राष्‍ट्र भक्ति की कविताएं -रबीन्द्र कुमार रतन

राष्‍ट्र भक्ति की कविताएं

-रबीन्द्र कुमार रतन

राष्‍ट्र भक्ति की कविताएं -रबीन्द्र कुमार रतन
राष्‍ट्र भक्ति की कविताएं -रबीन्द्र कुमार रतन

राष्‍ट्र भक्ति की कविताएं

शत-शत बार प्रणाम

भारत की आजादी पर जिसने,वार दिया जीवन तमाम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

देश रक्षार्थ के राही को
पथ तो नहीं बदलने पड़ते ।
मुश्किलें लाख आयें मंजिल
को कदम चूमने ही पड़ते ।


जिनके रग – रग मेभडा है भारत-माता का प्यारा नाम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

कहाँ खो गये वो बलिदानी
जिन्होंने आजादी दिलाई ।
मिटा दिया निज अरमानौं को
औ’ देश की अस्मिता बचाई।

अडिग-क्रांति,अक्खड़ योद्धा का था सचमुच आराम हराम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

भुला दिया हमने उनकों भी
जो चढ़ गए पुण्य वेदी पर ।
जिन चिरागों से रौशन हुया
देश,वे बुझ गये आजादी पर।

अंग्रेजों के शोषण से इस देश को मुक्ति का किया काम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

इतिहास लिखनं बाले सुनो
कहानी बदल दी जायगी ।
जाति औ’ धर्म के बदले में
देश-भक्ति पढाई जाएगी ।

न जाने कितने शहीद हुए,लिए बिना जीवन में विराम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

जब-जब जुल्मी जुल्म करेगा
सत्ता के ही हथियारों से ।
चप्पा-चप्पा गूंज उठेगा
सत्ता छोड़ो के नारों से ।

जन्में जहाँ थे ये वीर धन्य- धन्य हो गया वह भी ग्राम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

अनाचार- अन्याय अगर है
तो कश्तियाँ डूब जाती हैं ।
अभिमान जो हो गया जादा
तो हस्तियां सिमट जाती हैं ।

अल्पायु में ही देश के कितने सपूत चले गये सुरधाम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

फूल नहीं चिंगारी हम तो
भारत माँ के बलिदानी हैं ।
संकट के बादल मडराते
तैयार खड़े सेनानी हैं ।

सवा अरव जन नम आँखो से कर रहा आज उनको सलाम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर
अब स्वतंत्रता -दिवस मनाओ
दिवस कुशासन के बीते अब
तो शीघ्र सुशासन लाओ।

स्वतंत्रता – सेनानी सब थे भारत के मानों राम -श्याम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

दें सलामी इस तिरंगे को
इस देश की ये है पहचान।
सर उँचा रखना है इसका
जबतक जान तबतक है शान।


स्वस्थ ,सुरभित,सुरक्षित रहे हमारा यह आव और आवाम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

वतन पे मरने वाला ललन
और भगत सा रतन चाहिए।
मरनौंपरान्त हो जन्म तो
भारत ही हमें वतन चाहिए।

भरी जवानी में फांसी चढ़ने वाले को मेरा सलाम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

नशा हो तिरंगेके आन की
कुछ मातृभूमि के शान की।
हम लहराएं तिरंगें को ही
नशा ऐसा हो हिन्दुस्तान की।

हम मरे परंतु यों मरे कि करे याद भारत देश तमाम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

पीने विष का प्याला आओ
विश्व शान्ति-गुरु बनवाओ ।
स्वर्ण -विहग सम इस धरतीको
फिर अखण्ड भारत बनबाओ ।

देश-हित मरने वालों का सुनों राष्ट्र के नाम पैगाम ।
उन वीर शहीदों को मेरा है अर्पित शत-शत बार प्रणाम ।।

हिन्दुस्तान हूँ मैं

न जाने कितने शहीदों की शहादत का बलिदान हूँ मैं ।
विश्व के पटल पर अब तो अहिंसक हिन्दुस्तान हूँ मैं ।

कभी अखण्ड आर्यावर्त्त, कभी,
स्वर्ण-विहग पहचान थी मेरी ।
सत्य पर अटल रह कफन उससे
भी ली जो संतान थी मेरी ।

मर्यादा पुरुषोत्तम ही नहीं,भरत – वंश की संतान हूँ मैं ।
विश्व के पटल पर अब तो अहिंसक हिन्दुस्तान हूँ मैं ।।

