छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह आपरेशन एक्के घॉंव भाग-3

निठुर जोही गवना लेवावन आजा

निठुर जोही गवना लेवावन आजा,

निठुर जोही गवना लेवावन आजा,

पानी गिरत है रिमझिम रिमझिम, 

दिन बीतत है गिन गिन। 

दहकत है अंगारा मन में, 

जुग लागत है छिन छिन। 

मन में गदकत  बाजा… 

निठुर जोही, गवना लेवावन आजा…

अक्ति के भँवराये हौं, 

मन बउरावत जावत हे।

अब आही तब आही जोही, 

मोर मन ला कलपावत हे ।

ऑंखी-ऑंखी में झूलकत राजा…

निठुर जोही गवना लेवावन आजा… 

              ०००

डोली बैठ के जावत दुलहिन, 

अपन पिया के देश गड़ी। 

मया बोहावै निशदिन पल छिन, 

भावत हे परदेश गड़ी । 

बाप के हिरदय पथरा ढेला, 

महतारी गंगा जलधार। 

भाई बहिनी संगी सहेली, 

राखे अंतस मया अपार। 

आँखी के पुतरी ला विदा कर, 

सुमिरे गौरी गणेश गड़ी,

डोली बैठ के जावत दुलहिन, 

अपन पिया के देश गड़ी। 

          ०००

देवारी फेर आगे

देवारी फेर आगे, देवारी फेर आगे। 

साफ सफई लिपई पोतई, चलत हवे भैया। 

रिग-बिग रिग-बिग बिजली झालर, 

जलत हवे भैया ।

कतको रुपया अभिनले, फटाका में फुँकागे। 

देवारी फेर आगे, देवारी फेर आगे… 

दशरहा ले चलत हे, तिहार की तैयारी ।

मुड़ धरे पछतावथे हार के जुवारी। 

चिमगोचन्नी धरे रुपया जुआ में फुँकागे। 

देवारी फेर आगे, देवारी फेर आगे… 

सुरहोती गुवालिन में दीया ला जलाए हन। 

लछमी पूजा गोवर्धन तिहार ला मनाए हन। 

मेहनत के जोड़े रुपया, दारू में ढोंकागे… 

देवारी फेर आगे, देवारी फेर आगे… 

एसो के देवारी सुम्मत के दीया जलाबो। 

रिसावन नइदेन लछमी दाई ला मनाबो। 

कारी बिपत रात अंजोरी देखते भगागे…

देवारी फेर आगे, देवारी फेर आगे…

             ०००

जबले नाग पंचमी आय हे

जब ले नाग पंचमी आय हे,

साँप मन बिला में लुकाय हे ।

अब तो मनखे मन 

साँप ले ज्यादा जहरीला होगे हे, 

ऊँकर हिरदे अत्तिक पथरीला होगे हे, 

कि अपनेे नाता रिश्तेदार ला डसथे। 

व्यवस्था बिगाड़े के 

उदिम करैया, 

जहर उगलैया ये मनखे मन तक

अब साँप असन 

बिला में लुकाय रहिथे। 

बेरा-बेरा में निकल के 

व्यवस्था ला डस लेथे

अउ फेर बिला में खुसर जथे। 

इही साँप के भोरहा में 

कभू-कभू ढोढ़िया साँप मन तक

थुथरा जथे। 

जेकर फन नइ राहय

तेकरो फन कुचरा जथे।

नाग पंचमी आए हे,

सब साँप मन बिला में लुकाय हे। 

         ०००

सुनता के दीया जलातो वो

ए गड़ी ए गड़ी आतो वो, सुनता के दीया जलातो वो।

शहीद मन कैसे ये देश के खातिर मरिन,

नवॉं पीढ़ी ला बतातो वो। 

          ए गड़ी, ए गड़ी आतो वो…

फिरंगी मन कतका जुलम करिन हे। 

छाती में पथरा ओधा के सहिन हे। 

कतको झन आजादी के आगी में बरगे। 

तिरंगा तन में लपेटे मरिन हे।। 

बेरा बुलकगे बलिदानी भुलागे, 

सुते मनखे ला उठा तो वो… 

      ए गड़ी, ए गड़ी आतो वो… 

हमन ला राखे रीहिस निच्चट बैला। 

हमीं नीं जानत रहेन अपने पै ला। 

हमरे देश में हमीं ला काहन नीं देय हे, 

वन्देमातरम भारत माता  के जय ला। 

आजादी के लड़ाई में बरे रीहिस हे, 

सुनता के दीया जलातो वो…. 

