नवगीत-ई-मेल किया है परिवार नेे
-रमेश चौहान
नवगीत-ई-मेल किया है परिवार नेे
नवगीत-
घर के एक-एक लोग को,
ई-मेल किया है परिवार ने
साथ रहकर साथ नहीं हैं,
अपने में सब खोए-खोए ।
हर व्यक्ति अपने कांधों पर,
दुनिया का सारा बोझ ढोए ।
सोशल मीडिया में चैट किये
एक-एक बरखुरदार ने
देख दशा अपने लोगों की,
लिखा मार्मिक संदेशा ।
मेरे जीवन मरण का प्रश्न है,
मृत्यु का है अंदेशा ।
मेरे सीने पर शूल चुभा दिया
मेरे ही पहरेदार ने
तुम ही ईट हो गारा तुम ही,
तुम ही नींव का रोड़ा
विदक रहे हो क्यों कर तुम
ज्यों तांगे का घोड़ा
मोबाइल पर ओवर ड्यूटी देख
छुट्टी लिया रविवार ने
मेल बॉक्स खोले ना कोई
व्हाट्सएप में सब भूले
फेसबुक का फेस होकर
स्नेप यूट्यूब पर झूले
घर को बिखरते देखा
घर के स्वप्नकार ने
वर्तमान सामाजिक तानेबाने पर संदेश के साथ सुधार पर सुंदर काव्य सृजन हेतु हार्दिक बधाई