श्रध्दा का पर्व नवरात्रि
-डॉ. अर्चना दुबे ‘रीत’
कुण्डलियाँ-
श्रध्दा का पर्व नवरात्रि
महागौरी जगदम्बिका, माता अष्टम रूप। सुंदर कांति स्वरुप है, महिमा शक्ति अनूप।। महिमा शक्ति अनूप, माता विंध्यवासिनी । अष्टभुजी शिव दूत , मधु कैटभ संहारिणी । 'रीत' कहे कर जोरि, हाथ मइया के डोरी । रहे शांति सद्भाव, जगदम्बा महागौरी।।1।। जय माता दी बोलिये, माँ गौरी का नाम । माता सिध्दिदायीनी, सिध्द करे सब काम । सिद्ध करे सब काम, फेरिये ह्रीं की माला । करती सिंह सवारि , हाथ में सोहे भाला । 'रीत' कहे कर जोरि, जन्म जन्मों का नाता । सुनलो सुता पुकार, शिवा जय गौरी माता।।2।।
दोहे-
चार दिवस कर वंदना ,माँ कूष्मांडा नाम । नित उठ जो पूजन किया, होय सफल सब काम ।।1।। मइया का कर अर्चना, हर्षित है सब लोग । नौदुर्गा को पूजिये, रखकर छप्पन भोग।।2।। आओ काली रूप में, पापों का हो नाश । जग को आज उबार दो, भक्तों का विश्वास ।।3।। संकट का बादल घिरा, सब जन है परशान । सभी देश में छा गया, कोरोना ले जान ।।4।। अष्टभुजी माँ अंबिका, शाकम्भरि शुभ नाम । रक्तदन्तिका कालिका, आरति सुबहो शाम ।।5।। मइया के नव रूप को, मन मन्दिर बैठाय । चैत माह नवरात्रि में, पूजन मन्दिर जाय ।।6।।
-डॉ. अर्चना दुबे ‘रीत’, मुम्बई