नेताजी का वंश दोष-देवेन्‍द्र धर दीवान

नेताजी का वंश दोष

-देवेन्‍द्र धर दीवान

नेताजी का वंश दोष-देवेन्‍द्र धर दीवान
नेताजी का वंश दोष-देवेन्‍द्र धर दीवान

आजकल राजनीति विषय का बहुत उपयोग होता है भर्त्‍सना, निंदा आरोप-प्रत्यारोप तथा व्यक्तिगत परेशानी होने पर राजनीति का उपभोग तथा उपयोग सामान्य चलन में आ गया है । विश्व का विशालतम लोकतंत्र देश भारत है । वास्तव में राजनीति पावन पवित्र शुचिता पूर्ण विचारधारा जनहित के लिए सुचारू व्यवस्था का विधान है। यदि जनतंत्र में जनता मूर्ख नेता देश का मुखिया हो जाता है तब राजनीति को अनीति मूलक ग्रहण लग जाता है । आज नेतागिरी उत्तम उद्योग है इस धंधे को अनपढ़ गवार व्यवसाई भी सफलता पूर्वक चला लेता है। इस दुकान मैं आंतरिक गतिरोध अशांति जन भटकाव, भेदभाव, वर्ग विभाजन, अलगाव, तुष्टीकरण तथा कुलीन मलीन जैसे सामग्रियों का कारोबार होता है।

मान्यवर रामशरण सिंह जी निरंतर 4 बार निर्वाचित होकर विधायक तथा अभी कैबिनेट मंत्री हैं। संपूर्ण राज्य में चर्चित दबंग नेता है। राजनीति के चतुर चालाक बाजीगर हैं, यह धनबल बाहुबल मित्रबल तथा छद्म में बल से संपन्न अजय योद्धा हैं। इनके गुरु ससुर जी थी जो 1952 के प्रथम चुनाव से विधायक मंत्री थे अपने घर जमाई को कुटिल राजनीति का नयकोविद ज्ञान दिए थे। वैसे रामशरण जी अपने पैतृक कूलिन संपन्न परिवार के सदस्य थे किंतु पढ़ाई लिखाई से इन्हें विशेष अनुराग नहीं था इसलिए किशोरावस्था से ही लुच्चा लफंगा का फितरत में इनमें था। भाग्य से इनका विवाह यहां हुआ इनकी पत्नी सुशीला एकलौती संतान हैं। पिताजी के राजनीतिक विरासत से रूचि नहीं थी इसलिए ससुराली जयजाद के रूप में रामशरण जी बारिश बन बैठे । सुशीला देवी को राजनीतिक समझ है लेकिन अपने पिताजी के मौकापरस्ती मिथ्या नीति से मतभेद है।

एट दिन घट अयाचित (आकस्मिक) मृत्यु से रामशरण जी के ससुर का अंतकाल हो गया तब तक रामशरण जी राजनीति के कुशल सौदागर हो गए थे । ऐसी दुखद बेला में क्षेत्र के नेता जनता का जनसैलाब उमड़ गया लेकिन लोग शुभेच्‍छाओं से परे होकर बाहरी आंख से आंसू बहाए अंतर्दृष्टि में जल का अभाव था। अब रामशरण जी इस शरद कौमुदी से भी शीतल तृप्ति कारक अवसर पर श्वसुर से सल्तनत का गद्दी पर आसीन हुए ।

रामशरण जी को लोग नेताजी कहकर संबोधित करते हैं । अन्य जनप्रतिनिधि इनके समक्ष नेताजी कहलवाने में डरते हैं । इसलिए ये अंचल की इकलौते नेता है । दुर्ग नुमा अलिंद्र पुश्तैनी है। जिसमें निज आवास के अतिरिक्त सभालय, अतिथि कक्ष, मंत्रणा कक्ष, दरबार गृह इत्यादि भवन इसके अंदर निर्मित हैं। नेताजी ने महल का पृथक रूप से विस्तार किए हैं इस विशाल हवेली में । चापलूस चाटुकार भेदिया का जमघट लगा रहता है । प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारियों का हुजूम हुकुम बजाने डटे रहते हैं । दफ्तर सभागृह के पास है सेवादार सुरक्षाकर्मियों का निवास हवेली के बाजू में बनाया गया है । उद्यान व मैदान महल के सामने अतिरमणीय है । अनुपयोगी प्राणी का प्रवेश प्रतिबंधित है।

जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं । आज जिला संभाग स्तरीय बैठक रखा गया है । इन जनप्रतिनिधियों में हिंदू मुस्लिम सिख तथा एक ईसाई विधायक है, जो बारी-बारी पहुंच रहे हैं । इनमें दो तीन विधायक नेता जी की हुकुम का गुलाम नहीं है । उनकी अलग से बैठक की औपचारिकता पूरी की जाती है । नेताजी के विश्वसनीय निष्ठावान विधायकों का आगमन हो गया है । समस्त जन सभा गृह में विराजमान हैं । सब कोई अपने क्षेत्र से संबंधित एजेंडा तैयार कर आएं हैं । इनके आवभगत के लिए महिला सेविकाएं तत्पर हैं । जिन्हें विशेष श्रृंगार से सजाया गया है । इनकी इकहरी गौर बदन, छरहरा डीलडोल, शुभ्र अल्‍प वस्त्र भूषिता, घनश्याम कुंचित कुंतल केश विन्यास (ब्‍यूटी पार्लर की सजावट) सुवासित सुरभि युक्त दूग्ध के फैन के समान दाड़िम दंत बिंबोष्टि, केले की पत्ती जैसे कोमलंगी त्वचा, वाणी से वीणा से सुकंठित स्वर जैसे अनुराग सागर की धारा की प्रवाह, नेत्रारविंद में नित्य मुद्रा की चंचलता, प्रशिक्षित रूप गुण से अलंकृत कन्याओं के सुकुमार हाथों द्वारा अतिथि देवो भव भाव से स्वल्पाहार का विविध व्यंजन समर्पित किया गया। जनप्रतिनिधि अनिवेश दृष्टि से परोसे गए आहार का सेवन का उपयोग करने की उद्यम में लग गए। सर्वाभिलाषार्थ पूरक सेवा स्वरूपा कन्याए उनके समक्ष तृप्ति काया वांछित सामग्रियों के लिए आग्रह कर रहे थे एवं वार्ता का आदान-प्रदान हो रहा था । इनकी मुस्कुराहट अनुपम पुष्प वर्षा जैसी है । सभा कक्ष में ऐसी अतिथि सत्कार की सौदर्यता में चारु चंद्र की ज्योत्सना बिखर रही है। समागत जनप्रतिनिधि इस स्वागत पर गर्वदुकुल (आभूषण) से विभूषित हुए। कन्या चली गई अतिथि मायूस हो गए । इसी समय नेता जी के विशेष सचिव आए उन्हें असली मुद्दे पर विचार मंथन की मंत्रणा दिए। मंत्रमुग्ध प्रतिनिधि अपने विषय की ओर मुखर हुए। परस्पर चर्चा करने लगे तथ्‍य तथा तर्क को लेकर मतभेद हुआ, तकरार भी हो गया इसी बीच नेताजी का सभालय में प्रवेश हुआ समस्त जन खड़े होकर सादर अभिनंदन किए।

नेताजी- आप सभी आदरणीय को करबद्ध नमस्कार । महत्वपूर्ण बैठक है 6 माह बाद प्रदेश का चुनाव है चर्चा अत्यंत आवश्यक है विश्रांति में गपशप कर लेंगे।

सदस्य- महोदय जी मेरे यहां विद्युत ज्योति, जल स्रोत तथा गंदा पानी निकासी की समस्या अभी भी है।

नेताजी- विधायक महोदय बिजली, पानी, नाली स्थानीय निकाय का काम है उनको करने दो।

सदस्य- लेकिन जनता मेरे सिर पर सवार है।

नेताजी – जनाब आप तो म्युनिसिपल और ग्राम सभा को ताकिद करिए । आप प्रदेश के नेता हैं नीचे क्यों जा रहे हो? ऊपर रहिए यह कोई समस्या नहीं है ।

