राष्ट्र एवं संस्कृति पर बाल कवितायेँ
(आज़ादी के अमृत महोत्सव के विशेष सन्दर्भ में)
डॉ अलका सिंह
आजादी के अमृत महोत्सव के इस सुअवसर पर प्रस्तुत है डॉ अलका सिंह रचित 9 बाल कविताएं । यह राष्ट्र एवं संस्कृति पर आधारित है, जो बच्चों में देशभक्ति भावना को बढ़ाने में सहायक हैं ।
1.देश हमारा
देश हमारा प्यारा कितना ,
इसकी संस्कृति प्यारी।
हम इसकी थाती के रखवाले ,
करते इसकी पहरेदारी।
हर एक नागरिक को है
अपने भारत पर अभिमान ,
यहाँ राष्ट्र के सभी नागरिक
करते भारत महिमा का गुणगान।
2.हरा भरा है देश
यहाँ खड़े हो पास बुलाते ,
कितने पर्वत झील सरोवर ।
भारत माँ की गोदी में
स्नेह भाव की हरियाली।
हरा भरा है देश हमारा
फल फूलों से वृक्ष लदे ।
अन्न फलों की फसलें कितनी
मीठे पानी की कमी नहीं।
आभासी दुनिया से निकलो ,
देखो बच्चो छटा मनोहर ।
तरह तरह के मौसम दिखते,
ऋतुएँ कितनी मोहक हैं।
3.माँ गंगा की शीतल धारा
माँ गंगा की शीतल धारा ,
नदियां , झील ,सरोवर प्यारे।
नदियों को हम माँ कहते हैं
रोज़ नयी आशा की लिपियाँ।
कितने कीर्तिमान सज- धजकर,
आते हैं भारत में प्रतिदिन।
राष्ट्र हमारा आगे बढ़ता ,
राष्ट्र हमारा आगे बढ़ता।
4.हम स्वतंत्र हैं
हम स्वतंत्र हैं ,आज़ादी मन की ,
राष्ट्र हमारा है उर्जित।
चलो चलें महकाएं खुशबू ,
हम स्वतंत्र हैं पवन की तरह।
श्रेष्ठ राष्ट्र की हम संतानें
राष्ट्र प्रेम से हम हैं जागृत
सदा सोचते देश की खातिर ,
अपने मन को आज़ादी दे।
हम स्वतंत्र हैं ,आज़ादी है मन की
राष्ट्र हमारा है उर्जित।
चलो चलें महकाएं खुशबू ,
हम स्वतंत्र हैं पवन की तरह।
5.नन्हे पंखों वाली परियां
जीवन में हर तरफ सुनहले
नन्हे पंखों वाली परियां ,
आकर धीरे से कहती हैं ,
बच्चों देखो देश आपका।
दूर- दूर से लोक- लोक से
लोग देखते रहते हैं।
कितनी कितनी संस्कृतियां
इनकी चर्चाएं करती हैं।
इतिहास बताता है कितना ,
परियां आकर कहती हैं
मन में रोज़ होश भरती हैं।
6.रोज नए भारत का दर्शन
रोज नए भारत का चिंतन
इस पर चिंतन
इन पर मंथन।
बच्चों सबको करना है ,
देश प्रेम के भाव सामने
रखकर कर्तव्य निभाना है
आज़ादी का स्वर्ण काल है ,
आज़ादी की अमृत वेला
हमको आगे बढ़ना है ,
हमको चलते रहना है।
7.नयी एक कोपल प्यारी सी
एक नयी दृष्टि ले निकली
नयी एक कोपल प्यारी सी।
देख रही है कैसे कैसे
है क्यारी भरी भरी सी।
कितना हो फैलाव कहीं पर
कितनी बड़ी शक्तिशाली
तुम भी तो ऊर्जा रखती हो ,
फैलाओ अपनी हरियाली।
8.उसे लगा यह भारत ही है
दिखा स्वप्न कितना प्यारा सा
कहीं न कोई सूखा पत्ता
पेड़ों के बस झुरमुट हैं ,
हरियाली है , पवन तरल है।
मीठा जल है , हरियाली है।
पक्षी ने जब चर्चा की तो
उसे लगा यह भारत ही है ,
वही एक है राष्ट्र जहाँ पर
प्रकृति सरल हरियाली है।
9.आज़ादी के अमृत काल में
आज़ादी के स्वर्ण काल में ,
आज़ादी के अमृत काल में ,
आओ चलें स्वप्न हम देखें ,
कैसे हम योगदान दे सकते।
एक सोच हो , राष्ट्र प्रथम हो
राष्ट्र हेतु प्रेरित जीवन हो ।
आज़ादी के स्वर्ण काल में ,
आज़ादी के अमृत काल में ,
आओ चलें स्वप्न हम देखें ,
कैसे हम योगदान दे सकते।
डॉ अलका सिंह के विषय में
डॉ अलका सिंह डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी लखनऊ में शिक्षक हैं।शिक्षण एवं शोध के अतिरिक्त डॉ सिंह महिला सशक्तीकरण , विधि एवं साहित्य तथा सांस्कृतिक मुद्दों पर काव्य , निबंध एवं समीक्षा क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त वे रजोधर्म सम्बन्धी संवेदनशील मुद्दों पर पिछले लगभग डेढ़ दशक से शोध ,प्रसार एवं जागरूकता का कार्य कर रही है। वे अंग्रेजी और हिंदी में समान रूप से लेखन कार्य करती है और उनकी रचनायें देश विदेश के पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती हैं। “पोस्टमॉडर्निज़्म”, “पोस्टमॉडर्निज़्म : टेक्स्ट्स एंड कॉन्टेक्ट्स”, “जेंडर रोल्स इन पोस्टमॉडर्न वर्ल्ड”, “वीमेन एम्पावरमेंट”, “वीमेन : इश्यूज ऑफ़ एक्सक्लूशन एंड इन्क्लूज़न”,”वीमेन , सोसाइटी एंड कल्चर” , “इश्यूज इन कैनेडियन लिटरेचर” तथा “कलर्स ऑव ब्लड” , “भाव संचार” जैसी उनकी नौ पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा शिक्षण एवं लेखन हेतु उन्नीस पुरस्कार/ सम्मान प्राप्त हैं। अभी हाल में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उच्च शिक्षा श्रेणी में राज्यस्तरीय मिशन शक्ति सम्मान 2021 प्रदान किया गया है। उन्हें राष्ट्रीय नयी शिक्षा नीति 2020 में विशिष्ट योगदान हेतु राज्य सरकार द्वारा सम्मान पत्र भी प्राप्त है। उनकी पुस्तक कोर्स ऑफ़ ब्लड को यूनाइटेड नेशंस मिलेनियम कैंपस नेटवर्क एवं ग्लोबल अकादमिक इम्पैक्ट के मंच पर 153 से भी ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष चर्चित विषय के रूप में शामिल किया गया है।
पता : असिस्टेंट प्रोफेसर अंग्रेजी, डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, आशियाना , कानपुर रोड, एल .डी.ए. स्कीम , लखनऊ-226012