एक कोरी छत्तीसगढ़ी गीत
-श्रीमती शकुंतला तरार
एक कोरी छत्तीसगढ़ी गीत
1-धरती दाई गाँव के माटी
धरती दाई गाँव के माटी मोला चन्दन कस लागे रे
ईहाँ के पुरवाही मोर मन मा मधुबन कस लागे रे
धरती दाई के कोरा देखव गाँव के निरमल छईहाँ
हरियाली हे जम्मो कोती नइये परती भुईयाँ
नइये परती भुईयाँ माटी मोला बंदन कस लागे रे
ईहाँ के पुरवाही मोर मन मा मधुबन कस लागे रे ||
गाँव-गाँव के चौक मा हावे बर पीपर के छईहाँ
जेखर छांव मा लइका खेलें भँवरा बांटी घरगुंदिया
खेले सुग्घर गुइयाँ माटी मोला नन्दन कस लागे रे
ईहाँ के पुरवाही मोर मन मा मधुबन कस लागे ||
अमरइय्या के छांव मा देखव जुरमिल सबे समावे
लीपे-पोते घर अंगना मा सुग्घर पुरवा आवे
सुग्घर आवे पुरवा माटी बिंदावन कस लागे रे
ईहाँ के पुरवाही मोर मन मा मधुबन कस लागे रे ||
गुत्तुर-गुत्तुर बोली इहाँ के भाखा सुग्घर सिधवा
इहाँ के मनखे के चीन्हा हावे अंगना तुलसी के बिरवा
अंगना तुलसी के चौंरा माटी मोला नमन कस लागे रे
ईहाँ के पुरवाही मोर मन मा मधुबन कस लागे रे ||
धरती दाई गाँव के माटी मोला चन्दन कस लागे रे
ईहाँ के पुरवाही मोर मन मा मधुबन कस लागे रे
2.मन मोर गावे दीदी तपत कुरू , तपत कुरू
जब मैं अमरेंव गाँव के मुहाटी
लईका खेलत रिहिन भँवरा बाँटी
पीपर खांधा मा कूदत रिहिन बेंदरा
सईंतत गोबर मोला दिखिस मंटोरा
जान गयेवं इहिच्च मोर गाँव ए
जान गयेवं इहिच्च मोर गाँव ए
जान गयेवं इहिच्च मोर गाँव ए
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू,
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू
गाडी बईला कुदावत भईया घर आवे
लोटा पानी धरे भौजी मुस्कावे
बइहां लमाए दाई ददा आंसू ढारें
आंसू खुसी के मोरो आँखी ले बरसे
पाँव परेवं इहिच्च मोर धाम ए
पाँव परेवं इहिच्च मोर धाम ए
पाँव परेवं इहिच्च मोर धाम ए —-
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू,
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू
पंड़रू बछरू गईया रम्भावे
चौंरा के तुलसी माथ नवावे
गोंदा चंदैनी घप-घप घमके
फूफू दीदी फूफू दीदी नान्हे कुलकावे
कोरा धरेवं इहिच्च मोर मान ए
कोरा धरेवं इहिच्च मोर मान ए
कोरा धरेवं इहिच्च मोर मान ए —-
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू,
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू
सून्ना परे हे नरवा नदिया
सून्ना परे बूढी दाई के कुरिया
मन के पीरा ल काला बतावौं
कईसे भुलावौं मैं संगी जहुंरिया
भेंट करेवं इहिच्च सन्मान ए
भेंट करेवं इहिच्च सन्मान ए
भेंट करेवं इहिच्च सन्मान ए —-
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू,
मन मोर गावे दीदी तपत कुरू, तपत कुरू
