“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमंते तत्र देवता”, अर्थात जहाँ नारियों की पूजा होती है, वहाँ देवताओं का…
Tag: डॉ. अर्जुन दुबे
एक लघु आलेख:श्रीराम हमारे आदर्श क्यों?-प्रोफेसर अर्जुन दूबे, सेवा निवृत्त
श्रीराम: हमारे आदर्श क्यों? श्रीराम भारतीय संस्कृति के आदर्श पुरुष माने जाते हैं। मर्यादा का पालन…
देवनागरी लिपि: वैज्ञानिकता, सरलता और स्वर की सजीवता
देवनागरी लिपि भारतीय भाषाओं की आधारशिला है, जो अपनी वैज्ञानिकता और व्यावहारिकता के लिए जानी जाती…
भूखे भजन न होय गोपाला: एक लघु व्यंग्य आलेख-प्रोफेसर अर्जुन दूबे
पहले भोजन का प्रबंध करो, तब ईश्वर की बात करो। You can’t talk of God to…
नौकरी, एक लघु व्यंग्य आलेख-डॉं. अर्जुन दूबे
कौन है? सामने आओ। कौन है जो आ नहीं रहा है, रघु ने कड़क आवाज में…
“बाबा विश्वैश्वर नाथ की महिमा”-अर्जुन दूबे
(उपरोक्तत आलेख मान्यता के आधार पर मेरे गांव के गाँव के ब्रह्मलीन बाबा विश्वैश्वर नाथ के…
संस्कृत ही रही होगी रामायण काल की प्रचलित संपर्क भाषा -बोली
यह तो सर्वविदित है कि भाषा ही संवाद का एक सशक्त माध्यम है, यह भाषा ही…
दुखांत विषय से बेहतर कथानक कैसा?
"Purgation of Emotions and Feelings"
तर्क (Logic) अथवा आचार (Ethics):एक व्यंग्य आलेख
आचार का अनुपालन, बहुत कठिन है डगर पनघट की! तर्क कठिन है किंतु उतना नहीं क्योंकि…
मेरा दृष्टिकोण:शब्द सौंदर्य, साहित्य के दर्पण में -प्रो. अर्जुन दूबे
सौंदर्य की चाहत और सौंदर्य वर्णन शाश्वत है । मानव और उसकी बनायी रचना चाहे चित्र…