रोक दो रक्त ताण्डव-1

रोक दो रक्त ताण्डव

-डॉ. अशोक आकाश

‘रोक दो रक्‍त ताण्‍डव’ डॉ. अशोक आकाश की एक चम्‍पू काव्‍य है ।चम्‍पू काव्‍य एक प्राचिन साहित्यिक विधा है इस विधा में मैथलीशरण गुप्‍त ने यशोधर लिखी है । डॉ; आकाश के इस कृति में प्रदेश, देश और विश्‍व में बढ़ रहे आतंकवादी, हिंसा के घटनाओं के विरुद्ध आवाज बुलंद किया गया है । इस कृति को आज से विभिन्‍न कडि़यों में प्रकाशित किया जा रहा है । आशा ही नहीं विश्‍वास हैै सुरता के पाठकों को यह निश्चित ही पसंद आयेगा ।

भाग-1

rok do rkta tandaw
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भूमिका

आज विश्व विध्वंस के मुहाने पर है, विकास गति का पैमाना बदलकर, विनाश गति की ओर अग्रसर होती दुनिया को अंधाधुंध स्वार्थ से सचेत रहने की जरूरत है । प्रकृति के साथ चलना छोड़ प्रकृति के विपरीत चलने की कोशिश करते लोगों को इसका परिणाम मिल रहा है। स्वार्थ के चलते लोग अपने ही पैर जख्मी कर रहे हैं । विश्वस्तर पर धूर्त देश अपनी कुटिल नीति के चलते छोटे बड़े देशों की आंतरिक सुरक्षा में सेंध लगाकर उसकी संप्रभुता पर चोट कर रहे हैं। विकास पथ पर अग्रसर देशों की आंतरिक स्थिरता में इन्हीं स्वार्थी सामंती प्रवृत्ति के साम्राज्यवादी देशों का हाथ होता है । विकास गति की ओर अग्रसर देशों को उसकी आंतरिक समस्या में उलझा कर रखने की नीति के चलते दुश्मन देशों की यह कुटिल चाल विश्वस्तर पर निरंतर चलती रहती है।
प्रतिद्वंद्वी देशों को किसी भी तरह विकास पथ पर अग्रसर होने से रोके रखने की दुश्मन देशों की यह कुटिल नीति है,जिसके तहत वे जासूसी एजेंसी की मदद से राजनीतिक साजिश के तहत अपनी मंशा में सफल होने की कोशिश करते हैं । जिस देश में ये दुश्मन देश अपनी जासूसी संस्था का इस्तेमाल कर साजिशें अंजाम देते हैं, वो इन सबसे वाकिफ होने के बावजूद भी असमर्थ दिखाई देते हैं । इन गतिविधियों में आतंकी और नक्सली वारदातें सर्वाधिक घातक गतिविधियां हैं। इसके शिकार देशों को जानमाल के नुकसान के साथ प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था संचालित करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। विश्व में अपनी श्रेष्ठता साबित करने दूसरे देशों को गिराते रहने की कोशिशों में कई देश समूह में मिलकर भी ऐसे कुत्सित प्रयास में लगे रहते हैं, जिसका दुष्परिणाम विश्वस्तरीय परिस्थितियों का समूल परिवर्तन होता है ।

धार्मिक आस्था को केंद्र में रख आमजन को आकर्षित कर, उनमें उन्माद भर, जन विद्रोह की आग लगाकर, शासन व्यवस्था अस्थिर करने की नीति लोगों की स्थानीय समस्या को केंद्र में रखकर बनाई जाती है । आमजन की विभिन्न कमजोरी जैसे गरीबी,बेरोजगारी,अशिक्षा, अंधविश्वास, उच्च महत्वाकांक्षा, बीमारी आदि का फायदा उठाकर सहयोग करने के बहाने धोखे से उन्हें ऐसे संगठनों से जोड़ दिया जाता है जो उन्हें अपने ही राष्ट्र के प्रति विरोध की नीतियों पर काम करने मजबूर कर देता है। विश्व में कई ऐसे संगठन है जो सिर्फ और सिर्फ आतंकी गतिविधियों के लिए ही जाने जाते हैं जो अलग राज्य धर्म या अन्य भेदभाव के नाम पर आतंक फैलाते हैं और उनके स्थानीय संगठन को आर्थिक मदद कर भाड़े के आतंकियों की मदद से बड़ी घटना को अंजाम दे, आमजन में भय आतंक दहशत का माहौल पैदा करके प्रजातांत्रिक व्यवस्था के प्रति अविश्वास एवं संवैधानिक संकट की स्थिति निर्मित कर देते है,जिस प्रकार साहूकार गरीब एवं मजदूर लोगों को ऋण के जाल में फॉसकर अपना गुलाम बना शोषण करते हैं उसी प्रकार अमीर देश, गरीब देशों के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा सहयोग का लॉलीपॉप दिखा प्राकृतिक संसाधनों की अंधाधुंध लूट मचा उसकी नींव हिला देता है ।

आज भारत के अधिकांश प्रदेशों में आतंकवाद एवं नक्शलवादियों की क्रूरता जारी है जो आम जनता को आजादी की खुली हवा में सांस लेना मुश्किल कर दिए हैं ।

