नहीं होता जहां विचार मिलता है वही सच्ची दोस्ती हो जाती है | मैं हमेशा आदरणीय रामेश्वर वैष्णव जी से बहुत सीखता रहा और आने वाले समय में हम सबको इनका सानिध्य मिलेगा मुझे ऐसा विश्वास है |
आज साहित्य के इस मुकाम में आपके लिखे गीतों हमरो पुछैया भैया कोनो नहीं है गा, नोनी बेंदरी, बने करे राम मोला अंधरा बनाए, कोनजनी जनी काय पाप करें रेहेन, फिल्म झन भूलो मां बाप ला, हँस झन पगली फँस जबे जैसे सैकड़ों गीत में जन जन की पीड़ा, राजनीति साहित्य व्यापार खेती उद्योग में छत्तीसगढ़ वासी के पीछलग्गू हो जाने की पीड़ा आपकी पंक्तियों में हमेशा दृष्टिगोचर हो जाती है |
ऐसे ही पाठ्यक्रम में शामिल अमरनाथ मर गे कविता छत्तीसगढ़ी जन चेतना को झकझोर देने वाली कविता है, जिसमें आम छत्तीसगढ़िया की मृत्यु पर उन्हें दुधावा, राजीम, शिवरीनारायण चंद्रपुर जैसे चित्रोत्पला महानदी के संगम में स्थल में अस्थि विसर्जन करने की सलाह और मृत्यु भोज में खर्च कम करने का एक साधन मुहैया कराने का जो आपने संदेश दिया है और चित्रोत्पला गंगा महानदी की महत्ता को आपने प्रतिपादित किया है यह अनुकरणीय गीत कविता साहित्य के मर्म को दुनिया के सामने रख देता है आप कहते हैं, साहित्य जीवन में बहुधा अधूरे पन को पूरा करने का एक माध्यम है और सुख दुख जीवन के सभी समय में मस्तिष्क में होने वाले ज्वार भाटा को कविता के रूप में पंक्ति बंद कर देने का एक यत्न है जीवन में आप की सकारात्मकता का संदेश गलतियों से सीखने का संदेश मुझे बहुत अच्छा लगता है अंत में छत्तीसगढ़ी साहित्य के शिखर पुरुष श्री रामेश्वर वैष्णव की चार पंक्तियॉ प्रस्तुत कर अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा-
ऐसी कोई रात नहीं है, जिसके बाद प्रभात नहीं है |
सूरज का रस्ता जो रोके, मानस की औकात नहीं है |
हर अवसर है एक चुनौती,मुफ्त मिली सौगात नहीं है |
जो होगा अच्छा ही होगा,यह खाली जज्बात नहीं है ||
यह खाली जज्बात नहीं है ….|
-डॉ. अशोक आकाश
ग्राम कोहंगाटोला
पो ज सॉकरा
तह जिला बालोद छ ग 491226
9755889199