कौशल बनाम शिक्षा (Skill vs Education)

कौशल बनाम शिक्षा (Skill vs Education)

-रमेश चौहान

कौशल बनाम शिक्षा  (Skill vs Education)
कौशल बनाम शिक्षा (Skill vs Education)

कौशल बनाम शिक्षा (Skill vs Education)

जीवन की दौड़ में सफल होने के लिए क्‍या आवश्‍यक है कौशल या शिक्षा, यह हमारे समाज का एक ज्‍वलंत प्रश्‍न है । एक व्यक्ति के पास कौशल के साथ-साथ शिक्षा की डिग्री होनी चाहिए। बिना शिक्षा के कौशल उतनी ही खाली होगी जितनी कि शिक्षा के बिना कौशल। योग्यतम को बनाये रखने के लिये दोनों की आवश्यकता है। शिक्षा, व्यक्ति के भीतर कौशल के प्रमाणित दस्तावेज के अलावा कुछ भी नहीं है। कौशल रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति  शिक्षित नहीं है, इसी तरह, हर डिग्री धारक आवश्यक रूप से कुशल नहीं है । शिक्षा या कौशल की आवश्यकता  व्‍यवहारिक रूप से काम करने की प्रकृति पर निर्भर करती है। जीवन में सफलता के लिये क्‍या आवश्‍यक शिक्षा या कौशल? इस विचार करना आवश्‍यक है । हम में से कुछ पारंपरिक शिक्षा पसंद करते हैं और कुछ पारंपरिक शिक्षा पर कौशल पसंद करते हैं।

शिक्षा की व्‍युुुुुुत्‍पत्ति एवं अर्थ (Origin and Meaning of Education)

शिक्षा शब्‍द की उत्‍पत्ति Origin of the word education)-

प्राचीन समय में शिक्षा को विद्या कहा जाता था। विद्या शब्द की उत्पत्ति ‘विद’ धातु में “अ’ प्रत्यय लगाने से हुई है।जिसका अर्थ है जानना । शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष धातु में आ प्रत्यय लगाने से हुई है जिसका तात्पर्य सीखना और सिखाना।  शिक्षा को अंग्रेजी में Education कहा जाता है जिसकी उत्‍पत्‍ती लैटिन भाषा कि Educatum,  Educere,  और Educare से मानी गई है । जहॉं Educatum का अर्थ  To train, act of teaching मतलब  सिखलाने की क्रिया,  Educere का अर्थ  To lead out मतलब विकसित करना और Educare का अर्थ To bring up मततलब आगे बढ़ना होता है । इस प्रकार Education  का अर्थ ‘सिखने की क्रिया छुपी प्रतिभा को बाहर निकालना है ।’

शिक्षा का अर्थ (Meaning of education)-

प्राचीन समय में ज्ञान को मानव जीवन के विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। शिक्षा का संकुचित अर्थ शिक्षा से है जो एक निश्चित स्थान अथवा विद्यालय कॉलेज में निश्चित समय तक एवं निश्चित योजना के तहत दी जाती है ।  जबकि शिक्षा का व्यापक अर्थ शिक्षा जीवन भर चलने वाली  एक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया उसी समय प्रारंभ हो जाती है जब बालक का जन्म होता है। अर्थात व्यापक दृष्टि से शिक्षा का अर्थ बालक के उन सभी अनुभवों से है जिसका प्रभाव उसके ऊपर जन्म से लेकर मृत्यु तक पड़ता है अर्थात या अनियंत्रित वातावरण है। इस प्रकार शिक्षा जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है जो व्‍यक्त के जन्म लेने से लेकर उसकी मृत्यु तक निरंतर चलती रहती है ।

कौशल का अर्थ (Meaning of Skill)-

कौशल एक क्रिया करने की एक स्थापित विधि है । किसी कार्य को सफलता पूर्वक निपुणता से संपादित करने की क्षमता को ही कौशल कहते हैं ।  कौशल का निर्माण सतत अभ्‍यास से ही संभव हो पाता है । कौशल को एक दिन में प्राप्‍त नहीं किया जा सकता । कौशल में महारत हासिल करने के लिए कई महीनों का लंबा और कठिन प्रशिक्षण लगता है।

शिक्षा एवं कौशल में अंतर (Difference between education and skills) –

शिक्षा (Education)कौशल (Skill)
शिक्षा व्यक्ति को अपने दृष्टिकोण और दृष्टिकोण में अधिक विश्वास दिलाता है। शिक्षा व्यक्तित्व विकास का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।कौशल व्‍यक्ति को कार्यकुशल बनाता है । कौशल सफलता प्राप्‍त करने का अनिवार्य हिस्‍सा है ।
शिक्षा व्यक्ति को अधिक विनम्र, विनम्र और समझदार बना सकती है। यह निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करता है ।
कौशल व्‍यक्ति अधिक व्‍यवहारिक और कार्यकुशल बनाता है । यह सफलता प्राप्‍त के अवसर को विकसित करता है ।
शिक्षा सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा अर्जित करती है। एक व्यक्ति को उसकी योग्यता के माध्यम से मूल्यांकन किया जाता है जो उसकी डिग्री से परिलक्षित होता है।
कौशल शिक्षा का  प्रयोगात्‍मक व्‍यवहारिक उत्‍पाद है, जो उनके कार्यकुशलता से परिलक्षित होता है । यह व्‍यक्ति को एक सफल व्‍यक्ति के रूप सम्‍मान दिलाता है ।
शिक्षा सिखने की एक प्रक्रिया जो जीवन पर्यन्‍त चलती है ।कौशल प्रदर्शन करने की एक प्रकिया जिसे अभ्‍यास से ही प्राप्‍त किया जात सकता है ।
 एक शिक्षित व्‍यक्ति कुशल हो आवश्‍यक नहीं ।
एक कुशल व्‍यक्ति शिक्षित हो आवश्‍यक नहीं ।
शिक्षा ये आर्थिक लाभ हो आवश्‍यक नहीं है ।
कौशल से आर्थिक लाभ होने की अधिक संभावना होती है ।
शिक्षा एवं कौशल में अंतर

शिक्षा या कौशल क्‍या आवश्‍यक है ? (What skills or education are required?)-

यह एक पारंपरिक धारणा है कि  शिक्षा से एक अच्‍छा और सफल  इंसान बनाया जा सकता है । लेकिन यह सैद्धांतिक रूप से सत्‍य हो सकता है किन्‍तु व्‍यपहारिक रूप से यह दिव्‍यास्‍वप्‍न से कम नहीं ।  वर्तमान शिक्षा प्रणाली में चरित्र निर्माण एक सपना है जो संभव नहीं है। चरित्र निर्माण माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं और अपने बच्चों को एक अच्छा इंसान बनने में मदद करें। व्‍यवहारिक रूप अब शिक्षा का अर्थ डिग्रि धारियों से रह गया है । Skill vs eductioan में eductioan जितना महत्‍वपूर्ण है उतना ही या उससे कहीं अधिक Skill आवश्‍यक है ।

शिक्षा से प्रतिपूर्ति की चाहत (Seeking reimbursement from education)-

हमारे समाज में आज  शिक्षा का व्‍यापक अर्थ न लेकर केवल संकुचित अर्थ लिया जा रहा है जिसके अनुसार  निश्चित समय एवं निश्चित योजना के तहत स्‍कूल एवं कॉलेजो में शिक्षा दी जाती है । यही कारण है कि जब हमारा बच्चा 3 या 4 वर्ष का हो जाये, तो हम सोचते हैं कि अब उसके स्कूल जाने का सबसे अच्छा समय आ गया है। हम उसे  एक ऐसे स्कूल में भर्ती करा देते हैं । ऐसे करते हुये हम यह सोचते हैं कि वह भविष्य में एक डॉक्टर या इंजीनियर होगा और  हमारे द्वारा खर्च किए गए प्रत्येक पैसे की प्रतिपूर्ति के लिए पर्याप्त पैसा कमाएगा ।

शिक्षा की गुणवत्‍ता पर प्रश्‍नवाचक चिन्‍ह (Question mark on the quality of education) –

