‘भाव प्रधान अउ मानवीय मूल्य के संग्रह आय बहुरिया’
समीक्षक-पोखन लाल जायसवाल
कृति का नाम | बहुरिया |
कृतिकार | श्री चोवाराम वर्मा |
प्रकाशक | आशु प्रकाशन रायपुर |
भाषा | छत्तीसगढ़ी |
विधा | कहानी |
पृष्ठ संख्या | 74 |
मूल्य | 150 रू. मात्र |
स्वामित्व एवं उपलब्धता | कृतिकार के पास |
समीक्षक | पोखन लाल जायसवाल |
भाव प्रधान अउ मानवीय मूल्य के संग्रह आय बहुरिया
आज सोशल मीडिया के दौर आय। जिहाँ अपन विचार अभिव्यक्त करे के पूरा छूट हे। साहित्य लेखन बर सोशल मीडिया एक मंच घलव हे। सोशल मीडिया के माध्यम ले साहित्य लिखे के बारिकी बताय जावत हें अउ सरलग कतको साहित्य के सृजन होवत हे। दलित विमर्श, नारी विमर्श, जनवादी धारा जइसन अउ कतको साहित्य लिखे जावत हे। फेर असली साहित्य तो उही साहित्य आय, जेन शोषित अउ पीड़ित के पक्षधर होथे। शोषित अउ पीड़ित के आवाज ल उठाथे। शोषित अउ पीड़ित के दुख पीरा ल हरे के उदिम करथे। उँखर बर मरहम के काम करथे। शोषक ल सचेत करथे कि उनकर मनमानी अब अउ जादा दिन नइ चलय। साहित्यकार अपन साहित्य म बिम्ब अउ प्रतीक के माध्यम ले समाज के दशा ल उघारे के उदिम करथें। इही उदिम ले सत्ता अउ शोषक डर्राथे। ए ह कलम के ताकत आय। कलम के इही ताकत ले समाज ल नवा रस्ता मिलथे। समाज म व्याप्त बुराई ऊपर साहित्यकार के धारदार कलम के चले ले समाज म जागृति आथे। साहित्यकार समाज म व्याप्त बुराई अउ घटे घटना मन ल अपन कल्पना शक्ति अउ दूरदर्शिता ले विस्तार दे के बुता करथें अउ एक आदर्श समाज के निर्माण म भरपूर योगदान देथें।
साहित्य सृजन एक साधना आय। साहित्य साधना के भट्टी म तप के निखरे साहित्यकार आँय चोवाराम वर्मा बादल। जउन मन मूलरूप ले कवि आँय। फेर आज ओमन निबंध, व्यंग्य, कहानी घलव लिखत हें। उँकर 16 कहानी मन के कहानी संग्रह बहुरिया इही बछर जनवरी म छापाखाना ले छप के आय हे। जेन उँकर दूसरइया कहानी संग्रह आय। एकर पहिली जुड़वा बेटी छपे हे। बहुरिया कहानी संग्रह के कहानी मन के कथानक तिर तखार म घटे कोनो घटना अउ पात्र मन के आप बीती आय। जउन ह ओला जीवंत बना देथे। बादल जी पात्र के चरित्र ल पात्र अउ कथानक के मुताबिक गढ़े म सफल हे अउ सामाजिक मूल्य ल पात्र मन के माध्यम ले संरक्षित करे म सफल हें।
भाषा सरल हे, सहज हे। पात्र मन के चरित्र चित्रण करे म भाषा के प्रति बादल जी बहुतेच सावचेत हवँय, कहे जा सकत हे। तभे तो पात्र के मुताबिक ही संवाद म हिंदी अउ अँग्रेजी भाषा के शब्द मन ल बउरे हे। हर कहानी के भाषा प्रवाह पाठक ल कहानी ले जोरे रखे म सक्षम हवँय। साहित्यिक रूप ले मुहावरा, लोकोक्ति/हाना के प्रयोग कहानी मन के सुघरई बढ़ाय हे।
साहित्य समाज के दर्पण आय। समाज ल दिशा देथे। सामाजिक उत्थान के रस्ता म ले जाथे। ए तभे संभव हो पाही, जब साहित्यकार समाज म होवत घटना के प्रति संवेदनशील रइही। अपन सामाजिक दायित्व निभाय बर सजग रइही। बादल जी नारी-विमर्श, दिव्यांग मन के प्रति सकारात्मक सोच अउ सामाजिक बुराई के विरोध म कहानी लिख के अपन सामाजिक दायित्व ल पूरा करे हें।