          ०००

मन में राम उतारो 

मन में राम उतारो भैया, मन में राम उतारो।

घेरी बेरी जनम मरन, संकट ले तन ला उबारो भैया… 

       मन में राम उतारो… 

मन के रावण मार के देखव, राम खुदे मिल जाही। 

संस्कार के सीता पाके, मन पतझर हरियाही।। 

रामचरितमानस सागर, मोती जीवन में धारो भैया… 

        मन में राम उतारो… 

मन हे निर्दयी कंस बरोबर, बने कन्हैया झूमव झन। 

गरीब सुदामा मन ला लूटके, धन के मद में झूमव झन।। 

मन अर्जुन के बनव सारथी, गीता उपदेश उचारो भैया.. 

        मन में राम उतारो.. 

जंगलराज चलैया मन, भगवान राम के न्याय देखव। 

महाभारत रचैया मन भगवान कृष्ण के दॉंव देखव।। 

शबरी बिदुर सुदामा बनके, थोकिन लेवल आरो भैया… 

             मन में राम उतारो भैया… 

        ०००

मोर गॉंव के मड़ई

घूमे ला आबे संगी, मोर गॉंव के मड़ई। 

डॉंग डोरी झूमत गावत, देवता के चढ़ई।। 

        घूमे ला आबे संगी मोर, गॉंव के मड़ई.. 

नानचुन गॉंव कोहंगाटोला, पीपर के छॉंव तरी माढ़े हनुमान। 

ठाकुर देव कारीराव, शीतला मैंया के सब करे गुनगान।। 

मजा लेबो सब कोई, रहचूली चक्कर झूलई….

          घूमे ला आबे संगी मोर गॉंव के मड़ई…

गरमा गरम आलूगुंडा जलेबी खाबो। 

पान खावत काड़ी मिठई, फुग्गा बिसाबो।। 

नाचा देखत परी मन ला मोंजरा देवई…

        घूमे ला आबे संगी मोर गॉंव के मड़ई…. 

