पुस्‍तक समीक्षाः जयकारी जनउला

हमर छत्तीसगढ़ ह लोक संस्कृति अउ लोककला के नाँव ले सरी दुनिया म अपन अलग पहिचान…

दोहा जनउला-अजय “अमृतांशु”

माटी के चोला हवय, आँच परे पक जाय। गरमी के मौसम रहय, सबके प्यास बुझाय।।