मातृ दिवस पर विशेष-मातृ महिमा (दोहा गीतिका)
-कन्हैया साहू “अमित”
मातृ दिवस पर विशेष (9 मई)
दोहा गीतिका
माताश्री ममतामयी, धरती पर भगवान।
पूजनीय जननी प्रथम, होती देव समान।।-1
मंगल मानित मानसी, मनोराग मनुहार।
माननीय है मानवी, महिमा मातु महान।।-2
मनभावन माँ मधुरिमा, मनोरमा हर रूप।
माता भव भयमोचिनी, संकट शोक निदान।।-3
मनमंदिर मननीय माँ, मनिका मणि सौभाग्य।
करुणानिधि करती कृपा, होता तब कल्यान।।-4
मानुषता की पूजिता, तीन लोक के तुल्य।
देव दनुज गंधर्व ऋषि, करते माँ यशगान।।-5
ममता अति मनभावना, माधुर्य मयी मूल।
मनीषिता मन की प्रथम, रखती सबका ध्यान।।-6
मनोदेवता मानसिक, लेती सुख दुख भाँप।
माँ सदैव ही चाहती, कष्ट रहित संतान।।-7
मान्या महिमा मातु का, त्याग तपस्या सार।
मनोविकारी को मिटा, करती सब निपटान।।-8
मंगलदायी आरती, माता का हर रूप।
महके मन के आँगना, जैसे हो लोबान।।-9
मूरत माँ की मन बसा, नहीं कभी संताप।
ईश कृपा से है बड़ी, माँ की हर मुस्कान।।-10
कन्हैया साहू “अमित”
शिक्षक-भाटापारा छत्तीसगढ़
चलभाष~9200252055
श्री कन्हैया साहू ‘अमित’ की पुस्तक ‘कविताई कैसे करू’ का pdf