काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप भाग-1-डॉ. अशोक आकाश

काव्‍य श्रृंखला :

सांध्‍य दीप भाग-1

-डॉ. अशोक आकाश

काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप भाग-1-डॉ. अशोक आकाश
काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप भाग-1-डॉ. अशोक आकाश

प्रार्थना

काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप

संध्या के दीपों का वंदन,
भाव मेरे हे ईश दीजिए |
सद्विचार मन कलश भरी मणि,
कृपा दृष्टि जगदीश कीजिए ||

मतिमंद गुण हीन पतित हूं,
देवचरण नत शीश रीझे |
विघ्न विनायक मति विकसित कर,
वाणी विमल वागीश दीजे ||

पुण्य नमन गुरु माता पिता |
लख व्यथा लिखूं शून्य शिखा ||

आलोकित हो धरा गगन शुचि,
पावन दीप अभिनंदन को |
अंधकार में भटक गया हूं ,
कर उज्जवल मेरे तम को ||

सांध्यदीप सुलझा देता नित,
अनसुलझे हर उलझन को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्जवल उनके तम को |

खुद जल-जल जग, जगमग कर दे |
तमस भरे अंतर्मन को |
क्षण भर में दिव्यालोकित मन,
श्रृंगारिक जड़ चेतन को ||

जल-जल जग करता रोशन |
अंतर तल तम विकट गहन ||

जब तक तेल रहे बाती संग ,
तब तक नित थामे दम को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्जवल उनके तमको ||

/2/

सांध्यकाल दो युग के पावन,
संगम का क्षण होता है |
जैसे बढ़ता तमस का घेरा,
तब विह्वल मन होता है ||

संध्या काल को जग में,
गोधूलि वेला का मान मिला |
घर-घर में संध्या के दीपक को,
समुचित सम्मान मिला ||

छाए अंधेरा जगती पर |
जले सांध्य दीप तब धरती पर ||

जगमग न्यारे नभ से नजारे ,
नित्य निखारे पूनम को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्जवल उनके तम को ||

/3/

संध्या को दीपक का सहारा,
दीपक को संध्या की आस |
संध्या को दीपक की चाहत,
दीपक को संध्या की प्यास ||

डुब जाता रवि जब क्षितिज में,
तब दीपक संध्या की सॉस |
दीपक से मिलने की धुन में,
रत संध्या नित नव विन्यास ||

दीप जलेगा जब जब पास |
तब तब संध्या होगी खास ||

ऐसे सांध्य दीप की जोड़ी,
धनिक करे हर निर्धन को |
अंधकार में भटके हैं जो ,
कर उज्जवल उनके तम को ||

/4/

जिसकी लौ जाज्वल्यमान हो,
ये ही है वो लौह किरण |
जंगल में निःशंक विचरते,
निर्भय चंचल मौन हिरण ||

बेसुध को सुधिवान बना,
भरे प्राण दलित बेजानों में |
ये ही है वो सृजनशील ,
जो दम भर दे हर दानों में ||

विस्मृत कर मृत्युशय्या |
खेते सुदिव्य जीवन नैया ||

सांध्य दीप है ज्ञानपुंज ,
बातों से तोड़े बंधन को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्जवल उनके तम को ||

-डाॅॅ. अशोक आकाश

शेष अगले भाग में

कवि के अन्‍य काव्‍य श्रृंखला- किन्‍नर व्‍यथा

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