काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप भाग-26-डॉ. अशोक आकाश

सांध्‍य दीप भाग-26

-डॉ. अशोक आकाश

गतांक से आगे

सांध्‍य दीप भाग-26

काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप भाग-26-डॉ. अशोक आकाश
काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप भाग-26 डॉ. अशोक आकाश

सांध्‍य दीप भाग-26

(116)

दीवाली में तेज रोशनी,
रात रात इतराती है |
बाती जलती तेल जमीं पर,
बात बात बहजाती है ||

गहन निशा से जूझते नित,
आघात गहन सह जाती है |
क्रंदित मन की झंकृत बातें,
मन में ही रह जाती है ||

हार न माने जो हारे |
वो जीतके रहता है प्यारे ||

जीत हार की समर भूमि में,
सुलझा दे हर उलझन को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्ज्वल उनके तम को ||
***

(117)

जीवन पथ स्वर्णिम हीरक हो,
छुवो बुलंदी कर्म करो |
अपना लो सादगी सहजता,
नीच कर्म से शर्म करो ||

मन सागर मंथन रत रहते,
रत्न मिलेंगे तुम्हे अपार |
वारो परहित जीवन पावन,
करलो मन दुल्हन श्रृंगार ||

महाभारत रच बन अर्जुन |
कृष्णसखा सम तज अवगुण ||

गीता के पावन श्लोकों से,
गुंजरित कर जड़ चेतन को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्ज्वल उनके तम को ||
***

(118)

पॉख झड़क लो रग-रग भरलो,
राष्ट्रभक्ति का उद्यत ज्वार |
शोषित जन के पीर हरण में,
परहित जोड़ें मन के तार ||

मोह के बंधन तोड़-ताड़कर,
जिसने भी छोड़ा घर द्वार |
राम बुद्ध महावीर की अबतक,
करती दुनिया जय-जयकार ||

पावन करलो मन जलधार |
करो पार सागर संसार ||

ये है ऐसा पारस पाहन,
स्वर्ण करे क्षण सुधिजन को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्ज्वल उनके तम को ||
***

(119)

सांध्यदीप जग किया प्रकाशित,
निज अंतस उद्वेगों से |
हार न माने करते रहते,
गर्जन सौ सौ मेघों से ||

तय करता रहता दुर्गम पथ,
गुजर गया जीवन अंगार |
फिर भी हँस हँस झेल ही लेते,
अनचाहे दुख का भंडार ||

कर लो पावन सृष्टि सृजन |
अंक भरो सुख शॉति सुगंध ||

द्वंद डटो मन सिंधु मथो,
शेरे-हिन्द उठो रिपु के हन को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्ज्वल उनके तम को ||
***

(120)

शब्दों से पुलकित होता मन,
शब्दों से जीते जग-धन |
जख्मी कर देता दिल पल में,
शब्द लगाता मन मरहम ||

शस्त्र-चुभन पीड़ा से बढ़कर,
दुखदायी है शब्द-चुभन |
शस्त्र-चुभन से मन के,
बूझे दीप जलाता शब्द-सुमन ||

शब्द ब्रह्म है शब्द अगन |
शब्दों से गीता गुरुग्रंथ ||

शब्दों से ही कुरान बाइबिल,
सहेजो शब्दों के धन को |
अंधकार में भटके हैं जो,
कर उज्ज्वल उनके तम को ||
=≠=

-डॉ. अशोक आकाश

शेष भाग अगले अंक में

Loading

4 thoughts on “काव्‍य श्रृंखला : सांध्‍य दीप भाग-26-डॉ. अशोक आकाश

  1. अति सुन्दर सृजन गुरुदेव

  2. बहुत सुन्दर रचना भय्या जी
    पढ़ कर मजा आ गया ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *