Shri-krishna-kumar-bhatta-ki-4-kavitayen
1. कोरोना वायरस का कैनवास
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शरीर हमारा है
कैनवास पर रंग, कोरोना वायरस भर रहा है
कोरोना वायरस केे दौ सौ प्रकार
दो सौ, हादसों के संभावित ब्रश-कूची से
घर, बाजार, कार्यालय, बस, टैक्सी,
सायकल, दुपहिया बंद कर चुके हैं
फोन पर डॉं. विनय पाठक, डॉ. अजय पाठक,
ललित सुरजन,राजेन्द्र चांडक, गिरिश पंकज,
डॉ. स्वामीराम बंजारे के आग्रह
कोरोना, घर पर ही रहें
कितने दिन हो गये हैं
मेरी साईकल यात्राओं के जनसंपर्क
साहित्यिक लेखन
फिलहाल आइसोलेशन में हैं
कवितायें, 14 दिन के क्वांरटाइन में है
‘घर पर ही रहें’ के जनता कर्फ्यू के मिनट, सैकेण्ड
पुलिस वाहनों के सायरन सुन रहेे हैं ।
2.पहली बारिश आती है याद
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पहली बारिश में आती है, याद
साईकल पर जाते, खमतराई गॉंव की बाढ़
पुल दूर होने पर बचपन की संगी
अरपा की लहरों से लहरों का जुझना
कोतरी (लोरमी) गॉंव के गौटिया धनीराम साहू के संवाद
बरसात में एक हाथ में कपड़े टांगकर
दूसरे हाथ से नाला पार करते शिक्ष-छात्र
बस की ट्यूब में मुझे बैठाकर
‘मनियारी’ नदी की लहरों पर तैरना
पहली बारिश में बहुत याद आती है ।
देह की राजनीति पर लोकगीत ददरिया
‘आमा ला टोर, खॉंहूच कहिके,
मोला दगा दिये राजा, आहूँच कहिके’
पहिली बारिश में सड़क पर
मोटर-दुपहियों के छींटों के आल्हा गीत
बरसात में जगन्नाथ रथ यात्रा के भींगे लोग
मंहगाई/ घर न बनाने का जयकारा लगा रहे हैं
अंजनी शर्मा की ‘नि:शब्द नंदनी की कामवाली बाई
टूटी चप्पल न बदल कर
मार के डर से पति को सौंपती हैं दारू के पैसे
पहली बारिश में दारूबाज राशनकार्ड गिरवी रखते हैं
‘अपनी वापसी पर’ कविता की मेरी वह प्रेमिका
लम्बी जिंदगी के बाद चारों धाम की यात्रा कर रही है
पहली बारिश में बढ़ते इतिहास के बीच
सामाजिक भूगोल बदल रहा है ।
पहली बारिश में
भींग गया है मन की स्मृतियों का आकाश
विरह के गीत मैं क्या लिखता
घर से दूर, साथियों से अलग
एक अकेले कमरे में प्रतिक्षा करते
मेहनतकश साथी महेन्द्र यादव पदचाप की आवाज
घर पर गोलू ड्राइवर की छत साफ करने की कल्पनायें
सालती हैं । जिम्मेदारियों के साथ बाहर हूँ
बाहर रविशंकर विश्वविद्यालय में
कार्यक्रम बाट जोहते, माननीय ललित सुरजन, राजेन्द्र चांडक
पहली बारिश में, कौंध रही है बिजली
‘अक्षर पर्व’ के पन्ने हवा में लहराते हैं
हवा के साथ, लहकार बारिश में
डॉ. अजय पाठक के ‘जंगल एक गीत है’ के पृष्ठ
बाहर पहली बारिश में कपड़े भींग रहे हैं
डॉ. विनय पाठक के ‘दलित विमर्श’ के कुछ लोग
यह कैसा सावन है, घर बना अँगना है
राकेश गुप्त के दर्द का पानी-पानी
कमरे से उलीच रहे हैं
‘बहुत तकलीफ होता है
अपनी जमीन से उखड़ कर
पराई जमीन पर जीना’
पढ़ते मनोज अग्रवाल,डॉ. अजीज रफीक की चाय
पीते याद करता हूँ, सोफे से अलग
अपने जीवन संघर्ष के प्रारंभिक दिन
डॉ. चन्द्रशेखर के घर-रास्ते से पहले
‘मेरी गली में कभी आना तुम’ गुनगुनाते
जीवन के कपसीले बादलों की फुहार
3. मोबाइल
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डॉं. चन्द्रशेखर सिंह, प्रेमआर्य, नंदराम यादव के मोबाइल
दूर कहीं मोबाइल पर चेहरे नजर आते हैं
डॉं. अजय पाठक, राघवेन्द्र धर दीवान, राघवेन्द्र दुबे
कहीं बाहर लोक संस्कृति की मंजिलों पर
पुस्तक मेला (दिल्ली) से डॉं सुधाकर बिबे की आवाजें
मुझे लगता है डॉं मंतराम यादव के हाथ-पैर
दुपहिया छेदछेरा पुन्नी हो गये हैं
बिलासा कला मंच रऊताही पत्रिका से प्राप्त
तेरस यादव के इंटरनेट टाईप किताबों पत्रिकाओं की प्रदशर्नी
अगले उत्सव के लिये प्रतिक्षित होती हैं
नये वर्ष का कलेण्डर दीवारों पर आ गया है
आ गये हैं, नये बसंत के आगमन में
कुछ नया करने की धुन में चमचमाते चेहरे
डॉं. सोमनाथ यादव,बुधराम यादव,डॉं. बृजेश सिंह
डॉं; राजेश मानस,तुलसी देवी तिवारी, अंजली शर्मा
डॉं. रेखा पालेश्वर, होली के रंगों पर
कवितायें, इतिहास के मौसम पर लेख लिख रहे हैं
‘रऊताही कला2020 ‘लोकगीत’ विशेषांक है…….
4. छेदछेरा, कुर्सियों पर
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साल भर में, एक बार कुर्सियां जमती हैं
डॉ. मंतराम यादव की सांस्कृतिक यात्रायें
कुर्सियों के संजोती हैं, राऊत बाजार
पूष माह की छेरछेर पुन्नी 2020 पर
छत्तीसगढ़ के यात्रा दूवरहट (मुंगेली) की सड़कों पर
किस गाँव का वार्षिक बाजार की रौनकें
डॉं. विनय पाठक की अध्यक्षीय आसंदी
माननीय अरूण सांसद के उद्घाटन भाषण
‘रऊताही कला’ वार्षिक पत्रिका का विमोचन
राऊत दलों के प्रत्येक समूह के पुरस्कार
डॉं; अनिता सिंह, राकेश गुप्त,’निर्मल’ का साहित्य सम्मान
मुगेजी जिला अधिकारी संघडॉ. आई पी यादव के माथे पर
धोती-पगड़ी, कलगी औररऊताही जाकेट
मंच पर साहित्यिक कुर्सियों, कविताओं के लोग
डॉं. अजीज रफीक,जगइीश देवांगन, रामकुमार बंजारे
देव गोस्वामी,होरीलाल साहू, अभिषेक जैन
खेमेश्वर गोस्वामी, चन्द्रेश चन्द्राकर के चेहरे
कार्यक्रम संचालन करते देवेन्द्र परिहार, मोती राम यादव
छेरछेरा 2020 पुन्नी भींगी शाम की सुहानी रात
अपने हाथ से व्हाट्स एप से समाचार भेजते हाथ ।
- -श्री कृष्ण कुमार भट्ट 'पथिक'
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