पुस्‍तक समीक्षा: आओ मिलकर गाएँ बालगीत

पुस्‍तक समीक्षा: आओ मिलकर गाएँ बालगीत

“आओ हम सब मिलकर गाएं बाल गीत”-एक रोचक विश्लेषण है बाल मन का

समीक्षक-डॉ अलका सिंह

पुस्‍तक समीक्षा: आओ मिलकर गाएँ बालगीत
पुस्‍तक समीक्षा: आओ मिलकर गाएँ बालगीत
कृति का नामआओ मिलकर गाएँ बालगीत
कृतिकार का नामडॉ एस एन चौहान
विधाकाव्‍य (बाल साहित्‍य)
प्रकाशकउत्कर्ष प्रकाशन मेरठ
प्रकाशन वर्ष2022
पृष्‍ठ67
मूल्‍य100 रू.
समीक्षकडॉ अलका सिंह
पुस्‍तक समीक्षा: आओ मिलकर गाएँ बालगीत

बाल साहित्य में बिम्ब का निर्माण एक बहुत बड़ा प्रयोजन होता है । बाल मन पर साहित्य द्वारा रोपित स्पष्ट बिम्ब इसकी सार्थकता को सिद्ध करता है । एक सार्थक बाल साहित्य की राष्ट्र निर्माण निर्माण में ठोस भूमिका होती है ,क्योंकि आज का बाल मन ही कल का राष्ट्र मन होता है ।

बाल साहित्य लिखना एक तिहरी चुनौती है, एक तरफ भाव पक्ष की श्रेष्ठता, दूसरी तरफ इस श्रेष्ठता के लिए यथोचित तरलता, और सबसे ज्यादा जरूरी, एक सरल सजल बाल मन के लिए स्थापित सुग्रह्यता । ‘आओ हम सब मिलकर गाएं बाल गीत’ पुस्तक के आरंभिक पृष्ठों में “प्रो रवीन्द्र प्रताप सिंह की कलम से ” के अंतर्गत एक कथन दिखाई देता है ,“सरल हो जाना सबसे कठिन कार्य है, यह पाषाण का तरल बन जाना है, और दुराग्रहों का विरल होकर दृष्टि से ओझल हो जाना । यह सरलता जब लेखन में आये, और वह भी जब एक ऐसा लेखन जो संस्कृति एवं जीवन मूल्यों को सिद्धांत से प्रेरित पोषित करे और आप्लावित दो तो कह लीजिये सोने पर सुहागा, या कैक्टस पर फूल !

प्रोफेसर एस एन चौहान की कवितायेँ ….. एक ऐसी ही प्रस्तुति हैं, जिनमे पाते हैं परिवार, प्रकृति, पारिस्थितिकी एवं जीवन मूल्य “ (पृष्ठ 11 )। यह बात अक्षरशः सत्य है, और संकलित कवितायेँ कदाचित और अधिक मात्रा में संवेदित और प्रभावित करने में सक्षम है।

डॉ एस एन चौहान का ‘आओ हम सब मिलकर गाएं बाल गीत’ वर्तमान समय की बाल कविता में में एक रोचक कृति है। जहां एक ओर यह संकलन बाल मन में मानवीय संबंधों का सरस बोध कराता है वहीं दूसरी ओर मानवीय तथा परिस्थिकीय पर्यावरण को ध्यान में रखकर रचनाएं प्रस्तुत करता है । दादा-दादी, नाना-नानी, माता-पिता, भाई-बहन, जैसे शीर्षकों से प्रारंभ यह संकलन कहीं परिवार को केंद्र में रखकर सम्यक बहुमुखी विकास हेतु बाल मन को प्रेरित करता है।

आगे शिक्षकों का एक रोचक संसार है, विज्ञान है, पर्यावरण है, त्यौहार हैं, मानवीय व्यवहार हैं, तितली, चिड़िया, कोयल, हाथी कुत्ते, मछली गीत सुनाते और साथ में गाते हैं तो वहीं जल संकट, चांद सितारे, पेड़ बाग, मिट्टी अंतरिक्ष और आसमान भी अपनी बात बताते हैं।