कश्मीर आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बिंदु हो गया है । जहां विदेशी साजिश के कई महत्वपूर्ण खुलासे हो चुके हैं । चीन पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की लालायित गिद्ध दृष्टि आज भी भारतीय भूभाग पर पड़ रहे हैं।उनकी गतिविधियॉ जगजाहिर है। विभिन्न तरीकों से देश में आर्थिक अस्थिरता पैदा कर,हमारी संप्रभुता पर लगातार प्रहार कर हमारे महत्वपूर्ण भाग हथियाने की फिराक में लगे रहते यह क्रूर देश कई बार मुंह तोड़ जवाब पाने के बावजूद भी निर्लज्जता पर सदैव अमादा रहते हैं। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व के समारोहों में साजिशें कई बार पर्दाफाश हो चुकी हैं। कई महत्वपूर्ण पर्व एवं शुभ अवसरों में देश में हुए आतंकी एवं नक्शली वारदात इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है। आतंकी गतिविधियों से बचाव हेतु दिल्ली-मुंबई जैसे संवेदनशील महानगरों को स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस समारोह निर्विघ्न संपन्न कराने नो फ्लाइट जोन घोषित कर कड़ी सुरक्षा प्रदान की जाती है। आतंकी वारदातों के दहशत में हम कब तक राष्ट्रीय पर्व मनाते रहेंगे यह सोचनीय मुद्दा है। दुख की बात यह है कि इन आतंकी एवं नक्शली वारदातों में स्थानीय लोगों का सक्रिय सहयोग उजागर हुआ है ।

अपराधी चाहे कितना भी बड़ा चालबाज हो कानून की नजर से बच नहीं सकता । भले ही हमारी न्याय की देवी आंखों में पट्टी बांधकर खड़ी है लेकिन उसकी नजर में दूध का दूध और पानी का पानी, सबके लिए बराबर न्याय है। भगवान की लाठी में आवाज भले ही न हो लेकिन पापी को उसके पापों का दण्ड अवश्य मिलता है। ठीक उसी तरह न्याय के मंदिर में देर भले ही है लेकिन अंधेर नहीं! अपराधी को उसके पापों की सजा जरूर मिलती है। प्रस्तुत पुस्तक रोक दो रक्त तांडव में मैंने नाथूराम की उपमा से उसके आतंकी सफर को शब्दों में गूंथकर चित्र प्रस्तुत किया है।आम जनता की नक्सली और आतंकी वारदातों में शामिल होने के कारणों पर मेरी विश्लेषणात्मक प्रस्तुति कितना सार्थक है, यह तो इसे पढ़कर ही समझा जा सकता है । यह पुस्तक मैंने किसी प्रकार के मनोरंजन के लिए नहीं लिखा वरन् देश के विभिन्न प्रांत में व्याप्त नक्सली एवं आतंकी साजिश की गतिविधियों पर होने वाले जमीनी कारकों को आमजन एवं शासन तक लाने का प्रयास किया है। सदियों से शांत देश में व्याप्त अशांति के मूल कारकों पर लिखते हुए सारे दृश्य आंखों के सामने कौंध गये जो पाठक वर्ग को सोचने मजबूर कर देंगे । मेरे काव्यात्मक विचार देश में व्याप्त रक्त तांडव रोकने की दिशा एवं व्यवस्था बनाए रखने की पहल में कुछ सहायक जरूर होंगे । 21वीं सदी के विकसित भारत में नक्सल पर नकेल की लंबी बहस छिड़ी हुई है, आतंकी एवं नक्सली वारदातों पर लगाम कसने लंबी बहस में देश के लाल गलियारों को समेटने की दिशा में कामयाब कदम बढ़ाने केन्द्र एवं राज्य सरकारें दृढ़ प्रतिज्ञ है । सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित किए जा रहे हैं जिनमें आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीतियों में राज्य सरकारों की नीतियां भी कारगर साबित हो सकती है । जरूरत है इन नीतियों के इमानदारी पूर्वक संचालन की।

दबे कुचले वर्ग के पुनरुत्थान की दिशा में दृढ़ कदम के साथ मुख्यधारा से जुड़े लोगों को आत्मनिर्भर बनाने होंगे। प्रभावित क्षेत्रों में विकास के लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। खेल शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार कृषि सड़क बिजली पानी की सहज उपलब्धता जब तक नहीं होगी, लोगों में विकास की मुख्यधारा से जुड़ने की प्रेरणा नहीं मिलेगी। सरकार एवं प्रशासनिक व्यवस्था के साथ पुलिस के प्रति विश्वास पैदा करने में समय तो लगेगा । वर्षों अंधेरे में भटके लोगों को सही राह दिखाने उनका विश्वास जीतने अपनत्व के भाव जगाने होंगे, प्रशासनिक व्यवस्था सरकार और पुलिस के प्रति अपनत्व भाव ही उन्हें देश प्रेम की भावना से जोड़कर विकास के मुख्य धारा में वापस लाने सक्षम होंगे। जब तक एक देश दूसरे देश में होने वाले आतंकी और नक्सली हमलों का एकजुट होकर समूल सफाया नहीं करेंगे, तब तक समूचे विश्व में आतंकी घटनाओं पर लगाम नहीं लगाया जा सकेगा।

हिंदुस्तान को पाकिस्तान से खतरा है ।
पाकिस्तान को हिंदुस्तान से खतरा है।
मैं कहता हूं जरा गौर से सुन लो यारों,
दोनों को तालिबान से खतरा है।

डॉ. अशोक आकाश

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