इसके बाद सभी सदस्य बारी-बारी अपने क्षेत्र से संबंधित विकास कार्य तथा समस्या राजनैतिक, सामाजिक, न्याय, भगौलिक, औद्योगिक, प्रदूषण-पर्यावरण, धार्मिक आपदा-विपदा, अकाल-महामारी अगट घटना, अराजकता, अशांति, आतंकी, अलगाववादी उग्रवादी संकट प्रचार-प्रसार, प्रकाशन-पत्रकारिता इत्यादि बिंदुओं पर प्रश्नचिन्ह लगाए।

नेताजी-जनता को तकलीफ होना चाहिए उनका कष्ट हमारी सुविधा है। समस्या नवीन तरकीब की दाई मां है । समस्या विहिन समूह को समाज नगन्य मानता है और असभ्यता में गिनती करते हैं। हमारा काम उस समूह, जाति वर्ग, क्षेत्र को कपड़ा पहना कर समाज के साथ खड़त्रा करना है । बस वह समूह ही सामाजिक हो गया यही समाजवाद है । सामाजिक विकास के लिए राज्य तथा केंद्र का बजट रहता है यह आपके लिए फायदेमंद है। जनता की जरूरत अंतहीन है जहां हमें तुष्टीकरण की नीति पर चलना है देखो भैया जनता की पहली गलती केंद्र और राज्य में अलग-अलग सरकार । अच्छा मौका है जो भी लोग कल्याणकारी कार्य हो रहा है वह हमारी उपलब्धि है जहां गलतियां हैं उसे केंद्र सरकार के ऊंपर मढ़ दो । हम जनता को मुफ्त में राशन, रोशनी, आवास, रसोई का ईंधन, शौचालय, किसान सम्मान निधि, वृद्धा निराश्रित पेंशन, अकाल मृत्यु में आर्थिक सहयोग राशि, आयुष्मान योजना, महामारी में मुफ्त दवाई इलाज टीका, जच्चा-बच्चा सुरक्षा निधि, जनधन खाता घर उद्योग में आर्थिक अनुदान, पौष्टिक आहार मध्यान भोजन, दलित व आरक्षित छात्रों को निशुल्क शिक्षा प्रशिक्षण, किसानों के लिए जो अनगिनत सेवाएं हैं, खाद बीज से लेकर फसल बीमा योजना तथा उचित दामों पर क्रय करना, कृषि औजार मशीन उपकरण को अनुदान राशि सहित हम मदद करते हैं । दिहाड़ी मजदूर मिस्त्री कारीगर वंशानुगत काम वालों को हमारी सरकार ठेला गुमटी ऑटो रिक्शा पसेरी मुफ्त में देती है। घरु उद्योग से विशाल उद्योग के नवीन प्रौद्योगिकी औद्योगिक उत्पादन में उत्पादकता सरकार का लक्ष्य है इन तमाम कार्यों से हमें बिना मेहनत की कमाई होती है । जहां अशांति नक्सली उग्रवाद की बात है तो बताएं आतंकवादियों का सामना हमारा बॉर्डर फोर्स कर रहा है सीमा पर हमारे सैनिक देश की रक्षा कर रहे हैं। इसमें कोई व्यक्ति या जवान मर-हर जाए तो उसके आत्मादान की दुहाई देने के लिए तुम्हारी उपस्थिति अनिवार्य है।

प्रदूषण संक्रामक रोग दंगा फसाद, सांप्रदायिकता, अराजकता आंदोलन जैसी स्थितियों को अवसर बनाएं । यह अप्रत्याशित कमाई का साधन है। केंद्र सरकार की अयोग्यता का कारण बना कर बताओ अपनी वाहवाही भी लूटते रहो । आप के चमचे छूट भैया चाटुकार प्रचार के साधन हैं । हमारी अधीनस्थ मनोनीत नेताओं को छोटा-मोटा काम ठेकेदारी रंगदारी दलाली जैसे काम देते रहो । कभी-कभी यह लोग हमारे पावर का दुरुपयोग भी करते हैं जैसे ‘चाय से ज्यादा केतली गर्म है’ कि स्थिति पर कितनी को पंचर करना पड़ता है । लेकिन कहीं-कहीं पर भाईचारा अमन शांति सहिष्णुता एकजुटता का माहौल रहता है । ऐसे स्थान आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है । ऐसी पवित्रता को तुरंत गंदा करो आप के पालतू कार्यकर्ताओं का उपयोग करो यह एलिमेंट वहां भेदभाव दंगा फसाद कराएंगे । आप वहां बलवा करा कर लोगों को इकट्ठा करो (डिवाइड एंड रूल) फिर सुलह कराओ यह राजनीति का उत्कृष्ट हुनर है ।

