रस छंद और अलंकार का उदाहरण छत्‍तीसगढ़ी में

रस छंद और अलंकार का उदाहरण

(रमेश और छंद- रमेश चौहान के छंद)

एकेठन छंद सार छंद के एकेठन कविता ये अकरस के पानी मा छै रस अउ छैै अलंकार के उदाहरण दे के कोशिश करे हंव, मैं अपन कोशिश म कहॉं तक सफल हँव तेला तो आपेमन बताहूँ । येखर आपमन के प्रतिक्रिया के मोला अगोरा हे-

ये अकरस के पानी (सार छंद)

ये अकरस के पानी  रस, छंद और अलंकार का उदाहरण छत्‍तीसगढ़ी में
ये अकरस के पानी रस, छंद और अलंकार का उदाहरण छत्‍तीसगढ़ी में

1. छंद-सार छंद, रस- संयोग श्रृंगार, अलंकार- अनुप्रास अलंकार-

सरर-सरर सरसरावत हवय, दुल्हा बन पुरवाही ।
धरती दुल्हन के घूंघट धर, लगथे आज समाही ।।
घरर-घरर घरघरावत हवय, बदरा अपन जुबानी ।
दूनों झन खुशमुसावत हवय, ले अकरस के पानी ।।

2. छंद-सार छंद, रस- वियोग श्रृंगार, अलंकार- यमक अलंकार-

काम के चक्कर मा काम मरगे, नो हँव मैं सन्यासी ।
दूनों प्राणी करन नौकरी, मन मा आज उदासी ।।
वो ऊहाँ मैं इहाँ मरत हँव, का राजा का रानी ।
अकेल्ला म अउ जाड़ बढ़ावय, ये अकरस के पानी ।।

3. छंद-सार छंद, रस- करूण रस, अलंकार- श्‍लेष अलंकार-

घपटे ओ सुरता के बादर, बेरा मा झर जाथे ।
नाक-कान ला नोनी काटे, नाक-कान बोजाथे ।।
मोरे कोरा के ओ लइका, रहिस न बिटिया रानी ।
झरर-झरर अब आँसु झरत हे, जस अकरस के पानी ।।

4. छंद-सार छंद, रस- हास्‍य रस, अलंकार- श्‍लेष अलंकार

कवि जोकर कस मसखरी करय, लाइन चार सुनाये ।
लिखे आन के चारों लाइन, अपने तभो बताये ।।
हाँहाँ-हाँहाँ किलकारी भर, स्रोता करय सियानी ।
सोला आना कविता बाँचब, हे अकरस के पानी ।।

5. छंद-सार छंद, रस- वीर रस, अलंकार- रूपक अलंकार

सूरज के मैं आगी बारँव, अउ चंदा के भुर्री ।
बैरी जाड़ा जब बन आवय, लेसव ओखर झूर्री ।।
मोर देश अउ मोर धरम हा, मोर करेजा चानी ।
अपन देश बर सही लेहुँ मैं, दुख अकरस के पानी ।।

6. छंद-सार छंद, रस- रौद्र रस, अलंकार- उत्‍प्रेक्षा अलंकार

घर के बैरी देख-देख के, मुँह जस अँगरा होगे ।
बैरी ला मारे बर अब ओ, घर मा धँगरा होगे ।।
बोटी-बोटी  रोटी जइसे,  खाहँव कौरा बानी ।
चाहे बैरी हा बन आवय, अब अकरस के पानी ।।

-रमेश चौहान

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7 thoughts on “रस छंद और अलंकार का उदाहरण छत्‍तीसगढ़ी में

  1. रस छंद अलंकार के उदाहरण सहित अद्भुत रचना व हम नवोदितों के लिए आवश्यक पठनीय जानकारी आदरणीय। बहुत बहुत बधाई आपको। आपका मार्गदर्शन हमे ऐसे ही प्राप्त होती रहे।

  2. आदरणीय चौहान जी।
    सादर नमन।
    सार छंद म बँधाये रचना मन मा विविध रस, अउ अलंकार के उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करे हव आप मन हार्दिक बधाई।

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