“कैरियर सलाहकार और मूल्यांकन सेवाओं द्वारा किए गए सर्वेक्षण के आधार पर विश्वविद्यालयों द्वारा उत्पादित स्नातकों  में से  लगभग 77 % स्‍नातक गुणवत्‍ता के मापदण्‍डों के नीचे हैं । यही कारण है कि शिक्षित बेरोजगोरों की संख्‍या में दिनोंदिन वृद्धि हो रही है । एक उच्‍च शिक्षित इंजिनियर भी काम ढ़ूढ़ने शहर-शहर खाक छान रहे हैं । एक अध्‍ययन के अनुसार भारत में हजारों शिक्षित बच्‍चे बेरोगारी से निजात पाने के लिये भीख मांग रहे हैं ।  एक अनुमान के अनुसार भारत के कुल भीखारियों में लगभग 10 प्रतिशत भीखारी शिक्षित हैं ।

कौशल की मांग शिक्षा से अधिक है (Skill demand is more than education)-

अधिकांश व्‍यवसायिक संस्‍थानों में काम करने के लिए विश्वविद्यालय की डिग्री की कोई आवश्यकता नहीं है, 20% Google कर्मचारी के पास कोई विश्वविद्यालय की डिग्री नहीं है और वे बिना किसी शिक्षा के Google के लिए काम कर रहे हैं  । उत्‍पादक ईकाईयों में 50 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी शिक्षित न होकर कुशल होते हैं । निश्चित रूप कौशल को शिक्षा पर तरजिह दी जा रही है । भारत सरकार के skill India योजना इस बात को स्‍वयं सिद्ध कर रही है ।

इतिहास में कुशल व्‍यक्ति ही महान हुये हैं (Only skilled people have become great in history)-

इतिहास के पन्‍नों को उलटते हुये देखें तो हम पाते हैं कि दुनिया के अधिकांश महान लोग सभी कुशल लोग थे, लेकिन उनके पास अपने ज्ञान के प्रमाणपत्र नहीं थे।

शिक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन कौशल आवश्यक है (Education is important, but skill is essential)-

शिक्षा एक अमूर्त अवधारणा का सैद्धांतिक मूल्यांकन है जो वास्तव में संभव नहीं है। यह वह कौशल है जो व्यक्ति को भौतिक, आर्थिक, सामाजिक सम्मान और मान्यता प्राप्‍त  करने में मदद करता है। शिक्षा का निश्चित रूप से अपना महत्व है, किन्‍तु शिक्षा प्राप्‍त करने व्‍यक्ति के पास सीखने का कौशल, अधिग्रहण करने का कौशल, कुछ न कुछ कौशल विकसित होना आवश्‍यक  है इसलिए, हम यह कह सकते हैं कि शिक्षा कौशल की सीढ़ी में पहला कदम है जो जीवन में सफलता की ओर ले जाती है।

अर्जित ज्ञान को वास्‍तविक धरातल खड़ा करना आवश्‍यक होता है (The acquired knowledge needs to be real grounded)-

जब हम विज्ञान ’का ज्ञान प्राप्त कर रहे होते हैं, तो हम उन विषयों से संबंधित ज्ञान को प्रयोगशाला में नियमित रूप से प्रयोग करते हैं, जिनके बारे में हम वर्तमान में सीख रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अर्जित ज्ञान को वास्‍तविक धरातल खड़ा करना आवश्‍यक होता है । जो सीख रहे होते हैं वह शिक्षा है किन्‍तु एये वास्‍तविक धरातल में खड़ा करना कौशल । यदि धरातल पर खड़ा कर लिया गया तो उसे सीखा भी जा सकता है । हमें उस क्षमता की आवश्यकता होती  है, जो एक निश्चित सीमा तक सफल होने में हमारी मदद कर सके  और वह क्षमता कौशल ही है ।।

कौशल हासिल करना एक तकनीक नहीं मौलिक कला है (Acquiring skills is not a technique but a fundamental art)-

