सनातन सूत्र: भारतीय दर्शन और हिंदुत्व का संगम

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सनातन सूत्र: भारतीय दर्शन और हिंदुत्व का संगम

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प्रस्तावना: सनातन सूत्र: भारतीय दर्शन और हिंदुत्व का संगम

भारतीय उपमहाद्वीप की धरती वह पवित्र स्थान है, जहां मानव सभ्यता की सबसे प्राचीन और समृद्ध परंपराएं विकसित हुईं। यह भूमि न केवल भौतिक संसाधनों से समृद्ध है, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की भी गहनता से परिपूर्ण है। इन मूल्यों की आधारशिला सनातन धर्म और हिंदुत्व की परंपराओं में देखी जा सकती है। “सनातन सूत्र: भारतीय दर्शन और हिंदुत्व का संगम” का उद्देश्य इन दोनों विचारधाराओं की गहराई में जाकर उनकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक समृद्धि को उजागर करना है।

सनातन धर्म, जिसे शाश्वत धर्म के रूप में भी जाना जाता है, का अर्थ ही “निरंतरता” और “शाश्वत सत्य” है। यह धर्म केवल धार्मिक मान्यताओं का समूह नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक समग्र दृष्टिकोण है। इसके मूल में आत्मा का सत्य, ब्रह्मांड की प्रकृति, और मानवता के कल्याण की अवधारणाएँ निहित हैं। वेद, उपनिषद और अन्य शास्त्र इसके दार्शनिक आधार को प्रस्तुत करते हैं, जो न केवल आत्मा और ब्रह्म के संबंध को स्पष्ट करते हैं, बल्कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे जीवन के चार पुरुषार्थों को भी संतुलित करने की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

हिंदुत्व, दूसरी ओर, भारतीयता की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को परिभाषित करता है। यह सनातन के शाश्वत मूल्यों को आधुनिक संदर्भ में जीवंत करता है। हिंदुत्व केवल धार्मिक अनुष्ठानों का पालन नहीं है; यह भारतीय समाज की विविधता को समेटने वाली एक समग्र दृष्टि है। यह विचारधारा जाति, भाषा और क्षेत्रीय विविधताओं को एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान में समाहित करती है।

यह पुस्तक सनातन धर्म और हिंदुत्व के बीच उन सूत्रों को खोजने का प्रयास है जो उन्हें परस्पर जोड़ते हैं। इसमें सनातन के दार्शनिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों को हिंदुत्व की सामाजिक और सांस्कृतिक धारणाओं के साथ एकीकृत करने का प्रयास किया गया है। यह प्रयास केवल ऐतिहासिक या सैद्धांतिक अध्ययन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य पाठकों को इन विचारों की समकालीन प्रासंगिकता का बोध कराना भी है।

पुस्तक के चार मुख्य भाग इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं:

  1. सनातन धर्म का दार्शनिक आधार: यह भाग वेदांत, योग, सांख्य, और अन्य भारतीय दर्शनों की गहराई में उतरकर उनके शाश्वत सत्य की खोज करेगा।
  2. हिंदुत्व की अवधारणा और उसका उद्भव: यह भाग हिंदुत्व की ऐतिहासिक यात्रा और उसके सांस्कृतिक व राजनीतिक आयामों की पड़ताल करेगा।
  3. सनातन और हिंदुत्व का संगम: इसमें इन दोनों विचारधाराओं की समरूपताओं और उनके माध्यम से भारतीय समाज को मिलने वाले मार्गदर्शन का विवेचन किया जाएगा।
  4. समकालीन चुनौतियाँ और समाधान: आधुनिक विश्व में पर्यावरण, सामाजिक न्याय, और धर्मनिरपेक्षता जैसे मुद्दों के संदर्भ में इन विचारधाराओं की प्रासंगिकता पर चर्चा की जाएगी।

यह पुस्तक केवल ऐतिहासिक या दार्शनिक तथ्यों का संग्रह नहीं है; यह एक मार्गदर्शन है, जो पाठकों को न केवल अपने भीतर के सत्य को समझने के लिए प्रेरित करेगा, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझने का अवसर देगा। यह उन गूढ़ सूत्रों को प्रस्तुत करने का प्रयास है, जो सनातन धर्म और हिंदुत्व को भारतीयता के व्यापक परिप्रेक्ष्य में एक नई दिशा देते हैं।

आइए, इस यात्रा में सनातन की शाश्वतता और हिंदुत्व की आधुनिकता के संगम को समझने और आत्मसात करने का प्रयास करें। यह पुस्तक केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक अंतहीन यात्रा की शुरुआत है, जो मानवता के कल्याण और भारतीयता के पुनर्जागरण की ओर ले जाती है।

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