इस बीच दरबान का प्रवेश होता है किसी फरियादी का पर्ची रहता है नेताजी उसे अंदर बुलाने का आदेश देते हैं।

फरियादी -हुजूर मुझे गरीबी प्रमाण पत्र चाहिए । आपके दफ्तर का बाबू मुझे डांट फटकार कर भगा दिया।

नेताजी- दरबान से बुलाओ उस कमीने को (संबंधित बाबू हाथ जोड़े आता है) क्यों बे धूर्त (चिखकर) ए भगवान है मैं इसका भक्त हूं । जनता जनार्दन होता है और हम उनके सेवक । इन्हें तुरंत सर्टिफिकेट दो । भैया (फरियादी से) आप बैठिए, आपकी बेटी का विवाह है तैयारी चल रही है?

फरियादी- हां हुजूर रतन इकट्ठा कर रहा हूं।

नेताजी- यह ₹5000 मेरी तरफ से छोटा सा गुप्त भेट है, स्वीकार कर लें।

फरियादी- आश्चर्य व हर्ष के सामंजस्य में डूब जाता है । सभ्रम नेत्र से नेताजी को अपलक निहारता है । इसी बीच दफ्तर का बाबू प्रमाण पत्र फरियादी को देता है । फरियादी सजल नेत्रारविंद से विनयवत चला जाता है । नेताजी इस बाबू को प्यार से देखता है दोनों हंस देते हैं बाबू चला जाता है।

नेताजी-यह है तुष्टीकरण मरने मत दो लेकिन कमजोर बना कर रखो । यह बंदा सभ्य, ईमानदार है। इसके परिवार में 20 वोट है ₹5000 से विभाजन कर लो सभा के सदस्य सिर हिलाकर अभिवादन करते हैं।

देशभक्ति जनसेवा प्रचार-प्रसार है लेकिन जेबभक्ति तनसेवा जरूरी है । यदि आपके कुरता में जेब नहीं है तो पार्टी फंड में क्या दोगे? पार्टी आप के चंदे से चलती है । मुद्रा विहिन राजनीतिक दल देश का कितना परवाह करेगा? इसलिए अर्थबल सार्थक है । छह माह के अंदर आम चुनाव है। आजकल का चुनावी खर्च भारी-भरकम खर्च का ब्यौरा तथा निर्वाचन आयोग का सख्ती इससे बचाव कर के रण क्षेत्र में समर करना पड़ता है । निर्वाचित हुए तो तुम्हारी कुशल कारीगिरी है।

जनता चतुर सभी पार्टियों से खाओ वोट तो एक ही चित्र चिन्ह पर डालना है। अर्थात भ्रष्टाचार में ही शिष्टाचार व सदाचार है। इस बीच ड्रिंक लाया गया यह सेवा पुरुष वर्ग के लोगों ने किया उपस्थित सदस्यों की ललचाए उत्सुक आंख किसी और की और तलाश कर रही थी। लोगों ने अपने मनोतबियत अनुसार प्याला भर कर रसपान किया। नेताजी की बंकीम दृष्टि ने लोगों का अध्ययन कर लिया। कुतुहल करते हुए विनोदी मिजाज में बोले- लगता है आप लोगों की खातिरदारी में कुछ कसर रह गया है । सभी लोगों के चेतन चक्षु का कपाट खुल गया । अंदर श्वेत कांच में रक्तीम लकीर खींच कर अट्टहास से पूरा कक्ष कम्पायमान हो गया तब नेताजी आश्वासन दिए अगली मीटिंग संध्या से रात्रि तक आहूत करेंगे। सौगातों का बौछार होगा। प्रतीक्षारत पत्रकार बंधु बाहर बैठे थे उन्हें सभागार में बुलाया गया । जलपान से स्वागत किया गया। पत्रकार जलपान ग्रहण कर रहे थे साथ ही नेता जी की स्तुति तथा अन्य लोगों की प्रशंसा को पल्लवित कर रहे थे।