कौशल व्यक्ति को एक विशेष क्षेत्र में प्रभावी ढंग से योगदान करने में सक्षम बनाता है। यह अनुभव और अभ्‍यास से सीखा जा सकता है किन्‍तु मौलिक रूप कोई व्‍यक्ति किसी क्षेत्र तो कोई किसी क्षेत्र में अधिक निपुण हो जाते हैं इसका अभ्‍भिप्राय यह हुआ कौशल हासिल करना एक तकनीक न होकर एक मौलिक कला है ।

कौशल की चुनौतियों को कैसे दूर कर सकते हैं? (How can you overcome the challenges of skills?)-

  1. केवल शैक्षिक संस्थानों से कौशल की आवश्यकताओं को पूरा करने की अपेक्षा करना अनुचित है। ‘शिक्षा’ को मजबूत वैचारिक रूप से पुष्‍ट करने की आवश्‍यकता है जिससे व्यक्ति का समग्र रूप से विकास हो सके । व्‍यक्ति में कौशल विकास के लिये शिक्षा एक पूर्व आवश्‍यकता हो सकती हैं किन्‍तु रोजगारपरक होने के लिये कौशल की नितांत आवश्‍यकता होती है। विशेषीकृत नियोक्ताओं या अन्य मध्यवर्ती एजेंसियों को  कौशल विकास ’की जिम्मेदारी दिया जा सकता है ।
  2. देश में विद्यमान शैक्षिक ढाँचे को पुनर्जीवित करने की भी सख्त आवश्यकता है और अपेक्षित परिणामों के साथ योग्यता के लिए साहसिक रणनीति विकसित करना भी। उदाहरण के लिए, इंजीनियरिंग और आईटी कॉलेजों में सीटों की संख्‍या बढ़ाये जाने के बाद भी छात्रों को रोज़गार के लायक नहीं पाया जा रहा है । हमें स्कूली शिक्षा के बाद नए सीखने के रास्तों पर विचार करना चाहिए, जिससे शिक्षण संस्थाओं के नए मॉडल से कौशल और योग्यता प्राप्त किया जा सके। औपचारिक विश्वविद्यालय स्तर की योग्यता में तब्दील होनी चाहिए। जिससे  प्रतिभा पारिस्थितिकी तंत्र में आवश्यक संतुलन लाया जा सके।
  3. कॉर्पोरेट में प्रतिभा की प्राथमिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, व्यापार में तत्‍कालिक मांगों को पूरा करने के लिए, अल्पकालिक योजना बनाने की आवश्‍यकता है। हालांकि, दीर्घकालिक रणनीति ज्‍यादा महत्वपूर्ण है । यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रतिभाओं का उचित विकास हो जो तत्‍कालिक एवं दीर्घकालिक आवश्‍यकतओं को पूरा कर सके ऐसी योजनाओं पर काम करने की नितांत आवश्‍यकता हैं ।

बेरोजगारी दूर करने प्रतिभाओं का सृजन आवश्‍यक है (Creation of talent is essential to remove unemployment)-

संगठित और असंगठित क्षेत्रों में कौशल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये ग्रामीण और शहरी प्रतिभाओं में संतुलन लाने की आवश्‍यकता है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास पर अधिक ध्‍यान देना चाहिये जिससे निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके । बेरोजगारी को दूर करने और नई आर्थिक विकल्‍पों  की रचना के लिये प्रतिभाओं का नवनिर्माण आवश्‍यक है ।

कौशल विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्‍यकता (Need for integrated approach for skill development)-

रोजगार सृजन के विभिन्न संबंधित आयामों पर अलग-अलग ध्यान देना आवश्यक है, वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए, कौशल परिवर्तन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें प्रतिभा मूल्यांकन, विकास और प्रमाणन की व्‍यवस्‍था हो । एक ऐसी व्‍यवस्‍था विकसित किया जाना चाहिये आम व्‍यक्ति की  सहभागिता सुनिश्चित किया जा सके जो आमतौर आर्थिक कारणों से पिछड़ जाते हैं ।  कैशल विकास के लिये न्‍यूनतम लागत पर अथवा अनुदान व्‍यवस्‍था पर कौशल विकास संस्‍थानों का निर्माण किया जाना चाहिये ।

-रमेश चौहान

इसे भी देखें- जीवन में सफलता प्राप्‍त करना एक कला है Achieving success is an art

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