पुस्तक समीक्षा: छन्द संदेश
कृति का नाम | छन्द संदेश |
कृतिकार का नाम | जगदीश”हीरा” साहू |
भाषा- | छत्तीसगढ़ी |
शिल्प | छंद |
मूल्य | 150/- |
समीक्षक | अजय अमृतांशु |
छत्तीसगढ़ी मा सुग्घर संदेश- “छन्द संदेश”
अपराधी कुर्सी मा बइठे, खेलत हावय जम के खेल।
मजा उड़ावय मार लबारी, सच बोलइया जावय जेल।
आल्हा के ये पद युवा छन्दकार जगदीश “हीरा” साहू के कृति “छन्द संदेश ” के आय जेमा उन आज के नपुंसक राजनीति उपर मुखर होके बिना कोनो भय के अपन बात रखे हे। अब बेरा आ गे हे बिना लाग लपेट के खरी खरा कहे के। लगभग 55 किसिम के छन्द ले सजे ये संघरा म विषय के विविधता हवय। “छन्द संदेश” कृति के शीर्षक ले ही स्पष्ट हवय कि ये कृति म कवि छन्द के माध्यम ले संदेश दे के काम करे हवय।
सड़क सुरक्षा वर्तमान के ज्वलंत समस्या आय जेमा छन्दकार सुग्घर संदेश दे के काम करे हवय:-
सड़क सुरक्षा नियम सबो झन,गाँठ बाँध के सब मानव।
रेंगत हावय जे मनखे मन, सबला अपन सही जानव।
गाँव के माटी के सोंधी खुशबु शहर म कहाँ मिलही ? येकर मार्मिक चित्रण शोभन छन्द म देखव :-
छोंड़ के झन आज जाबे, सुग्घर हमर गाँव।
भटकबे बड़ कहाँ पाबे, लीम पीपर छाँव।।
कल कारखाना के दुष्परिणाम सार छन्द मा कवि के सार गोठ –
आज कारखाना के पानी, जम्मो नदी बहा के।
नदिया नरवा के पानी ला, गंदा करदिच जा के।
सिंहावलोकनी दोहा साहित्य म नवा प्रयोग आय, पर्यावरण के चिंता अउ संदेश सिंहावलोकनी दोहा म देखव-
सबो शहर अउ गाँव मा,पेंड लगावव एक।
सेवा लइका कस करव, करव काम गा नेक।।
कवि /छंदकार अपन लेखन के माध्यम ले समाज ल दिशा दे के काम करथे। कोई एक संदेश भी मनखे के जीवन ला बदल दँय तो समझव कि लेखन सफल हवय। अइसने आस रख के ही जगदीश साहू जी अपन कलम ल चलाय हवँय। मतदान करे खातिर उल्लाला छन्द म कवि लिखथें-
पइसा दारू पाय के, मत बेंचव ईमान ला।
पछताहव नइते सबो, बाँटव जा के ज्ञान ला।।
पारम्परिक विषय के संग-संग छन्दकार हा वर्तमान के ज्वलंत विषय- बेटी बचाव,शौचालय बनाव, मतदान, नशा, पेड़ लगाव, प्रदूषण,योग, सड़क सुरक्षा, देशप्रेम,शिक्षा के अधिकार, स्वच्छता आदि उपर छन्द के माध्यम ले संदेश दे के ये कृति के संग पूरा न्याय करे हवय। लघु अउ गुरु के हिसाब से 23 प्रकार के दोहा के चित्रण ये संग्रह म हवय। उँहें चौपाई छन्द म स्काउटिंग गीत घलो हवय। बैरी पाकिस्तान उपर कवि के आक्रोश ताटंक छन्द मा-
कासमीर ला माँगत हावय,अब राँची ला लूटौ जी।
बन के बघवा भारत माँ के, बैरी उपर टूटौ जी।।
विधाता छन्द में कुछ शब्द के प्रयोग खटकत हवय ये प्रिंट के त्रुटि भी हो सकत हे। जइसे- उठाके= उठा के, सजाके = सजा के, बनाके= बना के होना रहिस। प्रूफ रिडिंग के बेरा येकर ध्यान रखना चाही।
छत्तीसगढ़ी साहित्य म छन्द के नवा नवा संग्रह के सरलग प्रकाशन सुखद हवय। ये कृति हा महतारी भाखा ला पोठ करे के काम जरुर करही। किताब के छपई सुग्घर अउ कव्हर पेज आकर्षक हवय। सबो छन्द विधानसम्मत अउ व्याकरण सम्मत हवय। नवा रचनाकार मन ये किताब ल जरूर पढ़य ताकि छत्तीसगढ़ी लेखन हा पोठ हो सकय।
समीक्षक- अजय अमृतांशु
भाटापारा