3.साक्षरता गीत-‘पढ़े बर चल दीदी’ (लोक धुन में )
पढ़े बर चल दीदी
पढ़े बर चल बहिनी
पढ़े बर चल वो दाई
भाग ल हम अपन चमकाबो
पढ़े बर चल वो दीदी
आवो चल कमला तयं
अउ चल बिमला तयं रे —$ $$ $$ $$ $
मेटाबो अगियानता के अंधियारा ला
शिक्षा के जोत बारबो रे
नान्हे-नान्हे लईका चलव
बूढ़ी दाई काकी चलव रे– —$ $$ $$ $$ $
नईं हम रहिबोन अब अनपढ़ वो
बिद्या के गंगा लानबो रे
बनी भूती हम जाबोन
ठिहा कमाये जाबोन —$ $$ $$ $$ $
दिन भर मिहनत ला हम करबोन
संझा पढ़े जाबों रे —
अब कोनो नई ठगही
अंगठा हम नई चेपावन रे—–$ $$ $$ $$ $
रद्दा खुदे हम अपन गढ़ लेबोन
नवा निरमान करबो रे —
4.“मोर गाँव मा संगी बसंत ह आगे”
मोर गाँव मा संगी बसंत ह आगे, मोर गाँव मा
छेना चीपा गोरसी छुटगे जुडजुड़ी ह सिरागे, मोर गाँव मा ||
पाना पिंवरा ला धरती दाई अपन कोरा मा झोंकय
नावा पाना लहर –लहर के खांधा मा मेछरावय
एखर छांव मा संगी मति हरियागे, मोर गाँव मा ||
धरती के देहें ला तोपय सरसों के हरियाली
परसा रिगबिग-रिगबिग सोहय आमा के मऊराली
कोयली के कुहू-कुहू मन ला भरमावय, मोर गाँव मा ||
फागुन मा मऊहा के फूल हा गोरी ला रिझावय
चीकन चाकन लुगरा पोलखा सज-धज के सिंगरावय
गवन पठौनी आगे मन मा कुलकाए, मोर गाँव मा ||
5. नवा बछर आगे
नवा बछर आगे उवीस नवा हे बिहान
नवा बछर आगे उवीस नवा हे बिहान
आज धरती के जागीस हे भाग
रे संगी
रहव जुरमिल के कहे हमर सियान
आज धरती के जागीस हे भाग
रे संगी
आज धरती के जागीस हे भाग
डारा पाना लहकत हे कोयली घलो कुहकत हे
संगी जहुंरिया संग मा, मंटोरा फुदकत हे
चंदा सुरुज संग मा बदत हे मितान
आज धरती के जागीस हे भाग
रे संगी
आज धरती के जागीस हे भाग
जोंधरी के लाई संग मा पाका-पाका बेल
नीच्चट गवईंया भईया कब चघबो रेल
छेड़व-छेड़व रे सुवा-ददरिया के तान
आज धरती के जागीस हे भाग
रे संगी
आज धरती के जागीस हे भाग
भकभकावे कंदील अऊ थरथरावे चिमनी
नवा बछर ए दरी गाँव मा आही बिजली
बगरत खुसियाली हमर होही उचान
आज धरती के जागीस हे भाग
रे संगी
आज धरती के जागीस हे भाग
6. पर्यावरन गीत-रूख राई ला लगावो भईया
रूख राई ला लगावो भईया ए जिनगी ला बचाही
नहीं तो चातर राज मा मनखे बिन पानी मर जाही
बन ला बचाना हे पेड़ लगाना हे ||
हमर देस के थाती बन ए सुद्ध हवा हमला देथे
धुर्रा, माटी, झांझ, बरोंड़ा, गर्रा, घाम अगियाथे
पेड़ बिगन ए जिनगी जइसे मछरी बिन पानी के
बन ला बचाना हे पेड़ लगाना हे ||
रुख राई रईही तब बरसा रिमझिम-रिमझिम आही
अमरईय्या मा कुहके कोइली मऊहा महक-महक जाही
आमा अमली चार चिरौंजी आनी-बानी मिलही
बन ला बचाना हे पेड़ लगाना हे ||
महानदी, अरपा, इंद्रावती, शिवनाथ, हसदो, पैरी
सप्तरिसी के ए भुईयाँ मा कइसे परदूसन बैरी