धूर भर जमीन के लिए आज,
तिगड़म में क्या-क्या नही होता।
राम क्या पुरषोत्तम बन पाते ,
यदि भरत सम भाई नही होता।

दिया गीता का उपदेश नर रुप में नारायण हूँ मैं ।
विश्व के पटल पर अब तो अहिंसक हिन्दुस्तान हूँ मैं ।।

धर्म- अधर्म की मची लडाई
कैसे हो हस्तिनापुर की भलाई?
सारथी बनकर चले न्यायपथ
प्रशस्त करने कृष्ण- कन्हाई ।

कलियुग आते-आते देखो कितना हो गया परेशान हूँ मैं ।
विश्व के पटल पर अब तो अहिंसक हिन्दुस्तान हूँ मैं ।।

चिंता से चतुराई गई अब,
राष्ट्र घिरा है बाधाओं से।
मौसम बदला शासन बदलापर
बची ना प्रकृति विपदाओं से ।

श्री हीन हो रहे गौरवशाली इतिहास का परिधान हूँ मैं ।
विश्व के पटल पर अब तो अहिंसक हिन्दुस्तान हूँ मैं ।।

आओ स्वतंत्रता की रक्षा में,
अपना योगदान कर पाएं ।
युग – धर्म हो प्रचारित इस विधि
भारत जगत- गुरु बन जाएं ।

त्याग – तपस्या यौवन में बस बचा हुया इमान हूँ मैं ।
विश्व के पटल पर अब तो अहिंसक हिन्दुस्तान हूँ मैं ।।

सतयुग, त्रेता , द्वापर युग का
प्रेम रस परस्पर ही ढाल लौ।
कलं कित न हो अब परम्परा,
न्याय – पथ ऐसा तुम पाल लौ।

खोई प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने वाला निर्माण हूँ मैं ।
विश्व के पटल पर अब तो अहिंसक हिन्दुस्तान हूँ मैं ।।

सत्य- अहिंसा न्याय भूमि पर ,
आंतकी यह आन्दोलन क्यों ?
जहाँ जरुरत धर्म राज की ,
वहाँ खड़ा आज दुर्योधन क्यों?

निष्प्राण, हताश मानव के लिये संजीवनी बन प्राण हूँ मैं ।
विश्व के पटल पर अब तो अहिंसक हिन्दुस्तान हूँ मैं ।।

भारत देश महान के

ज्ञान है सारे विषयों का, पर विशेषज्ञ हैं विज्ञान के ।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के और भारत देश महान के।।

भारत-भविष्य की आशा है
हम भ्रष्टाचारी न बनेगें ।
मिट जाए अस्तित्व हमारा
हम गद्दारी नहीं करेगें ।

हम शान्ति के अग्रदूत हैं अब भी सारे जहान के ।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के और भारत देश महान के।।

हम गाँधी,लोहिया, जे पी के
सपनों को साकार करेंगे ।
भगत सिंह , सुभाष के वंशज
आतंकी से नहीं डरेंगे ।

हर संकट में एक रहे सब दुश्मनों को पहचान के ।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के और भारत देश महान के ।।

हिन्दु , मुस्लिम , सिक्ख , ईसाई,
जाति- धर्म की पाटें खाई ।
एक राष्ट्र औ’ भाषा एक ,
इसके हित मिल लड़े लडाई ।

विश्व – पटल पर उभरे कोई , भारत की ताकत जान के।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के और भारत देश महान के ।।

बीज ईर्ष्या एवं द्वेष का
यहाँ नही अंकुरने देंगे ।
युक्त कुटुम्बित बीज मंत्र हम
यहाँ न कभी विखरने देंगे।

है धिक- धिक मान सिंह बनने बाले को हिन्दुस्तान के।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के और भारत देश महान के ।।

पा सकता आजादी का सुख ,
भोगी यहाँ गुलामी जिसने ।
विश्व – शान्ति का गुरु बनेगा
पीया विष का प्याला जिसने।

स्वदेश हित हम सब खायेंगे गोली सीना तान के ।
हम बच्चे हिन्दुस्तान के और भारत देश महान के ।।

-रबीन्द्र कुमार रतन
(स्वतंत्र लेखन)
आई 87 सेनानी सदन,
मकान स. 30
जीवन रेखा नर्सिंग होंम के पीछे
हाजीपर, वैसली ( बिहार)
मो0 8002005502

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