कहानी मनखे के जिनगी के एक अइसन पन्ना आय, जेमा कोनो घटना ल कहानीकार अपन कल्पना शक्ति अउ लेखन शैली ले विस्तार देके रोचक अउ पठनीय बना के लिखथें। सुरता के बादर, जाके पूछ न, चंगुल, आँखीं के काजर चोर, शरद पुन्नी जइसन कुछ कहानी मन अतेक छोटे हे कि कहानी के मूल तत्व के हिसाब ले कहानी के श्रेणी म गिनती करई ठीक नइ लागत हे। बादल जी लेखन म अतका सक्षम हें कि एमा अपन कल्पनाशक्ति ले एला विस्तार दे के एक बढ़िया कहानी म ढाल सकत हें। अभी ए कहानी मन लघुकथा के आकार म हें, फेर लघुकथा के अपन अलग कलेवर होथे। ए कहानी मन के एक ठन बने बात ए हावय कि अइसन छोटे छोटे कहानी पढ़े ले पाठक मन के आदत लम्बा कहानी पढ़े के बनही।
अब कुछ कहानी मन के बारे म घलव गोठ करत हँव। मैडम जी कहानी निःशक्तता ल भुला के अपन बुता म लगे रहे ले सफलता मिलथे के संदेश दे म सफल हे।
‘जाके पूछ न’ कहानी कोरोना काल म जिनगी म आय ठहराव ल फिर से गति दे के उदिम आय। गति च हर तो जिनगी ल सार्थकता देथे। अइसे भी जिनगी ल चलती के नाँव गाड़ी माने गे हे।
बहुरिया कहानी समाज ल नवा सोंच दे म सक्षम हे। बादल जी बहुत बढ़िया पात्र गढ़के मानवीय मूल्य ल बचाय हें।
‘आजादी आगे’ म शोषक कइसे-कइसे प्रपंच रचथे अउ चाटुकार मन के बल म कइसे सफल रहिथे एकर बढ़िया चित्रण हे, त नारी अस्मिता ल बचाय बर नारी ल आगू लाके नारी सशक्तिकरण ल बल दे के सुग्घर उपक्रम हें। नारी शक्ति सामरथ रहँय, अबला अउ उपेक्षित झन रहँय, ए सोच बादल जी के अंतस् म हे। तभे तो अपन दूनो कहानी संग्रह के नाँव नारी च समर्पित करें हें।
लूट कहानी म आफत के घड़ी म अवसर के ताक म बइठे लोगन के सोच अउ आम आदमी के पीरा ल बढ़िया ढंग ले रेखांकित करे म सफल हे, फेर ए कहानी म कोनो पात्र उभर नइ पाय हे। अच्छा बात इही हे कि सकारात्मक सोच के संग समाप्त होय हे। अभी घटना प्रधान रपट जइसे हे।
अभी के बेरा म मनखे अउ परिवार के बीच सोशल मीडिया या मोबाइल के आय ले मनखे के मानसिक दशा का हो जथे? एकर बढ़िया मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के कहानी आय ‘इलाज’।
कहानी ‘आँखीं के काजर चोर’ ए बताय म सक्षम हे कि विज्ञान के ए बेरा म कुछु भी असंभव नइ हे। सिरतोन म परदा के कान होथे, ए मान के नकसान ले बाँचे बर हरदम सावचेत रेहे के चाही, इही ह कहानी अउ कहानीकार के उद्देश्य आय।
कुल मिला के ए कहे जा सकत हे कि बादल जी के ए कहानी संग्रह के भाव पक्ष बड़ सजोर हे, शिल्प म थोकिन मिहनत करके एमा सिलहोय कहानी मन ल अउ बेहतर करे जा सकत हे। जेमा कहानीकार खुद सक्षम हें। अवइया घरी म भाव अउ शिल्प दूनो दृष्टि ले श्रेष्ठ कहानी पढ़े बर मिलही, ए बात के बादल जी ले उम्मीद करे जा सकत हे। भाव प्रधान अउ मानवीय मूल्य के ए संग्रह पढ़े के लइक हे। बहुरिया के प्रकाशन बर चोवाराम बादल जी ल शुभकामना देवत हँव।
समीक्षक : पोखन लाल जायसवाल,पलारी
सुग्घर समीक्षा।समीक्षक श्री पोखनलाल जायसवाल जी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करत हँव।