मातृ-पितृ पूजन दिवस पर विशेष
मातृ-पितृ पूजन दिवस पर
कविता-छंदमाला
मातृ-पितृ पूजन दिवस पर विशेष : कविता-छंदमाला
दोहे-
सीख सनातन धर्म का, मातु पिता भगवान ।
जग की चिंता छोड़ तू, कर उनका सम्मान ।।
मात पिता जग देव सम, कर सेवा सत्कार ।
सेवा ही तो धर्म है, मान नहीं उपकार ।।
मातु पिता की बात पर, जिसने किया विवाह ।
होती उनमें भी प्रबल, इक दूजे पर चाह ।।
ढ़ूँढ रहा हूँ मैं जगत, कहां मिले भगवान ।
पाहन-पाथर पूज के, आज खड़ा हैरान ।।
मातु-पिता जननी-जनक, तेरे पालन हार ।
उनके ही सत्कार से, होते हैं उद़धार ।
पुत्र सदा लाठी बने, कहते हैं माॅँ बाप ।
उनकी इच्छा पूर्ण कर, जो हो उनके आप ।।
बेटा जाने है कहां, भरते कैसे पेट ।
खाते हैं जब बाप का, पैसा टेटी ऐठ ।।
रखे अपेक्षा पुत्र से, निश्चित हर बाप ।
नेक राह पर पुत्र हो, देवे ना संताप ।।
बेटा तुझको क्या समझ, पैसों का परिताप ।
खून-पसीना बेच कर, पैसा लाता बाप ।।
रोला छंद-
छोड़ दिये घरबार, गांव से अधिक कमाने ।
छोड़ बुढ़े माँ बाप, चले चैरिटी बनाने ।।
दानी बने महान, ट्रस्ट को देते चंदा ।
होते क्यों हैरान, बुने जो खुद ही फंदा ।।
माॅं बालक ले गोद, स्नेहमय दूध पिलाती ।
साफ करे मल मूत्र, जतन कर वह हर्शाती ।।
चाह नही कुछ मूल्य, नित्य कर्तव्य निभाती ।
जीवन में अधिकार, कहां वह कभी जताती ।।
कुण्डलियॉं-
माँ से कमतर है कहां, देख पिता का प्यार ।
लालन पालन साथ में, हमसे करे दुलार ।
हमसे करे दुलार, पीर अपने शिश मढ़ते ।
मातु गढ़े है देह, पिता भी मन को गढ़ते ।।
बनकर मेरे ढाल, रखे हैं मुझको जाँ से ।
पूर्ण करे हर चाह, पिता ना कमतर माँ से ।।
माॅर्डन होने का चलन, तोड़ रहा परिवार ।
षिक्षित अरू धनवान ही, इसके सपनेकार ।।
इसके सपनेकार, बाप-माँ को हैं छोड़े ।
वृद्धाश्रम में छोड़, कर्तव्यों से मुख मोड़े ।
सुन लो कहे ‘रमेष’, साक्ष्य है इसका वाॅर्डन ।
मांगे जो अधिकार, वही बनते हैं माॅर्डन ।।
सवैया-
ले शिशु देखत स्नेह पिता उसके कर हाथ लगा कर भाई ।
हाथ लगे कुछ आस जगावन पावन पावन प्यार जगाई ।
ले ममता शिशु देकर आस नवीन दुलार दुलार लुभाई ।
कोमल स्पर्श जगात दुलार लुभात उसे ममता अधिकाई ।
-रमेश चौहान
वेलेंटाइन डे पर विशेष आलेख-प्यार और संबंध में पहले कौन ?