और वो वही सतर इस बार भी तो कह गयी , आह रही पड़ी हुयी फ़ुरसतें…
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होली के रंगों से सरोबर गीत कविता
होली के रंगों से सरोबर गीत कविता स्वागत करने खिल उठे, टेसू आम्र पलाश । झूमे…
मेरी दो कवितायें-अवधेश कुमार सिन्हा
मेरी दो कवितायें प्रवृत्ति और निवृत्ति, जीवन की परिणति; जीवन -दो कूल,जीव की अलिखित गति ।…
सत्यधर बांधे ‘ईमान’ की 5 कवितायें
का भी मिट गया, जग से तो अभिमान। चल नेकी के राह पे, भला बना इंसान।।…