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बाल काव्य श्रृंखला भाग-1:नन्हे वादे -डॉ अलका सिंह

बाल काव्य श्रृंखला भाग-1:नन्हे वादे -डॉ अलका सिंह

बाल काव्य श्रृंखला भाग-1:नन्हे वादे

-डॉ अलका सिंह

नन्हे वादे बाल काव्य श्रृंखला के इस प्रथम कड़ी में नौ बाल कवितायेँ प्रकाशित किए जा रहें हैं, आशा है आप बाल पाठकों को ये कविताएं अच्‍छी लगेंगी ।

बाल काव्य श्रृंखला भाग-1:नन्हे वादे -डॉ अलका सिंह
बाल काव्य श्रृंखला भाग-1:नन्हे वादे -डॉ अलका सिंह

1 नन्ही मकड़ी

नन्ही मकड़ी हरी बैंगनी ,
जाला बुनते बुनते आयी
जाले पर है धूप पड़ रही ,
इन्द्र धनुष से ताने बाने।
नन्ही मकड़ी कभी कूद कर
जाले पर चढ़ जाती ऊपर,
कभी सरक कर नीचे जाती।
शायद वह कुछ कहती है
बारिश से बातें करती है।

2 कीड़ा और फूल

चहका कीड़ा फूल देखकर ,
कहा दोस्त कुछ खुशबू दो।
कितने दिन से इंतज़ार में
इधर पड़ा मैं डंठल पर।
डोल डोल कर कहा फूल ने
देखो बैठो पास हमारे
खुशबू तो यूँ ही बहती है ,
हवा चल रही प्यारी प्यारी।

3 दोस्त हमारा

दोस्त हमारा सोता है ,
नन्हा सा वह बच्चा है।
मैं फूलों का नन्हा कीड़ा ,
उड़ कर आ खिड़की पर बैठा ,
उछल कूद मैं करता हूँ ,
उसको रोज़ जगाता हूँ।
उठकर मेरे पास वह आता ,
मुझे हथेली पर बैठाता ,
पार्क में मुझको रोज़ घुमाता ,
अच्छी अच्छी बात बताता।
नन्हा सा वह बच्चा है,
देखो अब तक सोता है ।

4 नीली तितली

अभी अभी तो निकली है ,
नीली तितली उड़ते उड़ते
कहती थी वह चलकर देखे
झील पार उड़ते उड़ते।
बच्चा बोला , तितली जी
तुम तो यूँ ही उड़ जाओगी
हम कैसे आयें उस पार ,
नहीं जानता हूँ मैं उड़ना।

रुको दोस्त बैठो थोड़ा ,
मैं होकर आती हूँ
और तुम्हारे पास इधर आ
सारी बातें कहती हूँ।

5 चिड़िया और फूल

चिड़िया चहकी फूल देखकर ,
कई दिनों के बाद खिला जो ,
यू ही सिमटा सोया था ,
कई दिनों से या रूठा था।
बोली चिड़िया दोस्त सुनो ,
मैं रोज देखने आती थी
खिले हुए हो या सोये हो
यही देख कर जाती थी।

6 गिलहरी होकर आयी बच्चों के स्कूल में

एक गिलहरी होकर आयी
बच्चों के स्कूल में
उसने देखा कैसे लिखना
उसने देखा कैसे पढ़ना।
सोच रही क्या करे वह अभी
कैसे अपनी करे पढ़ाई ,
उसके मन में गूँज रहे हैं
गीत सुना था जो उसने।
सुन्दर प्यारा सा विद्यालय,
प्यारे प्यारे वहां पर बच्चे।

7 छोटे पक्षी ,कीड़े बैठे बरगद की शाखा पर

बारिश में उड़ उड़ कर आये
कितने छोटे पक्षी ,कीड़े ,
बैठे बरगद की शाखा पर ,
सब पानी से बचकर।
बादल तेज गरजते ऊपर ,
बरगद ने उनको दिया सहारा
घने घने पत्तों के अंदर।
एक बूँद न आयी अंदर ,
सब ने मिलकर खाना खाया
और प्यार से गाना गाया।

8 बिल्ली और बच्चा

बिल्ली उछली आ बैठी
खिड़की के बाहर
डर से चौंका छोटा बच्चा ,
भागा वह घर के अंदर।
बिल्ली हंसने लगी देखकर
बच्चे का उस से डर जाना।
बोली बच्चे डरो नहीं ,
हम आये बन दोस्त तुम्हारे
हमको तुमसे गेम खेलना।

9 नन्ही गौरैया

नन्ही गौरैया आयी दाना चुगने
उसे दिया बुन्नू ने दाने।
चावल कितने चमकीले
पूँछ हिलाकर चमकाकर आँखें
गौरैया ने सब खाये।
बुन्नू साथ साथ खेली
दोनों खुश थीं , गाने गाये।

डॉ अलका सिंह के विषय में

डॉ अलका सिंह डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी लखनऊ में शिक्षक हैं।शिक्षण एवं शोध के अतिरिक्त डॉ सिंह महिला सशक्तीकरण , विधि एवं साहित्य तथा सांस्कृतिक मुद्दों पर काव्य , निबंध एवं समीक्षा क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त वे रजोधर्म सम्बन्धी संवेदनशील मुद्दों पर पिछले लगभग डेढ़ दशक से शोध ,प्रसार एवं जागरूकता का कार्य कर रही है। वे अंग्रेजी और हिंदी में समान रूप से लेखन कार्य करती है और उनकी रचनायें देश विदेश के पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती हैं। “पोस्टमॉडर्निज़्म”, “पोस्टमॉडर्निज़्म : टेक्स्ट्स एंड कॉन्टेक्ट्स”, “जेंडर रोल्स इन पोस्टमॉडर्न वर्ल्ड”, “वीमेन एम्पावरमेंट”, “वीमेन : इश्यूज ऑफ़ एक्सक्लूशन एंड इन्क्लूज़न”,”वीमेन , सोसाइटी एंड कल्चर” , “इश्यूज इन कैनेडियन लिटरेचर” तथा “कलर्स ऑव ब्लड” , “भाव संचार” जैसी उनकी नौ पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा शिक्षण एवं लेखन हेतु उन्नीस पुरस्कार/ सम्मान प्राप्त हैं। अभी हाल में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उच्च शिक्षा श्रेणी में राज्यस्तरीय मिशन शक्ति सम्मान 2021 प्रदान किया गया है। उन्हें राष्ट्रीय नयी शिक्षा नीति 2020 में विशिष्ट योगदान हेतु राज्य सरकार द्वारा सम्मान पत्र भी प्राप्त है। उनकी पुस्तक कोर्स ऑफ़ ब्लड को यूनाइटेड नेशंस मिलेनियम कैंपस नेटवर्क एवं ग्लोबल अकादमिक इम्पैक्ट के मंच पर 153 से भी ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष चर्चित विषय के रूप में शामिल किया गया है।
पता : असिस्टेंट प्रोफेसर अंग्रेजी, डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, आशियाना, कानपुर रोड, एल .डी.ए. स्कीम , लखनऊ-226012

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One response to “बाल काव्य श्रृंखला भाग-1:नन्हे वादे -डॉ अलका सिंह”

  1. विवेक तिवारी Avatar
    विवेक तिवारी

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