कहीं बताती, कहीं गाती, कहीं सोच के भाव में ले जाती, “आओ हम सब मिलकर गाएं बाल गीत” वर्तमान समय में बाल कविता का एक सशक्त रूपक है । कविता “सच्चाई ” कितनी सरलता से बच्चों को सत्य के लिए प्रेरित करती है, इसकी एक झलक प्रस्तुत है –

सच्चाई में बड़ी मिठास
सच्चाई से
आते पास ।
झूठ से
होता उपहास ।
सच्चाई से
बनते खास ।
झूठ कभी न
आवे पास ।
सच्चाई से
बढे उल्लास।

“(पृष्ठ 36 ) ,

वहीँ कविता “बाजीगर” हमारे पारम्परिक मनोरंजन पर केंद्रित है-

“गाँव में जब
बाजीगर आया
साथ अपने बन्दर लाया
बन्दर ने फिर
खेल दिखाया
उछल कूद
धमाल मचाया
बच्चों को
खूब हंसाया
गाँव में
बाजीगर आया”
(पृष्ठ 37 )


कविता “देश” कहती है ,

“देश हमारा
सबको प्यारा
लगता हमको
सबसे न्यारा
जाती धर्म का
न बंटवारा
सबने मिलकर
देश संवारा
बुराई से
कभी न हारा
ऐसा सुन्दर
देश हमारा। “
(पृष्ठ 41)

संकलन की कविताओं में भारतीय सांस्कृतिक पाठों को बड़ी सजगता के साथ छुआ गया है। कविताओं में संवाद एवं बोल स्वतः स्पष्ट है। सरलता ही डॉ चौहान के लेखन की परिभाषा है और सरल सम्प्रेषण इनका शैलीगत गुण।

समीक्षक के विषय में :
डॉ अलका सिंह डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी लखनऊ में शिक्षक हैं।शिक्षण एवं शोध के अतिरिक्त डॉ सिंह महिला सशक्तीकरण , विधि एवं साहित्य तथा सांस्कृतिक मुद्दों पर काव्य , निबंध एवं समीक्षा क्षेत्रों में सक्रिय हैं। वे अंग्रेजी और हिंदी में समान रूप से लेखन कार्य करती है और उनकी रचनायें देश विदेश के पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती हैं। “पोस्टमॉडर्निज़्म”, “पोस्टमॉडर्निज़्म : टेक्स्ट्स एंड कॉन्टेक्ट्स”, “जेंडर रोल्स इन पोस्टमॉडर्न वर्ल्ड”, “वीमेन एम्पावरमेंट”, “वीमेन : इश्यूज ऑफ़ एक्सक्लूशन एंड इन्क्लूज़न”,”वीमेन , सोसाइटी एंड कल्चर” , “इश्यूज इन कैनेडियन लिटरेचर” तथा “कलर्स ऑव ब्लड”, “भाव संचार” जैसी उनकी नौ पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा शिक्षण एवं लेखन हेतु उन्नीस पुरस्कार/ सम्मान प्राप्त हैं। अभी हाल में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उच्च शिक्षा श्रेणी में राज्यस्तरीय मिशन शक्ति सम्मान 2021 प्रदान किया गया है। उन्हें राष्ट्रीय नयी शिक्षा नीति 2020 में विशिष्ट योगदान हेतु राज्य सरकार द्वारा सम्मान पत्र भी प्राप्त है। उनकी पुस्तक कोर्स ऑफ़ ब्लड को यूनाइटेड नेशंस मिलेनियम कैंपस नेटवर्क एवं ग्लोबल अकादमिक इम्पैक्ट के मंच पर 153 से भी ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष चर्चित विषय के रूप में शामिल किया गया है।

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