पत्रकार वार्ता शुरू हुआ सदस्यों से प्रजातांत्रिक मूल्य पर सरकारी योजना एवं विकास कार्य से संबंधित जानकारी पूछे । सदस्यों ने चतुराई पूर्वक अपनी तथा सरकार का बचाव करते हुए जवाब दिए इस तरह यह लोग प्रगतिशील जनप्रतिनिधि का परिचय प्रस्तुत किए। अंत में नेताजी कैमरे के सामने हाथ जोड़कर प्रस्तुत हुए विनययुक्त भाव भंगिमा, मिथ्या अलंकरण से सुसज्जित ओजस्वी कंठ को प्रस्तुत किए । आज की बैठक में जनकल्याण, प्रदेश तथा राष्ट्रहित से संबंधित सारगर्भित विषयों में विचार गवेशन किया गया है । जनमानस की प्राथमिक सुविधाओं को द्वार-द्वार पहुंचाना हमारा ध्येय होगा । कृषि उन्नयन के लिए पारंपरिक कृषि में फसल चक्र परिवर्तन की ओर किसान को उन्मुख करना, उत्पादन में गुणवत्ता लाना, कृषि को उद्योग का दर्जा देना है । दलहन तिलहन पेट्रोलियम उत्पादन किसान के हाथ में आए ऐसी हमारी धारणा है, जिससे आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो । उद्यमिता विकास के तहत बेरोजगारी को समाप्त करना, स्वरोजगार योजना चलाकर युवकों को काम देना, सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्योग में आधुनिक मशीन प्रौद्योगिकी तकनीक से बड़े पैमाने पर उत्पादन लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकारी तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी से सहभागिता के आधार पर काम करने का निश्चय किया गया। हमारे काम से विपक्षी दल बदहवास हो गए हैं। तर्कहीन बातें करते हैं। हमें जनता का परवाह है सत्ता या कुर्सी का मोह नहीं है । केंद्र सरकार हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है । कुछ तथ्य गोपनीय है इसे हम सार्वजनिक रूप से प्रकाशित नहीं करा सकते । जनता का आशीर्वाद हमारे साथ है हमारी पार्टी स्पष्ट बहुमत के साथ पुनः जनसेवा के लिए सत्ता में आएगी।

सभा कक्ष खाली हो गया है नेताजी आत्मा गुरुर से तन्मय अकेले बैठे हुए हैं । उनके मुख मंडल में जहरीली मुस्कान तथा हृदय विषवमन कर रहा है, मूल्हीन मस्तिष्क में विचारहीन सोच का उल्कापात हो रहा है। मेरी वर्क राजनीति की टेढ़ी चाल सांप की तरह गतिमान है । जनता को मदिरा की तलब और जनप्रतिनिधि को सुरा वा सुंदरी का चस्का यही लोकतंत्र का आभूषण है । नेताजी विलासिता तथा भोग विलास से उब गए हैं । उनकी जीवन का दूसरा पहलू दिन-हीन है क्योंकि चार पुत्रियों के बाद पुत्र रत्न प्राप्त हुआ जो उनकी नजर में मंदबुद्धि बालक है जिसे राजनीति से किंचित दिलचस्पी नहीं है । इस विचार से वे उद्विग्न हो गए । निराश हताश होकर बड़बड़ किए। थके हुए गर्भ से शिथिल बच्चे का जन्म हुआ है। यही नेताओं का वंश दोष है । इसकी भरपाई संभव नहीं है उद्विग्न हृदय तिलमिला गया सभा कक्ष से बाहर निवासालय की ओर चले गए।