          ०००

 झन मार पिचकारी देवर बाबू

झन मार पिचकारी देवर बाबू, 

तोर रंग निच्चट पनियर हे। 

तोर निच्चट पनियर हे, 

तोर रंग निच्चट पनियर हे। 

तोर रंग निच्चट पनियर हे, 

झन मार पिचकारी देवर बाबू, 

तोर रंग निच्चट पनियर हे। 

का के पिचकारी बने, 

काहेन के रंग हे। 

कहॉं के पानी देवर बाबू, 

तोर रंग निच्चट पनियर हे। 

बॉंस के पिचकारी बने, 

परसा के रंग हे। 

दाहरा के पानी देवर बाबू, 

तोर रंग निच्चट पनियर हे। 

झन मार पिचकारी देवर बाबू, 

तोर रंग निच्चट पनियर हे। 

           ०००

जाड़ लागथे

अंगेठा जला दे बबा, जाड़ लागथे। 

गोरसी सिपचादे दाई, जाड़ लागथे। 

कन-कन कन-कन करथवे, तरिया के पानी। 

थोरको नइ सुहावय भैया, जाड़ के जवानी।। 

सुर-सुर सुर-सुर चलथवे, भुलकी ले झकोरा। 

लइका सियान करथवे, घाम के अगोरा। 

झिटी-झाटा जला दाई, जाड़ लागथे। 

अंगेठा जला दे बबा, जाड़ लागथे।। 

बड़े बिहने बड़े दाई, थोपथे अंगाकर। 

चिमनी अंजोर लकड़ी छेना, दिखे झुकुर झाकर।। 

कका दाई बैठे हवे, पलपला ला तोपे। 

कुकरी करे कुरुर कुरुर, कुईं-कुईं कुकुर माकर।। 

कथरी ओढ़ादे बाबू जाड़ लागथे। 

अंगेठा जला दे बबा जाड़ लागथे।। 

रौनिया में लोहार, ओकलत लोहा पीटे संगी। 

कभू करा बरसे, चूहे बादर सिटिर-साटर।। 

लट-पट नहाके आये, बिसाहू पनबूड़ी। 

कॉंचे चड्डी पनकच्चा, रेंगे छिपिर छापर।। 

बासी ला नई खावों दाई, जाड़ लागथे। 

अंगेठा जला दे बबा, जाड़ लागथे।। 

माईं पिल्ला सुतबो चलो, पेरा बिछाके। 

कमरा कथरी चद्दर, नइ ओढ़न बिना छॉंटे।। 

अमसुरहा सुहाथे, चिरपोटी बंगाला चटनी। 

लकर धकर खाथे सब्बे, ताते तात भाते।। 

हॉंथ ठुनठुनागे भैया, जाड़ लागथे। 

दॉंत कनकनागे भैया, जाड़ लागथे।। 

          ०००

गहदे करेला के नार जी

गहदे करेला के नार जी, 

एदे पुची चिरई पारे हवे गार जी। 

फुदक-फुदक आवथे, चिक-चिक नरियावथे। 

डेना में तोपे, अपन लइका संग गोठियावथे। 

रखवारी के भगवान ला हे भार जी। 

एदे पुची चिरई पारे हवे गार जी। 

ओकर गोदा में कौंआ मनके नजर हे। 

ये बात के हमर घर में खबर हे। 

ओरी पारी भगाथन ओला मार जी। 

एदे पुची चिरई पारे हवे गार जी। 

घूमत घामत बिलई कुकुर आत हे। 

दिन बचा डरबो बड़े जबर रात हे। 

गरीबहा मन बर टपकाथे लार जी। 

एदे पुची चिरई पारे हवे गार जी। 

               ०००

 दुरगा दाई को असली सेवा

साल भर जे गांजा दारु, पीके सब बर अँइठे। 

तिही मैनखे दुर्गा मैया के, पंडा बनके  बैठे। 

दाई माई मन पंडा के पाँव परे बर लजाथे। 

यहा काये दाई कैसन मनखे मनला पंडा बनाथे।

दुनिया भर के हीन करम के, जेकर फदके नार हवे। 

तेकरे ऊपर, सौहत देवी मैया के भक्ति सवार हवे।

सेवा गवैया मन हा पहिली, चिलम चोला चढ़ाही। 

तभे नशा में झुमरत वोमन, माता सेवा गाही। 

धन्य हे बहिनी माईं जेमन, माता सेवा गावथे। 

ईंकरे मनके असली सेवा, दुर्गा दाई पावथे। 

           ०००

 मरगे फेर गरीब के बेटा

मरगे फेर गरीब के बेटा, खूनी बस्तर घाटी मा। 

अउ निर्दोष के लहू बोहागे, छत्तीसगढ़ के माटी मा।।

पेट पाले परिवार चलाए, बर ये सिपाही बने रिहीस। 

मातृभूमि सेवा खातिर, घाटी बीहड़ में तने रिहीस। 

कतको दुश्मन मन के छाती, मा ये बंदूक हने रिहीस। 

जब घर आईस तब एकर तन, धुर्रा लहू में सने रिहीस। 

नक्सली मन संग जूझत लड़त, सहिगे गोली छाती मा। 

अउ निर्दोष के लहू बहागे, छत्तीसगढ़ के माटी मा। 

कतको झनके सुहाग पोंछागे, कतको कोरा हे सुन्ना।

लहू के आँसू रोवत नोनी, केंधरत कतको के मुन्ना। 

कतको सियनहा के लौठी टूटगे, हम सब ला परगे गुनना।

बहिनी मन बर तो भाई के, मया सागर परगे उन्ना।

कब ये घाव भराही भैया, आही खुशी मुहॉंटी मा। 

अउ निर्दोष के लहू बहागे, छत्तीसगढ़ के माटी मा। 

कोन हरे ये मन जे अतका, घुँसियाये हमला करथे।

अउ का पाये बर ये अतका, दुनिया के झमेला करथे ।

खुद मरथे दूसरा ला मार के, दाई ददा कंगला करथे। 

इंद्रावती गोदावरी महानदी के पानी गंगला करथे। 

छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया के, नारा मिले ही थाती मा। 

अउ निर्दोष के लहू बोहागे, छत्तीसगढ़ के माटी मा। 

काँटा ले काँटा भले निकलथे, जहर-जहर ला बुता देथे। 

लहू के बदला लहू बोहाके, कोने जे करजा चुका देथे। 

धीरज संयम शांति के भाखा, हिंसा के रद्दा हटा देथे ।

ओकलत पानी बंग-बंग बरत आगी ला बुता देथे। 

लिखे अशोक आकाश सुम्मत के, रद्दा रेंगे बर पाती मा। 

अउ निर्दोष के लहू बोहागे, छत्तीसगढ़ के माटी मा। 

              ०००

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