दंडकारण्य इही छत्तीसगढ़ मा जिनगी सुफल बनाही
बन ला बचाना हे पेड़ लगाना हे ||
रुख सेवा ले बढ़के कोनो सेवा नई दुनिया मा
अपन सुवारथ बार मनखे काटत हे अपने तन ला
खेत खार कोला बारी मा बगराओ हरियाली
बन ला बचाना हे पेड़ लगाना हे ||
7. देशभक्ति गीत- हेल्ला-हेल्ला पाके
हेल्ला-हेल्ला पाके बैरी भुइयाँ मा हमर खुसरत हे
चोरहा लपरहा आतंकवादी बन्दूक मा डरवावत हे ||
हमर देस के संस्कृति ए पहुना भगवान बरोबर ए
अउ चुप्पे चुप्पे खुसरे मनखे डाकू चोर कहावत हें
रिमंज डारबो उन बैरी ला जेन कैरी आँखी देखावत हे ||
देथे गवाही इतिहास इहाँ बलिदानी मनखे के देस ए
इहाँ के कुर्बानी के कहिनी जम्मो दुनिया जानत हे
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई मया पीरीत बगरावत हें ||
अइसन कैसे ओमन सोंचिन सोंप देबोन भुइयाँ ला हमार
भारत माता के माथ के ऊपर चोरहा मन के रिही खुमार
छीन भिन करबो नीछ डारबो कचार-कचार के पीटबोन गा ||
8. झिमिर-झिमिर झिमी बरसे बदरिया
झिमिर-झिमिर झिमी बरसे बदरिया
टप-टप-टप पानी गिरत हे
गिरत हे पानी
टप-टप-टप पानी गिरत हे
गिरत हे, गिरत हे, पानी गिरत हे
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
खेत-खार मा, फसल झूमे, गाये सवनाही गान
खोर गली हा चिखलाए, नंदिया बोहे उफान
हो राम जी
ददा गा दाई वो, भाई गा बहिनी वो
ददा गा दाई वो, भाई गा बहिनी वो
ममादाई, फूफूदाई, बूढीदाई वो
ममादाई, फूफूदाई, बूढीदाई वो
किसम-किसम के फूल फूलत हे नाचत हे मधुबन मधुबन
नवा-नवा सब जामत हे कोला बारी मगन
आवो जम्मो गावो जम्मो जुरमिल गीत ददरिया गान
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
ददा गा दाई वो, भाई गा बहिनी वो
ददा गा दाई वो, भाई गा बहिनी वो
ममादाई, फूफूदाई, बूढीदाई वो
ममादाई, फूफूदाई, बूढीदाई वो
हमर कला अउ हमर संस्कृति , सगरी दुनिया जानिस हे
कोस-कोस मा—- बोली-भाखा, माहात्तम ला चीन डारिस हे
एला कहिथें, जम्मो झिन, कोसल देस के मनखे अन
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
झूमत हे पवन, कुलकत सब्बो झिन
खेत-खार मा, फसल झूमे, गाये सवनाही गान
खोर गली हा चिखलाए नंदिया बोहे उफान
ददा गा दाई वो, भाई गा बहिनी वो
ममादाई फूफूदाई बूढीदाई वो
ममादाई फूफूदाई बूढीदाई वो
9. सुवा गीत
तरी हरी नाना मोर नहा नारी नाना रे सुवना
कि तरी हरी नहा नारे ना
नारे सुवना कि तरी हरी नहा नारे ना
नारे सुवना कि
आवो भईया बहिनी हमार
ना रे सुवना कि
महतारी के महिमा अपार ||
रामगिरि तोरे माथ मुकुट नारे सुवाना कि
बइलाडिला हावे गोकुल धाम
नारे सुवना कि
राजीव लोचन हावे संगम धाम
निरमल छईहाँ जिहाँ देंवता धामी के नारे सुवना कि
चंपाझर कुलेसर तीरित धाम
