प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह की कुछ कवितायें
1. किसी चाँद रात
काश किसी चाँद रात
होते तुम मेरे पास
भले झलक मात्र
सिर्फ लम्हा एक
और लिए वही झलक
उठती झूम समूची रात।
बाहों में लेने की आस
उनीदी चाँद रात
लिए ईद आस
लिए ईद आस।
2.मास्क बंधी ईद
मास्क बंधी ईद
पुतलियां बहक रहीं
मिलन लिए प्रीत
रूठ गए हो कहीं
या कहें बह गयी
किसी ओर प्रीत ,
घुट रहे सन्देश
पड़े अधर स्क्रीन ,
रात भी जगी रही
सुबह ढली घिरी शाम
मास्क बंधी ईद।
3.मिलेगा रेत पार
झड़ी लगा राखी रात
खिड़कियां खुली रहीं
बादलों की सीत्कार,
कई थे प्रयास
इधर -उधर बंधे तार
मिलन क्या कहें मगर
आंसुओं की बंधी धार ,
ख्वाब में दिखा चाँद
अलस्सुबह, चलो चाँद
मिलेगा रेत पार ।
—
Dr R. P. Singh Professor of English
Department of English and
Modern European Languages
University of LucknowDirector ,International Collaborations and ISA , University of LucknowVice Chairman, Delegacy , University of Lucknow
Lucknow – 226007, U P, INDIA
Cell : +91 94151 59137
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