इस हवेली का पुराना सेवक भोलाराम है । बचपन से बुढ़ापे तक यही चाकरी कर रहे हैं । बुढ़ापा और थकान एक-दूसरे का पर्याय है । भोलाराम प्रकृति से कर्मठ धर्मशील तथा सत्यानुयायी है । अनपढ़ होते हुए भी इन्हें युक्तियुक्त राजधर्म तथा लोक परायणता का सार्थक ज्ञान है । नमक की निष्ठा इनकी लहू में है। इस महल में अन्याय व अत्याचार का नित्य खेल होता है । गर्भगृह से बाहर वाटिका तक क्या होता है भोलाराम अकेले साक्षी हैं । भोलाराम को युवा अवस्था के ढलान में पुत्र के रूप में एक संतान प्राप्त हुआ। इस प्रसव में इनकी पत्नी परलोक सिधार गई। इस सद्योजात (नवजात) प्राणी का लालन-पालन इस माहौल में अनुपयोगी स्थान पर हो गया । नेता जी की पत्नी सुशीला देवी गर्म मिजाज, आक्रमक तर्कशील महिला है। इनकी अंतरधारा में ममता व नैतिकता का परोक्ष गुण है । सुशीला देवी के मातृत्व पालकत्व में बच्चे का पालन-पोषण हुआ । लेकिन परवरिश इस आलिन्द्र के बाहर भोलाराम के सानिध्य में हुआ। सुशीला देवी ने बच्चे का नाम सूरज भान सिंह रखा । कालांतर में बच्चे की पढ़ाई मेडिकल शिक्षा तथा संबंधित खर्च स्वयं व्यय की।

डॉक्टर सूरजभान 30 वर्ष का सजीला उद्यदाम आत्मनिष्ठ तथा मृदुचित्त से परावृत युवक है । जिसने एमएस चिकित्सा उपाधि प्रवीण छात्र के रूप में प्राप्त किया है। अभी महानगरी के प्रसिद्ध सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में न्यूरो सर्जन है, शल्य चिकित्सा में अचूक हाथ वा इलाज है।

नेताजी ने सुशीला देवी को आवाज लगाया। सुशीला जी कमरे से बाहर निकली, मेरे पास बैठो मैं बहुत थक गया हूं, सारा जहां मेरे हुकुम की गुलाम है लेकिन मैं अपने बेटे का क्या करूं मेरी अगली पीढ़ी का क्या होगा? इस समस्या के सामने मैं दुर्बल हो गया।

सुशीला- समस्या (जो अमूर्त है) को क्या आफद गया जो तुम्हारे गले पड़ गई । सब तो ठीक चल रहा है तुम्हारी इच्छा वा कामना के वशीभूत सारा क्षेत्र है तब तकलीफ किस बात की है।

नेताजी – अजी अपनी निकम्मे लड़के को समझाओ मेरे कुर्सी का वंश है मेरे बाद कौन बैठेगा?

सुशीला -अच्छा कुर्सी का वंशवाद। इसे तो मैंने बहुत पहले थूक दिया था। वह तुम्हें खैरात में मिला है । महाशय यह लोकतंत्र है कुर्सी किसी की बपौती नहीं है।

नेताजी– चुप फालतू बात मत कर । अरे यह मेदबुद्धि 26 साल पूरा कर लिया है । मेरे काम का क ख ग तक नहीं आता।

सुशीला-सुनो उसे तुम्हारी राजनीति से नफरत है। कब तक अपनी अनीति को उसके ऊपर लादते रहोगे? तुमने उसे मंदबुद्धि बनाया है। उसके स्वभाव और इच्छाओं का दमन तुमने किया है, लड़का बेचारा अपने स्वविवेक का संवरण नहीं कर सका । वह सब समझ कर भी किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया है ।

नेताजी- चिख कर यह मेरा खून है कि नहीं है?

सुशीला- सुनो चीखना चिल्लाना जानवर का काम है । नहीं इसमें तुम्हारा गंदा खून नहीं है। बोलो क्या कर लोगे यह मेरी मिल्कियत है । जिसमें तुम ईठला रहे हो मेरे टुकड़ों पर दुम हिलाओ, मैं सुशीला हूं तुम्हारी सारी करतूतों का भंडार मेरे पास है । मेरा खून …थूं । ना लड़का तुम्हारा खून है ना बाकी भी…।

नेताजी -(अभ्यर्थना पूर्वक शांति भाव से) ओ महारानी बाकी किसका खून है उससे मुझे लेना देना नहीं है। लड़का तो मेरे जैसे उबड़ खाबड़ चेहरे का है । अथक श्रम से मैंने पैदा किया है । तुझे पता है वैदिक, शास्त्री, वैद्य, गुनिया तथा अनुभव परायण बुजुर्गों की सलाह के बाद यह लाल उत्पन्न हुआ है । यह भी चाइनीज है यार सुन मेरी अर्धांगिनी मेरे वंश दोष की रक्षा कर अपने नन्हे मुन्ने को समझा।