नारे सुवना कि इहें हमर चारों हे धाम ||
सोनधनहा धान के कटोरा के बंदन नारे सुवना कि
दानी मोरध्वज के भाग ल पाय
नारे सुवना कि
तुरतुरिया मा सीता माता आय
घासीदास बाबा के अम्मर हे बानी
नारे सुवना कि
पंथी मा कथा ल कहाय
नारे सुवना कि
छत्तीसगढ़ मा खुसियाली समाय ||
10. धरती दाई महतारी (लोक गीत–भरथरी अउ ददरिया धुन म)
धरती दाई महतारी ये बड़ नीक लागे
अँगना मा सोन चिरैया
हाथ आरती लव,
फूल माला धरव
ओखर स्वागत ल तुमन करव जी
तुमन करव जी, तुमन करव जी
भाई एदे जी ————
होओ ओ ओ ओ
चंदा रे उवै चंदैनी के सोर
तोर मया मा दमके ये जिनगी मोर
मयारू के दोस ||
आमा के रुख मा बोईर नई फरय
बिन गीता-रामायण जिनगी नई चलय
मयारू के दोस ||
पबरित हे माटी चंदन बनव गा
लहरावय तिरंगा बंदन करव गा
मयारू के दोस ||
11. सवनाही गीत-सावन के बरखा लाये हो
बरसत सावन भीजे मनभावन
उमड़ घुमड़ घटा छाये हो
सावन के बरखा लाये हो ||
मन के मछरी उधलना मारे
टेंगना कस टिंग-टिंग कूदे
अबक तबक मन हरेली मा अरझय
कुलक-कुलक मन गाये हो
सावन के बरखा लाये हो ||
बादर के संग मा मयं उड़ी-उड़ी जाववं
झिमिर झिमिर झरी बरसवं
फुदुक फुदुक मन मोरनी नाचे
जब कारी घटा घिर आये हो
सावन के बरखा लाये हो ||
12. कारी-कारी कोयली के गुरतुर हे बानी
ये कारी-कारी कोयली के गुरतुर हे बानी
वो तो गा के सुनावय जिनगी के कहानी
मोर गाँव मा,
मोर गाँव के कहानी ला सुनावय
कहानी ला सुनावय झूम-झूम के ||
निहर-निहर के वो माटी ल बनावय सोना
मिहनत के ओगराय पछिना बदत हे मितान दौना
जाँगर ला खपाके गढ़े अपन जिनगानी
जाँगर ला खपाके गढ़े अपन जिनगानी
मोर गाँव मा,
मोर गाँव के कहानी ला सुनावय
कहानी ला सुनावय झूम-झूम के ||
घानी के बईला कस जिनगी ल फाँदे
पीरा के बरोंड़ा मा वो मुचमुच हांसे
छितका होगे कुरिया टप-टप चूहत हावे छानी
छितका होगे कुरिया टप-टप चूहत हावे छानी
मोर गाँव मा,
मोर गाँव के कहानी ला सुनावय
कहानी ला सुनावय झूम-झूम के ||
डेरौठी मा बइठे वोला मन के मिलौना दीखे
पेज-पसिया, नून-चटनी कभू-कभू लाँघन सोये
पोचका पेट अऊ झेंझरा लुगरा जोही दीखे रानी
पोचका पेट अऊ झेंझरा लुगरा जोही दीखे रानी
मोर गाँव मा,
मोर गाँव के कहानी ला सुनावय
कहानी ला सुनावय झूम-झूम के ||
13. दया मया गोठियालव
चार दिन के जिनगी मनखे
दया-मया गोठियालव रे
अइसन भाखा बोलव रे संगी
जिनगी सबके हरियावय रे ||
साज सिंगार ए ठाट –बाट सब
जीयत भर के फाँदा ए
तोर मोर के झगरा टंटा
लालच के सब फाँदा ए
जब तक ले ए साँसा चलही
मया पीरित बागरावव रे
अइसन भाखा बोलव रे संगी
जिनगी सबके हरियावय रे ||
आज मिले अऊ काली भुलाए
मनखे के चरित्तर ए
तप तियाग अऊ दान पुन्न हर
जिनगी के सुमित्तर ए
जब तक गंगा मा पबरित पानी
