Mainshe ke peera ( मइनसे के पीरा )

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Description

मइनसे के पीरा

हाइकु विश्व की सबसे छोटी काव्य विधा के रुप में प्रतिष्ठित हुआ है । यह 5-7-5 के वर्ण क्रम में लिखा जाता है । “मइनसे के पीरा” वर्ष 2000 में रचित प्रदीप कुमार दाश “दीपक” जी द्वारा रचित छत्तीसगढ़ी हाइकु संग्रह है, जिसे हाइकु के वरिष्ठ हस्ताक्षर स्वर्गीय प्रोफेसर आदित्य प्रताप सिंह जी ठेठ छत्तीसगढ़ी का प्रथम हाइकु संग्रह मानते हैं । पीड़ा “मइनसे के पीरा” का मेरु है हाइकुकार प्रदीप अपने कवि धर्म का निर्वाह करता हुआ त्रासद परिणामों की चेतावनी और त्रासदी दोनों को इस संग्रह के हाइकुओं में व्यक्त करता है ।   संग्रह के हाइकुओं में जापानी हाइकु के गुणों की झलकियाँ सहज प्राप्त होती हैं तथा इसके हाइकुओं की मर्म छवियाँ सहज मन मोह लेती हैं । यह पुस्तक छत्तीसगढ़ी हाइकु के ऐतिहासिक संग्रह के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करती है ।

विवरण-

मइनसे के पीरा  (छत्तीसगढ़ी हाइकु संग्रह)
हाइकुकार : प्रदीप कुमार दाश “दीपक”

Pradeep Kumar Dash “Deepak”
● Mainshe ke peera ( मइनसे के पीरा )
First Chhattishgarhi Haiku book of India [2000]
● Publisher : Chhattishgarh lekhak sangh saria, (c.g.) INDIA
● Price :  ₹ 25

(पुस्तक उपलब्ध – 25 प्रति)

टीप- पुस्‍तक भारतीय डाक सेवा स्‍पीड पोस्‍ट से भेजी जावेगी

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