मेरी चार कवितायेँ
-प्रो.रवीन्द्र प्रताप सिंह
1.देख लेना नहीं बोलेगा पपीहा–
देख लेना नहीं बोलेगा पपीहा टेरता था रात दिन , प्रेम विरही यह विहग , देख लेना सिसकियाँ लेता रहेगा आह भी आने न देगा एक भी यह विहग। यह अकेला रह गया है , शायद अलग प्रेमी है इसका आदि से , विरह है इसकी अनवरत आह है इसकी सघन , किन्तु इसकी टेर, देख लेना नहीं होगी। ज्ञात इसको हो चुके विरह से भी कठिन पल। देख लेना नहीं बोलेगा पपीहा टेरता था रात दिन , प्रेम विरही
2.उमस में कुछ वाष्प–
उमस में कुछ वाष्प धीरे से अक्षरों को सुला देते , या विदा देते , कुछ दिख रहा डामाडोल।
3.वो भी पुरवाई–
फिर से हवा वो भी पुरवाई इस महीने इस समय प्रकृति जाने !
4.चमगादड़ों से उलट लटके–
और क्या और क्या अब कह दें बंधु, अलग हैं झंझट बहुत अलग मिथकें भावनाओं के विभिन्न प्रकार ! आपको क्या , सिर्फ त्रुटियां देखना ही ध्येय चमगादड़ों से ले प्रेरणा उलट लटके , सुनना कहाँ चीत्कार वीरान राहें , कह रहीं कितनी कहानी आप यूँ ही बह रहे अपनी रवानी !
कवि परिचय-
प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं , और लखनऊ विश्वविद्यालय के डायरेक्टर इंटरनेशनल कोलैबोरेशन , इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एडवाइजर तथा वाईस चेयरमैन डेलीगेसी ।प्रकाशित पुस्तकें : कुल 36 , फ़्ली मार्किट एंड अदर प्लेज़ (2014), इकोलॉग(2014) , व्हेन ब्रांचो फ्लाईज़ (2014), शेक्सपियर की सात रातें(2015) , अंतर्द्वंद (2016), चौदह फरवरी(2019) , चैन कहाँ अब नैन हमारे (2018)उनके प्रसिद्ध नाटक हैं , बंजारन द म्यूज(2008) , क्लाउड मून एंड अ लिटल गर्ल (2017) ,पथिक और प्रवाह(2016) , नीली आँखों वाली लड़की (2017), एडवेंचर्स ऑफ़ फनी एंड बना (2018),द वर्ल्ड ऑव मावी(2020), टू वायलेट फ्लावर्स(2020) उनके काव्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी कवितायेँ लगभग एक दर्जन साझा काव्यसंकलनों में भी संग्रहीत हैं। विभिन्न जर्नल एवं ऑक्सफ़ोर्ड , सेज , मैकमिलन ,ब्लैकवेल ,स्प्रिंगर , ए बी की क्लीओ जैसे प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित ज्ञानकोशों एवं इनसाइक्लोपीडिया में उनके लगभग 130 शोधपत्र प्रकशित हैं । उनके लेखन एवं शिक्षण हेतु उन्हें स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड लाइफ टाइम अचीवमेंट , शिक्षक श्री सम्मान ,मोहन राकेश पुरस्कार, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार एस एम सिन्हा स्मृति अवार्ड जैसे सोलह पुरस्कार प्राप्त हैं । वे देश विदेश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं के लिए नियमित लेखन करते हैं , एवं आकाशवाणी से जुड़े वार्ताकार हैं ।