भाग अपन सहरावव रे
अइसन भाखा बोलव रे संगी
जिनगी सबके हरियावय रे ||
14. मन के कुंदरा मा आजा रे संगवारी
मन के कुंदरा मा आजा संगवारी रे मोर
छानी छाबो मया के दूनो बइहाँ ला जोर ||
मोर आंखी के पुतरी मा बइठे हवस
मोर हिरदे के दसना मा ढलंगे हवस
झटकिन आजा तय संगी लुकाए कती
तोर मया के खजाना चोरावय झिन चोर
छानी छाबो मया के दूनो बइहाँ ला जोर ||
मोर साँसा चलत हे तोरेच नाव ले
मोर आसा के दीया तोरेच ठाँव ले
गुड़ी मोर घर देंवता बन के आजा गोई
बीच भंवरी मा डोंगा ल झन तय चिभोर
छानी छाबो मया के दूनो बइहाँ ला जोर ||
तय जे किसना होते राधा बनतेवं संगी
सुनके बंसरी के धुन ल हो जातेवं बही
तोर जिनगी के खूटा मा दँवरी बनतेवं
रद्दा देखत झिन टूटय ए जिनगी के डोर
छानी छाबो मया के दूनो बइहाँ ला जोर ||
15. लीम के छईहाँ मा चंदा के बारी मा
लीम के छईहाँ मा चंदा के बारी मा
फुरफुंदी धरे बर आ जाबे ना
दाई के अँचरा मा ददा के मया मा
फुगड़ी खेले बर आ जाबे ना ||
अमली के ठौर अउ आमा के मौर मा
घाट घटऊंदा अउ चिरगुन के सोर मा
परसा के फूल मा रे बरसा के चिखला मा
करमा गाये बर आ जाबे ना ||
बादर के संग-संग मन के चिकारा मा
लहलहावत सोन सही बाली के रंग मा
करिया किसान के झेंझरा कस फरिया मा
मछरी झोरे बर आ जाबे ना ||
माटी के गंध मा रे होरी के रंग मा
कोयली के कुहू-कुहू अउ खड़पड़ा के सोर मा
दाई के लोरी मा ददा के सपना मा
ददरिया गाये बर आ जाबे ना ||
16.
छाए हे गगन मा घटा घनघोर
नाचत हे झूम-झूम मगन मन मोर
आजा गाले ददरिया गोरी बईहाँ जोरी जोर ||
झिन जाबे गोरी तयं अंधियारी रात मा
सावन के बरखा दमोरत हे घाट मा
तोर बाली हे उमरिया
लुकाय होही ओसना मा चोर
आजा गाले ददरिया गोरी बईहाँ जोरी जोर ||
कड़कत हे बिजुरी अउ गरजत हे बादर
धरती बगराए हे कजराली आंचर
गउँहा डोमी बिखहर दतैया
झिंगुरा करत हावे सोर
आजा गाले ददरिया गोरी बईहाँ जोरी जोर ||
17. मोर सपना के गाँव
हाना-हाना मा डोले मोर सपना के गाँव
पाना-पाना हा बोले महतारी के नाव ||
झुनुक झेंगुरा हर गावे फुदुक टेटका मगन
आनी-बानी के फूल इहाँ हरियर उपवन
बाना-बाना मा बोले मोर सपना के गाँव
पाना-पाना हा बोले महतारी के नाव ||
धरे नांगर तुतारी धनहा बीजहा माटी
धरती दाई के दुलरवा के भुईयाँ थाती
गाना-गाना मा झूमे मोर सपना के गाँव
पाना-पाना हा बोले महतारी के नाव ||
ऐंठी,चूरी, महावर छिंटही लुगरा पहिरे
तीजा-पोरा मा ठमके बेनी फुंदरा झुमरे
रीति-रीति मा गावे मोर सपना के गाँव
पाना-पाना हा बोले महतारी के नाव ||
चंदा सुरूज चमके कोयली कुहुक गावे
भाखा- बोली मया के इहाँ मंदरस घोरे
ताना-बाना मा झूले मोर सपना के गाँव
पाना-पाना हा बोले महतारी के नाव
18.