सुशीला– (हैरानी पूर्वक सोचती है) हे! भगवान तू ने मुंह खाने के लिए बनाया है यह आदमी मल भक्षण कर रहा है । सुनो महाराज! किस को समझाऊं किस वंश की रक्षा करूं । वंश दोष का साम्राज्य इस महल से निकलकर भारत की दिगदिगंत तक संक्रामक रोग की तरफ फैल रहा है । हां इतने कहे देती हूं अन्याय बर्दाश्त करने की लक्ष्मण रेखा है । खींची हुई लकीर को मत छूना। यह मेरे भारत का जनतंत्र है भुवनमोहन के रूप में एक नायक आएगा जो पापाचार कदाचार तथा अनाचार का समूल विच्छेद करेगा और चिरकालिक जनहिताहित राष्ट्र का निर्माण करेगा । नेता जी का क्रोधज्वाल धधकने लगता है किंतु पत्नी के सामने पालतू जानवर की तरह हो जाता है । उसकी कमजोर अंतरात्मा दुर्बल हो जाता है । जिसकी नियति में निर्लज्जता का निवास हो वह कैसे भी मिथ्या रचना का निर्माण करें टिकाऊ नहीं रहता।

समय व्यक्ति का निस्तार नहीं है यह परिवर्तन ही है । प्रदेश का चुनाव संपन्न हो गया है भारतीय युवा शक्ति ने चौंकाने वाला नतीजा दिया है । पवित्र लोकतंत्र को मलिन करने वाले राजनेताओं का सूपड़ा साफ हो गया है । जनरव जोश की गूंज गगनचुंबी उत्साह है, आतिशबाजी की ज्योत्सना चमक रही है । वनस्पति के हरियाली झूम झूम कर पर्यावरण को निर्मल कर रहे हैं। कोयल की गायकी सुमधुर सुहावनी है । इधर नेताजी तथा उसकी पार्टी की नैया डूब गई है। पराजित प्रत्याशी फोन कर रहे हैं सारा दोष नेताजी के ऊपर डाल रह हैं । घिनौने शब्द से नेताजी हताहत होकर अपने अलिंद्र की चोटी में गए । वहां खड़े होकर परास्त अश्रुमुखी चितवन से विचलित ज्ञान द्वारा अपने अप्रत्याशित पराजय का मंजर देखने लगे। चेतना विहिन मस्तिष्क से विपरीत दिशा बोध हो रहा है । उनके कानों में कुत्तों का रुआंसी रूहानी आवाज सुनाई दे रहा है । अनभ्र वज्र गर्जन (बिना बादल बिजली के वज्रपात) का बोध हो रहा था । उनकी निस्तेज शरीर अपनी प्रतिबिंब के लिए लालायित हुआ उत्तेजित होकर मुकुल (शीशा) खोजने लगे किंतु खुली छत में आईना का क्या काम? एक पुराने हौज में (पक्षियों के लिए) पानी रखा हुआ था जो हवा में हिल रहा था उसी पानी में अपनी परछाई को देखा हिलते हुए पानी में उसका चेहरा कांप रहा था वह स्वयं से डर गया। बदहवास रामशरण वहीं खड़ा हो गया उनका मर्मभेदी दृष्टिपात हुआ। सूरजभान के ललाट में विजय टीका चमक रहा है गले में जनप्रतिनिधि का गमछा लटक रहा है। विनीयशिलता के साथ पैदल चल रहे हैं । श्रीमती सुशीला देवी खुले वाहन में खड़ी है । इस रैली के मध्य में सुशीला देवी के सुपुत्र प्रसन्न चित्त मंद गति से चल रहे हैं । रामशरण का जुबान फिसल गया नमक हराम! मेरा गुलाम भोला का बेटा मुझे धराशाई कर दिया। मेरी पत्नी मुझ से विरक्त हो गई । भोला की नौकरी करने चली गई । मेरा बेटा जो मेरा वंश है वह किसके (जनतंत्र) साथ है । ओह! मैं कहां हूं? मेरा कौन है? मेरा पैतृक घर गांव लेकिन मैंने बहुत पहले नाता रिश्ता तोड़ दिया है । धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का।

-देवेन्‍द्र धर दीवान, नवागढ़

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *