काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप भाग-2-डॉ. अशोक आकाश

गतांक से आगे

काव्‍य श्रृंखला :

सांध्‍य दीप भाग-2

-डॉ. अशोक आकाश

काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप भाग-2

काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप भाग-1-डॉ. अशोक आकाश
काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप भाग-2 डॉ. अशोक आकाश

सांध्‍य दीप भाग-2

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निराश्रित जन आश्रय दे,
शुचि आशा दीप जलाता |
पल में बना धनवान अकिंचन ,
तन मन सुमन खिलाता ||

गूंगा मृदुभाषी होता,
कृषतन बलवान बनाता |
चिर यौवनमय अंधकार,
झट कोसों दूर भगाता ||

सुगंधित जीवन उपवन |
सँवरे द्रुत संस्कार सदन ||

ज्वलित दीप रवि रक्तिम आभा,
दूर करे हर उलझन को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्जवल उनके तम को ||

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दिव्य सुसज्जित संस्कारों से,
कर चरित्र निर्माण सबल |
गंगा जमुन संस्कृति पुष्पित,
गुंजरित दस दिश गुणगान प्रबल ||

करने आतुर विकल विश्व को,
मचल रहा नित नव कलि दल |
बुझा लो अपनी रक्त पिपासा,
मजा दो अरिदल में खलबल ||

जहां सुपथ संगठित युगल |
वाग्विभूति बन अड़ा अटल ||

सांध्यदीप सुधि साहस देता,
निर्बल दीन दुखी जन को |
अंधकार में भटके हैं,
जो कर उज्जवल उनके तम को ||

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नवयुवकों से आस लगाए ,
है बैठी सारी दुनिया |
प्रेम शांति सद्भाव से गुंजरित,
सुख सुरभित न्यारी दुनिया ||

संस्कारों से सृजित पल्लवित,
नारी से हारी दुनिया |
विकल व्यथा मिटती जन की,
जिनकी दुख से भारी दुनिया ||

मन में रखता दीन धरम |
राह सरल करें मधुर वचन ||

पीर हरो संतोष करो ,
धूल समझ पर के धन को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्जवल उनके तम को ||

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हर निराश जन को आश्रय दे,
आशा दीप जलाता |
मुश्किल क्षण हिम्मत धीरज धर,
कर यूं हवा में उछाला ||

खुद जल जल शीतल कर देता,
अंतर्मन की ज्वाला |
जो भी भटके राह मुसाफिर,
यह बतलाने वाला ||

नवयुवकों की आश किरन |
निर्भीक शेर के पास हिरण ||

जब भी मन बहके झिंझोड़ता,
खुद अपने अवचेतन को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्जवल उनके तमको ||

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मर्मस्पर्शी मधुर वाणी,
बहस का साहस कौन करें |
भावेश में बहे प्रलय को,
नम संकेत से मौन करे ||

छलक रहे अनुभूति ह्रदय में,
अमिय सरस अंकुरित बीज |
अपराजित मन की भावुकता ,
भावों में बहता भयभीत ||

हैं जो अपने मन का मीत |
उनके जीवन में संगीत ||

सांध्यदीप पुलकित होता ,
अनुभव कर जीवन दर्शन को |
अंधकार में भटके हैं ,
जो कर उज्जवल उनके तमको ||

-डाॅॅ. अशोक आकाश

शेष अगले भाग में

कवि के अन्‍य काव्‍य श्रृंखला- किन्‍नर व्‍यथा

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