रमेश चौहान के 5 ठन पंथीगीत
छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध संत परम पूज्य घासीदास का यशोगान पंथीगीत कहलाता है । यहां पंथी 5 गीतों के बोल (Lyrics) दिए गए हैं । ये सभी गीत अत्यंत ही प्रभावकारी है ।
1.पंथीगीत- बोल सत्य नाम साहेब –
मुखड़ा
बोल सत्य नाम साहेब । सत्य सत्य नाम साहेब
देख सत्य नाम साहेब । सत्य सत्य नाम साहेब
चलव चलव गुरू के शरण, छोड़ अपन सब एब ।
एक बार जुरमिल कहव, सत्य नाम साहेब ।।
अंतरा-1
सत के रद्दा, अगम गहिर हे । अगम गहिर हे..
चलय डगर, जेने फकीर हे ।। जेने फकीर हे…
पटपर भुंइया, मन भरमावय । मन भरमावय साहेब मन भरमावय.
गुरू बिन कोने, पार लगावय । पार लगावय साहेब पार लगावय.
जीवन के सब भार ला, गुरू चरणे मा देब ।
हाथ जोड़ के बोलबो, सत्य नाम साहेब ।।
अंतरा-2
तोर चरण मा, माथ नवाय हन । माथ नवाय हन.
तोर दया ले, सब सुख पाये हन । सब सुख पाये हन.
मनखे मनखे, एक बताये । एक बताये साहेब एक बताये.
रंग खून के, एक दिखाये । एक दिखाये साहेब एक दिखाये
घट घट मा भगवान हे, दरस परस कर लेब ।
कण-कण मा तैं देख ले, सत्य नाम साहेब ।।
अंतरा-3
पथ भटके ला, पथ देखाये । पथ देखाये.पथ देखाय.
जीव जीव ला, एक बताये । एक बताये एक बताये …
सत के सादा, धजा बनाये । धजा बनाये साहेब धजा बनाये
जैत खाम मा, तैं फहराये ।। तैं फहराये साहेब तैं फहराये ।
सत्य नाम के जोत ला, अंतस मा धर लेब ।
सत्य बोल ला बोलबो, सत्य नाम साहेब ।।
2.पंथीगीत-चलव जयंती मनाबो, गुरू घासी दास के
मुखड़ा
चलव जयंती मनाबो, गुरू घासी दास के
गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के
अंतरा-1
घर कुरिया लिप पोत के, खोर अंगना सजाबो
जैतखाम मा सादा झंड़ा, फेरे नवा चढाबो
अउ चौका हम कराबो, गुरू घासी दास के
गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के
अंतरा-2
सादा सादा ओढ़ना पहिरे, सादगी ला बगराबो
छांझ मांदर हाथ धरे, गुरू के जस ला गाबो
अउ पंथी नाच देखाबो, गुरू घासी दास के
गुरू घासी दास के संगी गुरू घासी दास के
अंतरा-3
गुरू संदेश मन मा धरे, सत के अलख जगाबो
सत के रद्दा रद्दा रेंग रेंग, सतलोक मा जाबो
सतनाम धजा फहराबो, गुरू घासी दास के
गुरू घासी दास के ओ संगी गुरू घासी दास के
3. हे गुरूघासी दास शक्ति हमला दे अतका
मुखड़ा
हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।
छोर सकी सब गांठ़, परे हे मन मा जतका ।।
हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।
छोर सकी सब गांठ़, परे हे मन मा जतका ।।
अंतरा-1
बैरी हे मन मोर, बइठ माथा भरमाथे ।
डगर झूठ के छांट, हाथ धर के रेंगाथे ।।
अइसन करव उपाय, छूट जय ऐखर झटका ।
हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।।
अंतरा-2
सत के रद्दा तोर, परे जस पटपर भुइया ।
कइसे रेंगंव एक, दिखे ना एको गुइया ।।
परे असत के फेर, खात हन हम तो भटका ।
हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।।
अंतरा-3
मन मंदिर मा तोर, एक मूरत दे अइसन ।
