कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग 14 एवं 15 तृष्णाहत तन होकर व्याकुल यहाँ वहाँ डोलेगा तन क्या भीतर का…
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बुद्धिसागर सोनी (Buddhisagar-soni) हिन्दी एवं छत्तीसगढ़ी दोनों भाषाओं काव्य रचनायें करते हैं । हिन्दी रचित छायावादी खण्डकाव्य ‘कर्मयेवाधिकारस्ते’ इनकी प्रसिद्ध कृति है ।
कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग 12 एवं 13
कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग 12 एवं 13 यात्रा पथ अपनी मंजिल पहले चुन लो फिर उस पथ पग…
कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग 10 एवं 11-बुद्धिसागर सोनी
तुम साहस करके देखो तो दरिया भी राह दिखाती है उत्तुंग शिखर झुक जाता है मरू…
कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग 8 एवं 9
गरल जहाँ है वहीं सुधा है तृप्ति जहाँ है वहीं क्षुधा है है शोक जहाँ खुशीयाँ…
कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग-6 एवं 7 Karmanyewadhikarste part 6-7
जीवन क्या है... बुझो तो अबूझ पहेली है मत बूझो संग सहेली है इसकी रौ में…
कर्मण्येवाधिकारस्ते भाग-4 एवं भाग-5
कर्मण्येवाधिकारस्ते बीते कल को देखा तुमने भावी कल को देखा कौन चंद इबारत बन जाता है…
छायावादी खण्ड़काव्य-‘कर्मण्येवाधिकारस्ते’ भाग-3 karmnyewadhikarste-3
(karmnyewadhikarste) नहीं चूकने वाले बैरी तुम पल भर चूके अगर हे भारत, तुम संग्राम करो थाम…