बन्दौं छत्तीसगढ़ मईया ——-मईया
मईया छत्तीसगढ़ के पइयाँ लागौं मैं जी
हो पइयाँ लागौं मैं जी
हाथ जोरे बिनती मोरे
तुंहला भावौं मैं जी
बन्दौं छत्तीसगढ़ मईया
राजिम रतनपुर अउ सबरी नरायन
हो सबरी नरायन
अरपा पैरी इंदराबती तिरबेनी जाएन
बन्दौं छत्तीसगढ़ मईया
इही हमर गंगा इही हे गोदावरी
हो इही हे गोदावरी
इही हमर बिंदराबन अउ इही हमर कासी
बन्दौं छत्तीसगढ़ मईया
करमा,ददरिया, पंथी, सुवा, पंडवानी
हो सुवा, पंडवानी
लोरिक-चंदा, सैला, भरथरी आनी-बानी
बन्दौं छत्तीसगढ़ मईया
समलाई, बमलाई, महामाई, दंतेसरी
हो माई दंतेसरी
चन्दरसेनी, कंकालीन, छत्तीसगढ़ महतारी
बन्दौं छत्तीसगढ़ मईया
कटिस गुलामी दुरिहाईस अंधियारा
जी भागीस अंधियारा
सुतंत्रता के अंजोरी बगरगे घर पारा
बन्दौं छत्तीसगढ़ मईया
भागिन फिरंगी जी सुन के गरजना
जी सुन के गरजना
लहर-लहर लहराईस भारत मा तिरंगा
बन्दौं छत्तीसगढ़ मईया
19. मितान
सुनवसुनव ग मोर मितान
आवव आवव हो मोर मितान
देखव देखव ग मोर मितान
छत्तीसगढ़िया बनिहार किसान ||
ए माटी ए माटी ए चोवा चंदन
मनखे करथे एला बंदन
जघा-जघा मा मंदिर देवाला
किसम –किसम के भाजी –पाला
मन ल मोहाये पुरईनपाना
छत्तीसगढ़िया बनिहार किसान||
गुरतुर-गुरतुर भाखा बोली
लागय जईसे मंदरस घोरी
रामगिरि ले दंतेवाड़ा अउ
रायगढ़ ले खैरागढ़ तक
ओरी-ओरी लिखत हे बाना
छत्तीसगढ़िया बनिहार किसान||
20. तारासीरा पाठीकपीठा
तारासीरा पाठीकपीठा धरारपटा रेंगयं
कड़बिड़कईया सुदूर बुदूर अपने-अपन गोठियावयं ॥
गुंटूर-गुंटूर, गुंटूर-गुंटूर नोनी बाबू पढयं
भसर-भसर, भसर-भसर बोदेला टूरा सोवय ॥
तनानना-तनानना लेड़गी टूरी रहय
घेरीबेरी-घेरीबेरी दाई के गारी खावय ॥
घुटुर-घुटुर, घुटुर-घुटुर गाड़ा बईला रेंगय
कुटुर-कुटुर कुटुर-कुटुर सुवा परेवाँ कुटकयं॥
आखाबाखा, आखाबाखा संग माँ जुरमिल रहव
खटापटी, खटापटी ले अपन ला बचावव ॥
- शकुंतला तरार प्लाट नंबर -32, सेक्टर-2, एकता नगर, गुढ़ियारी रायपुर (छत्तीसगढ़)
रमेश चौहान के 7 छत्तीसगढ़ी लोकगीत