जिहां बसे हे झार, असत मन हा तो कइसन ।।
मर जावय सब झूठ, पाय मूरत के रचका ।
हे गुरू घासीदास, शक्ति हमला दे अतका ।।
4.पंथीगीत- सत के अलख जगाये ये धाम म
मुखड़ा
गुरु घासी दास बाबा,
सत के अलख जगायें ये धाम म ।
सत के अलख जगायें ये धाम म …
गुरु घासी दास बाबा
सत के अलख जगायें ये धाम म
अंतरा-1
सादा तोर खम्भा बाबा, सादा तोर धजा ,
सादा तोर धजा बाबा, सादा तोर धजा,
सत के धजा फहरायें ये धाम म ।
गुरु घासी दास बाबा,
सत के अलख जगायें ये धाम म ।
अंतरा-2
मनखे मनखे एक होथे, मनखे ल बतायें
मनखे ल बतायें बाबा, मनखे ल बतायें
मनखे मन के छुवाछूत ल, मिटायें ये धाम म ।
गुरु घासी दास बाबा,
सत के अलख जगायें ये धाम म ।
गुरु घासी दास बाबा,
सत के अलख जगायें ये धाम म ।
सत के अलख जगायें ये धाम म …
गुरु घासी दास बाबा
सत के अलख जगायें ये धाम म
5. गुरू घासीदास महिमा (आल्हा छंद)-
आल्हा धुन लहर लहर सादा झण्ड़ा हा, जैत खाम मा लहराय । हवे सत्य शाश्वत दुनिया मा, दे संदेशा जग बगराय ।। महानदी के पावन तट मा, गिरौदपुरी घाते सुहाय । जिहां बसे महंगु अमरौतिन, सुख मा जीवन अपन बिताय । सतरा सौ छप्पन के बेरा, अठ्ठारा दिसम्बरे भाय। निरधन महंगु के कुरिया मा, सत हा मनखे तन धर आय । चारो कोती मंगल होवय, लोगन मांदर ढोल बजाय । चिरई चिरगुन सब जंगल के, फूदक फूदक खुशी मनाय ।। लइका के मुॅह देख देख के, अपने सुध-बुध सब बिसरत जाय जेने देखय तेने जानय, मुॅह मा कुछु बोली ना आय । अमरौतिन दाई के कोरा, बालक मंद मंद मुस्काय । ऐही लइका आघू चल के, गुरूजी घासी दास कहाय ।। सोनाखान तीर जंगल मा, घासी हा सत खोजय जाय । खोजत खोजत फेर एक दिन, छाता परवत ऊपर आय।। जिहां बबा बइठे जब आसन, घाते के समाधी लगाय । सत के संग मिले सत हा जब, सत सत सब एके हो जाय ।। सत के जयकारा फेर गुंजे, दुनिया मा सतनाम कहाय । मनखे मनखे सब एक कहे, सात बचन गुरू देत बताय । सत्य धरव सब अंतस भीतर, मारव मत कोनो जीव । मांस मटन खावव मत कोनो, जीव जीव हा होथे सीव ।। चोरी हारी ले दूर रहव, छोड़ जुआ चित्ती के खेल । नशा नाश के तो जड़ होथे, करहूं मत ऐखर ले मेल ।। जाति-पाति सब धोखा होथे, मनखे मनखे एके जान । व्यभिचार करहूं मत कोनो, पर नारी हे जहर समान ।। जेन धरे गुरू के सात बचन, भव बंधन ला देत हराय । ये दुनिया के सुख भोग सबो, परम लोक मा जात समाय ।।
-रमेश चौहान
लाजवाब पंथी गीत संग्रह भैया
सादर धन्यवाद लहरेजी
सर जी बहुत ही सुंदर पंथी गीत आपके द्वारा प्रस्तुत किया गया है इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद आप इसी तरह सभी के बारे में लिखते रहेंगे ईश्वर आपको खूब तरक्की दे।
सर जी नमस्कार
सादर धन्यवाद भाई
जयसतनाम जयसतनाम जयसतनाम
वाह वाह लाजवाब पंथी गीतों का संकलन है भैया जी। अतीव सुंदर सृजन, हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
गुरु घासीदास बाबा की जय। शत शत नमन।
उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार चन्द्राकर भाई